मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने नर्मदा घोटाला यात्रा निकालने का ऐलान करने वाले कंप्यूटर बाबा समेत पाँच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। 3 अप्रैल को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि राज्य शासन ने प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों विशेष रूप से नर्मदा के किनारे पौधरोपण, जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति निरंतर जन-जागरूकता अभियान चलाने के लिए विशेष समिति गठित की है। इस समिति में बतौर सदस्य नर्मदानंद, हरिहरानंद, कम्प्यूटर बाबा, भैय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत को शामिल किया गया है। इन सभी को राज्यमंत्री का दर्जा मिलेगा।
यह पहली बार है कि साधु संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया जा रहा है। वैरागी साधुओं को मोहमाया से दूर मानने और संतन को कहाँ सीकरी सों काम जैसी कहावतों की परंपरा में पगे समाज में बीेजेपी वाक़ई नया रंग भर रही है। यूपी में एक महंत को मुख्यमंत्री बनाने वाली पार्टी अगर एमपी में बाबाओं को राज्यमंत्री बना रही है, तो आश्चर्य कैसा।
हालांकि इस बात पर अवश्य आश्चर्य किया जाना चाहिए को जो बाबा कल तक सरकार के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ जनजागरण चला रहे थे वे राज्यमंत्री का पद स्वीकार कैसे कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कभी नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा निकाली थी, लेकिन नर्मदा और उसके इर्दगिर्द के पर्यावरण के सरकारी दावों को लेकर तमाम सवाल उठते रहते हैं। इधर, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपनी पत्नी अमृता राय सिंह के साथ नर्मदा की परिक्रमा कर रहे हैं। ऐसे में बाबाओं के पोलखोल अभियान से घबराए शिवराज ने उन्हें राज्यमंत्री बना दिया जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया।