जानवरों के मूत्र से फैलने वाले लैप्टोस्पायरोसिस से तो नही हो रही मौतें? जाँच की सुविधा भी नहीं!

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कोरोना के बीच बुखार अब मौत का नया कारण बन चुका है। खास कर बच्चो में यह रहस्यमय बुखार इतनी तेज़ी से फैल रहा है कि कारण ही नही समझ आ रहा है। लेकिन बुखार के मरीजों में लक्षण देखकर अब शक लेप्टोस्पायरोसिस की ओर जा रहा है। इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इस बीमारी से लोगों की मौत हुई है। बुखार के लक्षणों को मिलाने पर डॉक्टर यही डायग्नोसिस बता रहे हैं।

अब स्वास्थ्य विभाग ने नालों में छिड़काव व झाड़ियों को काटना शुरू कर दिया है। क्योंकि बुखार के साथ-साथ डेंगू भी मौत की एक बड़ी वजह बना है। जो गंदगी से पैदा होने वाले मच्छरों से और फैल रहा है। लेकिन कुछ मरीजों में बुखार तो है जिनकी मौत भी बुखार से हुई है पर उनकी कोरोना, डेंगू, मलेरिया सभी जांच निगेटिव है। ऐसे में चिंता और गहराती जा रही है और शक लेप्टोस्पायरोसिस की ओर जा रहा है।

लेप्टोस्पायरोसिस जांच की सुविधा नहीं..

वहीं जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग (Department of Microbiology) में स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस जांच की सुविधा नहीं है। डॉक्टरों ने निजी पैथोलॉजी (private pathology) में सैंपल भेजने शुरू कर दिए हैं। नगर में बुखार से मरने वाले मरीजों की जांच डेंगू, कोरोना और मलेरिया निगेटिव आने के बाद डॉक्टरों ने स्क्रब टायफस और लेप्टोस्पायरोसिस की जांच शुरू कर दी है।

डॉक्टरों में टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के प्रति जागरुकता नहीं..

पिछले वर्षों में लेप्टोस्पायरोसिस के रोगी बहुत कम संख्या में मिलते थे। इसकी पहचान के लिए मैट टेस्ट होता है। निजी पैथोलॉजी संचालकों का कहना है कि डॉक्टरों में टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के प्रति जागरुकता नहीं है लेकिन अब सैंपल भेज रहे हैं। वहीं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जेएस कुशवाहा का कहना है कि इसके कुछ ही मरीज आते हैं। सीएमओ नैपाल सिंह ने कहा कि नमूने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज भेजे जा रहे हैं। वहीं से जांच कराई जाएगी।

चूहे और जानवर इस बीमारी को फैलाते हैं..

कल्याणपुर सीएचसी प्रभारी डॉ. अविनाश यादव ने बताया कि चूहे और जानवर इस बीमारी को फैलाते हैं। किडनी और लीवर खराब होने पर इस बीमारी को विल्स डिजीज भी कहते हैं। क्षेत्र में नालों की सफाई और झाड़ियों को काटा जा रहा है। दवा का भी छिड़काव किया जा रहा है।

क्या है लेप्टोस्पायरोसिस?

लेप्टोस्पायरोसिस को रैट फीवर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक जीवाणु संक्रमण है जो बग लेप्टोस्पाइरा के कारण होता है। ये बैक्टीरिया पानी और गीली ज़मीन या मैदान में पनपते हैं। फिर ये पालतू जानवरों और कृन्तकों/चूहों को संक्रमित करते हैं। यह संक्रमण किसी संक्रमित जानवर के मूत्र या मृत जानवर के संक्रमित ऊतक के माध्यम से फैल सकता है।

इसमें लेप्टोस्पाइरा इनटेरोजिन होता है। बुखार के मरीजों में जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं, वे इस बीमारी से मिलते-जुलते हैं। इसमें भी अचानक ठंड देकर बुखार ठंड लगने के साथ तेज बुखार, तीव्र सिरदर्द, शरीर-दर्द, मांसपेशियों में दर्द, लाल आंखें, भूख में कमी दस्त या उल्टी और रक्तस्राव होता है। इसके साथ ही मल्टी आर्गन फेल हो जाते हैं।

 

 


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