छत्तीसगढ़ ‘मुठभेड़’ जांच रिपोर्ट: माओवादी नहीं थे आदिवासी, फ़र्जी था मुठभेड़ !

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सांकेतिक चित्र


छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के सारकेगुड़ा में जून 2012 में सुरक्षा बल के जवानों ने छह नाबालिग सहित 17 लोगों को नक्सली बता कर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। जून 2012 में हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ सात साल के बाद न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस वीके अग्रवाल की अध्यक्षता वाली कमिशन ने राज्य सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अग्रवाल की अध्यक्षता वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि सुरक्षा बलों ने घबराहट में गोली चलाई थी। 28-29 जून 2012 को हुई इस कथित मुठभेड़ में सुरक्षा बल के जवानों ने 17 नक्सलियों के मारे जाने का दावा किया था। उनके शव भी बरामद किए गए थे। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि छह सुरक्षा कर्मियों को क्रॉस फायरिंग और सह सुरक्षाकर्मी के बुलेट से निकली गोली की वजह से चोटें आई हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जांच में जानबूझकर गड़बड़ी की गई है। रिपोर्ट में इस बात पर भी संदेह जताया गया है कि गांव वालों ने एक जगह इकट्ठा होने की वजह एक त्योहार को लेकर आपस में चर्चा करना बताया था।

11 जुलाई 2012 को तत्कालीन रमण सिंह सरकार ने इस मामले के लिए जांच आयोग गठित करने का आदेश दिया था।

एक सदस्यीय ज्यूडिशियल कमिशन की रिपोर्ट के मुताबिक गांव वालों की ओर से गोली नहीं चलाई गई थी, ना ही ऐसा कोई भी सबूत मिला है जिससे मृतकों को माओवादी कहा जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक गांव वालों को काफी करीब से गोली मारी गई और उनके साथ मारपीट हुई। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सुरक्षा बलों ने हड़बड़ाहट में गोली चलाई होगी। इनमें से हिरासत में लिए एक ग्रामीण को अगली सुबह गोली मारकर हत्या की गई, जबकि मुठभेड़ कई घंटे तक रात में ही होती रही थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया कि मुठभेड़ के दौरान जो छह सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं, वे शायद साथी सुरक्षाकर्मियों द्वारा की गई क्रॉस फायरिंग में घायल हुए हैं।  रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जांच में जानबूझकर गड़बड़ी की गई।

जस्टिस अग्रवाल द्वारा रिपोर्ट सौंपने की पुष्टि करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘एक रिपोर्ट मिली है।  इसे अब कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा। वहां से मंजूर होने के बाद इसे विधानसभा में पेश किया जाएगा। ’


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