केरल सरकार और स्प्रिंकलर कम्पनी के बीच हुई डील शुरू से ही विवादों में घिरी रही है। केरल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस डील को अत्यंत कठोर शर्तों के साथ जारी रखने की अनुमति दे दी है। साथ ही ये भी कहा गया है कि इस डील पर अन्य कोई हस्तक्षेप नहीं होगा क्योंकि इस वजह से राज्य में चल रहे कोरोना महामारी के उपायों पर असर पड़ेगा।
केरल हाईकोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से की सुनवाई
हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश में सरकार को इकठ्ठा किये गए डाटा की जानकारी हासिल करने को कहा है। जस्टिस देवन रामचंद्रन और टीआर रवि ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा चार घंटे तक सुनवाई करके निर्देश जारी करते हुए केरल सरकार को कहा है कि “सरकार एकत्रित किये गए डाटा में सभी पहचान छिपा कर ही उसे स्प्रिंकलर को दे।
अदालत ने कठोर शर्तों के साथ दिया फ़ैसला
- स्प्रिंकलर को भी निर्देश दिए गए हैं कि वो केरल सरकार के साथ हुए विवादित अनुबंध के अंतर्गत कोई भी काम नहीं करेगा जिससे डाटा की गोपनीयता का उल्लंघन हो।
- स्प्रिंकलर केरल सरकार द्वारा प्राप्त उन डाटा का उपयोग नहीं करेगा, जो सरकार के साथ हुए अनुबंध में गोपनीयता खंड के विरुद्ध हों। साथ ही अनुबंध समाप्त होने पर डाटा वापस कर दिया जायेगा।
- डाटा का कमर्शियल उपयोग नहीं होगा और सरकार को भी लोगों की सहमति लेनी आवश्यक है और उन्हें बताना भी ज़रूरी है कि उनका डाटा स्प्रिंकलर द्वारा संसाधित किया जाएगा।
- स्प्रिंकलर कंपनी स्वयं के प्रचार के लिए केरल सरकार के नाम या इसके लोगो का भी उपयोग नहीं करेगी।
- हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि स्प्रिंकलर के पास मौजूद किसी भी तरह का डाटा तत्काल हटाया जाए।
अदालत: हम डाटा की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं
जस्टिस रामचंद्रन ने एक मुख्य बात यह भी कही कि “केरल सरकार का कहना है कि उसको कोरोना महामारी के समय में स्प्रिंकलर कंपनी की ज़रूरत है इसलिए हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे लेकिन ये बहुत अचंभित करने वाली बात है कि इस डील को अंतिम रूपरेखा देने के लिए कोई क़ानूनी सलाह नहीं ली गयी। इस डील में कई क़ानूनी मुद्दे भी थे।” सुनवाई के दौरान जस्टिस रामचंद्रन और टी आर रवि की बेंच ने ये भी कहा कि “कई मुद्दों पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। हम आपको न ही गलत कह रहे हैं न ही गलती ढूंढ रहे हैं बस हम डाटा की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।”
साइबर अधिवक्ता ने सरकार की तरफ़ से रखा पक्ष
राज्य सरकार की तरफ़ से साइबर अधिवक्ता एनएस नप्पिनई ने पक्ष रखा । उनका मानना था कि डाटा की सुरक्षा को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है। सारा डाटा सरकार के हाथ में सुरक्षित है और ये अनुबंध 6 महीने के लिए है। साथ ही स्प्रिंकलर को डाटा का अन्य किसी भी तरह से उपयोग करने के लिए मना किया गया है। जजों द्वारा स्प्रिंकलर की विश्वसनीयता के बारे में पूछने पर कहा गया कि “स्प्रिंकलर का कंपनी के नाते बढ़िया काम है और ये WHO को डैशबोर्ड सेवाएँ दे चुके हैं।” जस्टिस देवन ने इस बात पर कहा कि “हम डैशबोर्ड और SAAS (software as a service) के बीच क्या अंतर है जानते हैं, डैशबोर्ड व्यक्ति SAAS का संचालन नहीं कर सकता है।” साथ ये भी कहा गया कि जिस कॉन्क्लेव में आप ने स्प्रिंकलर के साथ विचार-विमर्श किया था, वहां कोई और कंपनी नहीं थी क्या?
मुख्यमंत्री केरल: फ़ैसले का स्वागत है
अदालत के फ़ैसले के बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि “हम फ़ैसले का स्वागत करते हैं और विपक्ष द्वारा जो आरोप लगाए गए थे वो गलत साबित हुए हैं। आदेश की प्रति प्राप्त होने पर ही आगे कोई भी टिपण्णी की जाएगी।”