केन्द्र सरकार की आपत्ति खारिज करते हुए आज केरल उच्च न्यायालय ने मशहूर फिल्मकार आनंद पटवर्धन की डॉक्यूमेंट्री ‘विवेक’ को केरल में चल रहे रहे इंटरनेशनल डॉक्यूमेंटरी एंड शार्ट फिल्म फेस्टिवल में दिखाने की अनुमति दे दी. आदेश को पारित करने वाले जस्टिस शाजी पी.चाली ने ये स्पष्ट किया कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कहीं और नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि कानून व्यवस्था के भंग होने का कारण देकर डॉक्यूमेंट्री को प्रदर्शित होने से रोका नहीं जा सकता है. अंग्रेजी में इस फिल्म का नाम ‘रीजन’ है.
Kerala HC Allows The Screening Of Anand Patwardhan Documentary 'Reason'
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केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने यह कहते हुए केरल फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी कि इससे कानून-व्यवस्था में समस्या पैदा हो सकती है.
इस रोक के खिलाफ केरल राज्य चलचित्र अकादमी, फिल्म फेस्टिवल के आयोजनकर्ता ने अदालत में याचिका दायर की थी. आनंद पटवर्धन इस मामले में दूसरे नंबर पर याचिकाकर्ता थे. याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा था कि कानून व्यवस्था खराब होने की मात्र आशंका भर से अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया नहीं जा सकता है.
याचिकाकर्ताओं ने केरल उच्च न्यायालय के 2017 के एक फैसले पर भरोसा था जिसमें मार्च, मार्च, मार्च’ और ‘द बियेरेबल लाइटनेस ऑफ बीइंग’ की प्रदर्शन पर केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई रोक को अदालत ने ख़ारिज कर दिया था.
चार घंटे की यह फिल्म नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्याओं और सनातन संस्था की भूमिका को दिखाते हुए दक्षिणपंथी उग्रवादी हिंसा फैलाने की कहानी से शुरू होती है. इसके बाद फिल्म में हाल के वर्षों में हुए दलित आंदोलन और दलित नेताओं के उत्थान की कहानी है. इस फिल्म का अंत दादरी गांव में मोहम्मद अखलाक की गोहत्या के शक में हुई हत्या की कहानी के साथ होता है.
आनंद पटवर्धन की इस फिल्म ने अनेक पुरस्कार जीता है जिनमें एम्स्टर्डम के 31वें अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फीचर-लेंथ डॉक्यूमेंट्री का पुरस्कार शामिल है.
चलचित्रों के सार्वजनिक प्रदर्शनी के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड का प्रमाणपत्र लेना पड़ता है, जिनको यह प्रमाणपत्र नहीं मिलता उन्हें केंद्र सरकार से सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 कानून की धारा 9 के तहत विशेष छूट लेनी पड़ती है.