दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने आखिरकार चार साल बाद सीपीआइ के नेता कन्हैया कुमार और उनके संग जेएनयू के छात्र रह चुके उमर खालिद और अनिर्बन सहित अन्य के खिलाफ राजद्रोह का केस चलाने को मंज़ूरी दे दी है। कन्हैया कुमार ने एक ट्वीट कर के इस विलंबित फैसले का स्वागत किया है।
दिल्ली सरकार को सेडिशन केस की परमिशन देने के लिए धन्यवाद। दिल्ली पुलिस और सरकारी वक़ीलों से आग्रह है कि इस केस को अब गंभीरता से लिया जाए, फॉस्ट ट्रैक कोर्ट में स्पीडी ट्रायल हो और TV वाली ‘आपकी अदालत’ की जगह क़ानून की अदालत में न्याय सुनिश्चित किया जाए। सत्यमेव जयते।
— Kanhaiya Kumar (@kanhaiyakumar) February 28, 2020
दिल्ली पुलिस ने 14 फरवरी 2016 को इन छात्रों के खिलाफ 9 फरवरी को जेएनयू के भीतर हुए एक आयोजन में नारे लगाने के आरोप मेंं मुकदमा दर्ज किया था। पुलिस ने उस वक्त चार्जशीट दाखिल करते वक्त दिल्ली की सरकार से इनके खिलाफ़ राजद्रोह का मुकदमा शुरू करने की मंजूरी मांगी थी। अरविंद केजरीवाल की सरकार इस फाइल पर चार साल से बैठी थी, लेकिन आज उसने इसे मंजूरी दे दी।
आम आदमी पार्टी की सरकार का कहना है कि उसने इस फैसले पर पहुंचने से पहले कानूनी राय ली है। इस तरह के मामले में कोर्ट पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र का तब तक संज्ञान नहीं ले सकती जब तक कि सम्बद्ध राज्य का गृह विभाग इसकी मंजूरी न दे।
JNU sedition matter: Prosecution Department of Delhi government has given its approval for a trial in the matter. Former JNU Students Union President Kanhaiya Kumar and others are involved in the matter. pic.twitter.com/A9OGNwKTSj
— ANI (@ANI) February 28, 2020
ध्यान रहे कि कन्हैया कुमार इधर बीच बिहार में लगातार जनसभाएं कर रहे हैं और भारी भीड़ ले रहे हैं। बिहार चुनाव सिर पर है और उनकी बढ़ती लोकप्रियता भारतीय जनता पार्टी और जेडीयू सरकार के लिए खतरा बनती जा रही थी। माना जा रहा है कि केजरीवाल ने ठीक इस मौके पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देकर बिहार चुनाव में भाजपा की राह आसान कर दी है।