“अर्णव पर चिंतित सरकार ने कश्मीर सहित पूरे देश में पत्रकारों का दमन किया!”


अर्णब गोस्वामी को एक वित्तीय घपले और ख़ुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले को पत्रकारिता या चौथे खंभे से जोड़ने पर हैरानी जतायी जा रही है। सरकार की सक्रियता भी सवालों के घेरे में है। देश के तमाम ऐसे पत्रकार जो आज़ाद पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे, सरकार के दबाव में नौकरी से बाहर हुए हैं। कई संस्थान बंद हुए हैं। मोदी युग में गोदी मीडिया जैसा नया मुहावरा बना है। लेकिन इन तमाम मुद्दों पर सरकार की ओर से कभी सफाई नहीं आयी।


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अर्णव गोस्वामी की गिरफ़्तारी को प्रेस पर हमला बताने के गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर कश्मीर के पत्रकारों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है। कश्मीर टाइम्स की एडिटर अनुराधा भसीन ने कहा है कि इस आईने में अमित शाह को अपनी शक्ल देखनी चाहिए। इस सरकार ने कश्मीर के और देश के तमाम पत्रकारों को बुरी तरह परेशान किया है।

 

ग़ौरतलब है कि गृहमंत्री अमित शाह ने आज सुबह अर्णब गोस्वामी की गिरफ़्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि यह प्रेस की आज़ादी पर हमला है और उसका सख्ती से विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने इस घटना की तुलना आपात्काल से की। कई अन्य मंत्रियों ने भी अर्णव का समर्थन करते हुए इसी लाइन पर बयान दिये।

ग़ौरतलब है कि पिछले दिनों ही कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर संस्करण को बंद कराने का दबाव डाला गया था। कश्मीर के कई अन्य पत्रकारों ने भी कश्मीर में प्रेस की आज़ादी कुचले जाने को लेकर सवाल उठाये हैं।

अर्णब गोस्वामी को एक वित्तीय घपले और ख़ुदकुशी के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले को पत्रकारिता या चौथे खंभे से जोड़ने पर हैरानी जतायी जा रही है। सरकार की सक्रियता भी सवालों के घेरे में है। देश के तमाम ऐसे पत्रकार जो आज़ाद पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे, सरकार के दबाव में नौकरी से बाहर हुए हैं। कई संस्थान बंद हुए हैं। मोदी युग में गोदी मीडिया जैसा नया मुहावरा बना है। लेकिन इन तमाम मुद्दों पर सरकार की ओर से कभी सफाई नहीं आयी।

जिस तरह पूरी सरकार अर्णब के पक्ष में खड़ी है, वह बताता है कि अर्णब गोस्वामी की पत्रकारिता सत्ता से सवाल करने की नहीं, उसका प्यादा बनने की है।


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