मीडियाविजिल डेस्क
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने 2 सितम्बर 2017 को INSTITUTE OF EMINENCE के लिए प्रपोजल माँगा था. इसके अंतर्गत देश के 20 चुने हुए संस्थानों, 10 पब्लिक और 10 प्राइवेट संस्थानों को 5 वर्ष तक 200 करोड़ प्रति वर्ष की राशि आवंटित की जानी थी. इसका उद्देश्य अधिक अकादमिक, वित्तीय, प्रशासनिक और अन्य नियामक स्वायत्तता प्रदान करना था, जिससे कि ये संस्थान दुनिया के अग्रणी संस्थानों की सूची में अपनी जगह बना सकें. इसके चयन के लिए एक समिति बनाई गई थी जिसे इन संस्थानों का चुनाव करना था. समिति का प्रमुख पूर्व मुख्या चुनाव आयुक्त एन गोपालास्वामी को नियुक्त किया गया था तथा इसमें कुल चार सदस्य थे.
इस बीच खबरें आ रही थीं कि इन्हें ऐसे संस्थान मिलने मुश्किल हो रहे हैं जिसे INSTITUTE OF EMINENCE का दर्जा दिया जा सके. सोमवार को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्विटर पर 6 संस्थानों की सूची जारी की जिन्हें INSTITUTE OF EMINENCE के लिए चुना गया है. इसमें 3 पब्लिक तथा 3 प्राइवेट संस्थानों के नाम हैं. पब्लिक संस्थानों में IIT बॉम्बे, IIT Delhi और IISc Bangalore का नाम है तथा प्राइवेट संस्थानों में Manipal Institute, BITS Pilani Institute तथा Jio Institute by Reliance Foundation का नाम है.
Congratulations to @ManipalUni, @bitspilaniindia & Jio Inst for getting status of #InstituteofEminence. #TransformingEducation #48MonthsOfTransformingIndia@PIB_India @MIB_India pic.twitter.com/XpRsm8nxIQ
— Prakash Javadekar (Modi Ka Parivar) (@PrakashJavdekar) July 9, 2018
यहाँ सबसे विवादस्पद यह है कि जिस Jio Institute by Reliance Foundation को INSTITUTE OF EMINENCE के लिए चुना गया है वह अस्तित्व में ही नहीं है. गूगल पर सर्च करने पर ऐसा कोई INSTITUTE नहीं मिलता. काफी सर्च करने पर The Hindu का एक आर्टिकल मिला जिसमें Reliance Foundation द्वारा WORLD CLASS यूनिवर्सिटी खोलने की बात कही गयी है.
Absolutely astounding! HRD ministry declares a 'yet to be opened' Ambani owned 'Jio Institute' as one of 6 'institutions of eminence', along with IITs & IIMs! Can't imagine a more grotesque joke on the country & a more blatant act of cronyism! https://t.co/34byKhOPwH
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 10, 2018
हमें एक और सर्च रिजल्ट मिला जिसमे JIO Institute लिखा मिला पर देखने पर यह जॉब सर्च की वेबसाइट लग रही थी न कि एक शिक्षण संस्थान की. मतलब इस संस्थान की न कोई वेबसाइट मिली न ही कोई सोशल मीडिया अकाउंट. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या ये सब ऐसे ही हो गया या इसके पीछे कोई खेल चल रहा है.
https://twitter.com/latpot10/status/1016335703498678278
ट्विटर पर जावड़ेकर से सवालों की बौछार लगी हुई है पर इसका कोई जवाब अब तक नहीं मिला है सिवाय अनुदान के सवाल को लेकर. इस बीच आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि आखिर मुकेश अम्बानी के प्रोजेक्ट जियो इंस्टिट्यूट को सरकार बाकी चुने हुए संस्थानों की तर्ज पर पैसा क्यों देगी. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार परन्जॉय गुहा ठाकुरता ने एक ट्वीट कर के स्थिति स्पष्ट की है.
Former CEC N Gopalaswami said that private institutions like Jio Institute will not (repeat not) get govt funds. He added that greenfield institutions will be eligible for ‘excellence’ status only after they fulfil a series of stringent conditions. He clarified this to me.
— ParanjoyGuhaThakurta (@paranjoygt) July 9, 2018
जो संस्थान अभी खुला भी नहीं हो उसे इंस्टिट्यूट ऑफ़ एमिनेंस का दर्जा देने के बारे में सरकार कि दलील है कि इसे ग्रीन फ़ील्ड्स संस्थानों कि श्रेणी में शामिल किया गया है. इस श्रेणी में सरकार के मुताबिक़ कुल 11 संस्थानों ने आवेदन किया था लेकिन फंडिंग और तमाम स्थितियों के मद्देनज़र जियो को चुना गया है. सवाल उठता है कि तमाम आदर्श पूर्व स्थितियों के रहते हुए भी क्या अजन्मे के होनहार निकलने की कोई गारंटी दी जा सकती है? कहीं यह अजन्मे का ऋण चुकाने जैसा कोई मामला तो नहीं?
खबर शैलेन्द्र चौबे के सौजन्य से