जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा आधी रात से औपचारिक रूप से खत्म हो गया है. इसके साथ ही दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आ गये हैं.
जम्मू और कश्मीर, जो 1947 से भारत संघ का हिस्सा रहा है अब वह इतिहास बन चुका है. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू को जम्मू और कश्मीर तथा आरके माथुर को लद्दाख का नए लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया गया है. दोनों को श्रीनगर और लेह में अलग-अलग समारोह में आज शपथ दिलाई जाएगी.
मुर्मू और माथुर दोनों को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल द्वारा शपथ दिलाई जाएगी.
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार, दोनों संघ शासित प्रदेश 31 अक्टूबर की आधी रात से अस्तित्व में आ गए. अब तक राज्यों को विभाजित कर दो राज्यों में या संघ शासित प्रदेशों को पूर्ण राज्यों में बदला गया किन्तु यह पहली बार है जब किसी राज्य को बांट कर दो केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है.
देश में कुल राज्यों की संख्या अब 28 हो जाएगी, जबकि कुल केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात हो जाएगी.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 संसद का एक अधिनियम है. इसे राज्यसभा में गृहमन्त्री अमित शाह ने 5 अगस्त को प्रस्तुत किया था. यह अधिनियम उसी दिन राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया गया तथा अगले दिन यानी 6 अगस्त को लोकसभा ने इसे पारित कर दिया था. इस अधिनियम में जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने का प्रावधान है− 1. जम्मू और कश्मीर 2 लद्दाख.
जम्मू-कश्मीर 26 अक्टूबर 1947 को भारत के संघ का हिस्सा बना था. विलय के 72 साल बाद मोदी सरकार ने राज्य का दर्जा ख़त्म कर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया.
संघ शासित प्रदेश बन जाने के बाद जम्मू कश्मीर और लद्दाख की कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के हाथों में रहेगी.