मोदी सरकार से निराश देश के 185 से ज़्यादा शीर्ष बुद्धिजीवियों ने विपक्षी पार्टियों को खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में अपील की गयी है कि विपक्षी दल अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके केंद्र और राज्य सरकारों पर दबाव डालें ताकि वे तीसरी लहर से निपटने के लिए बेहतर तैयारी करें।
इस पत्र में प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर, इरफान हबीब तथा अर्थशास्त्री कौशिक बसु समेत 185 से ज्यादा बुद्धिजीवियों के दस्तखत हैं। पत्र में दूसरी लहर के दौरान सड़क पर मृतकों और नदियों में शवों के तैरने का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इन घटनाओं की तस्वीरों ने दुनिया के मन को झकझोर दिया है। उन्होंने कहा कि यह देखना सुखद है कि महामारी के बीच ‘ज्यादातर पार्टियाँ लोगों के ‘हित’ में दल की सीमा से परे जाकर काम करने को इच्छुक हैं।’
बुद्धिजीवियों ने बयान में कहा है कि केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने और मिलकर काम करने की पेशकश के बाद भी भारत सरकार ने न तो सलाहों का स्वागत किया और न ही वास्तव में एक ऐसा कार्य बल तैयार किया, जिसमें सभी पार्टियों, राज्य सरकारों, विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के लोग साथ होकरं इस संकट से निपटें।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करनेवालों में मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित विजवाड़ा विल्सन, एमनेस्टी इंटरनेशनल के पूर्व महासचिव सलिल शेट्टी, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव थोराट, यूपीएससी के पूर्व सदस्य पुरुषोत्तम अग्रवाल और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ सियेना (इटली), यूनिवर्सिटी ऑफ साउ पाउलो, यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शिक्षक शामिल हैं।