क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी यानि रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) में भारत ने शामिल होने से इनकार कर दिया है. यह एलान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरसीईपी समिट में अपने भाषण के दौरान किया. पीएम ने कहा कि आरसीईपी वार्ताओं में भारत की चिंताओं को दूर नहीं किया जा सका है. इसके मद्देनजर भारत ने यह फैसला किया है.
#WATCH Vijay Thakur Singh, Secretary (East),MEA: India conveyed its decision at the summit not to join RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) Agreement. This reflects both our assessments of current global situation&of the fairness & balance of the agreement. pic.twitter.com/IAT6xiq02R
— ANI (@ANI) November 4, 2019
दरअसल देश भर में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते के खिलाफ चल रहे जबरदस्त विरोध के चलते प्रधानमंत्री मोदी को आरसीईपी में शामिल न होने का निर्णय लेना पड़ा है. इस निर्णय के लिए स्वदेशी जागरण मंच ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया है.
Swadeshi Jagran Manch thanks Prime Minister Narendra Modi for taking the bold decision of not entering agreement on Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP). Staying away from it is in favour of small businesses, farmers, dairy, data security & manufacturing sector. pic.twitter.com/2F39gg21q1
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) November 4, 2019
वहीं कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि आरसीईपी में भारत के शामिल न होने के निर्णय के पीछे कांग्रेस पार्टी का विरोध सबसे बड़ा कारक है. कांग्रेस के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा सरकार जबरन RCEP समझौते पर दस्तखत कर देश के किसानों, मछुआरों, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों की बली दे रही थी.आज जब भाजपा व श्री अमित शाह अपनी झूठी पीठ थपथपा रहे हैं तो उन्हे सनद रहे कि कांग्रेस के विरोध के चलते ही सरकार को यह निर्णय वापस लेना पड़ा. उन्होंने इसे ‘राष्ट्र हित’ की जीत कहा है.
कांग्रेस व श्री राहुल गांधी के विरोध और दवाब के चलते RCEP समझौते पर दस्तखत न करने का मोदी सरकार का निर्णय ‘राष्ट्र हित’ की जीत है,
ये जीत देश के किसान, दूध उत्पादकों, मछुआरों, दुकानदारों, छोटे व लघु उद्यमी की है।
हमारा वक्तव्य- pic.twitter.com/XzzwftOfoQ
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 4, 2019
गौरतलब है कि आरसीईपी को लेकर देश भर में विरोध चल रहा था. खुद भाजपा से जुड़ा स्वदेशी जागरण मंच इस समझौते का विरोध कर रहा था.
4 नवंबर को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के आह्वान पर देश भर के किसानों ने आरसीईपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
वहीं बीजेपी का कहना कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के गरीबों के हित में यह साहसिक निर्णय लिया है. हालांकि पीयूष गोयल प्रतिक्रिया अब तक नहीं मिली है.
HM Amit Shah: India’s decision to not sign #RCEP is a result of PM's strong leadership & unflinching resolve to ensure national interest in all circumstances. It shall ensure support to our farmers, MSMEs, dairy & manufacturing sector, pharmaceutical, steel & chemical industries. pic.twitter.com/Ak5Y2Soq4k
— ANI (@ANI) November 4, 2019
JP Nadda, BJP working President: India didn't bow down to global pressure&give away its economic interests,unlike previous Congress-led governments which opened Indian market through weak FTAs. PM Narendra Modi Ji has again shown his commitment to safeguard interests of the poor. pic.twitter.com/HAJIzrCcEA
— ANI (@ANI) November 4, 2019
जबकि अभी कुछ दिन पहले तक मोदी कैबिनेट में व्यापार मंत्री पीयूष गोयल कहते रहे हैं कि यदि भारत इसमें शामिल नहीं हुआ तो अलग-थलग पड़ जायेगा !
BJP Govt had gone overboard in their zeal to sign RCEP completely bartering the interests of farmers,fishermen & MSME’s.
As BJP & Sh. Amit Shah indulge in fake credit seeking today, let them remember that @INCIndia forceful opposition made them back down.https://t.co/si7ouQoVuV
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 4, 2019
प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट किया है.
भाजपा सरकार पूरे गाजे बाजे के साथ रासेप समझौते (किसान सत्यानाश समझौता) के जरिए भारत के किसानों के हित कुचलकर भारत के राष्ट्रीय हित को विदेशी देशों के हवाले करने जा रही थी।
देश के किसानों ने पूरी एकता के साथ इसका विरोध किया #किसानोंकीजीत
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 4, 2019
यह समझौता 10 आसियान देशों (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) और छह व्यापार देशों -भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होना था. आसियान देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलीपींस, लाओस और विएतनाम शामिल हैं. वर्ष 2012 में भारत ने इसमें शामिल होने की रजामंदी जताई थी.