वह दुबई की शहज़ादी है..सोने के पिंजड़े में क़ैद…आज़ादी चाहती है….एक दिन समंदर के रास्ते निकल पड़ी….ज़ेहन में था ‘सारे जहाँ से अच्छा भारत’.. उम्मीद थी कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में उसे खुले आसमान में उड़ने के लिए मज़बूत पंख मिलेंगे…लेकिन शिकारी घात लगाए बैठे थे….किनारा आने से पहले ही सारे अरमान अरब सागर में डुबो दिए गाए..!
यह कोई तिलस्मी किस्सा नहीं है। ख़बर है। चलिए ख़बर की तरह ही पढ़िए–
आगस्ता वेस्टलैंड डील सौदे के कथित दलाल क्रिश्चियन मिशेल का प्रत्यर्पण क्या सामान्य प्रक्रिया के तहत हुआ है या दुबई ने इसे किसी सौदे के तहत सौंपा है, यह सवाल राजनीतिक गलियारों में सरगर्म हैं। सौदा भी ऐसा जिसमें मोदी सरकार ने आज़ादी के लिए तड़प रही एक राजकुमारी को क़ैद करा दिया। जबकि वह शरणागत थी।
हालाँकि आगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर खरीद के दोषियों को इटली की अदालत ने बरी कर दिया है और भारत में यह सौदा मनमोहन सरकार के समय ही रद्द हो गया था, लेकिन जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी ने मिशेल के सहारे गाँधी परिवार पर चुनावी रैलियों में हमला बोला, वह बताता है कि सरकार राफ़ेल का जवाब मिल देना चाहती है। ‘चौकीदार चोर है’ का जवाब – ‘किस विधवा के खाते में पैसे गए’ है।
सूत्रों के मुताबिक मिशेल का प्रत्यर्पण हुआ है एक शहज़ादी की क़ीमत पर जिसे शरण देने के बजाय मोदी सरकार ने पकड़कर वापस दुबई भेज दिया। एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने इसे मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन बताते हुए मोदी सरकार की तीखी आलोचना की है।
बहरहाल, पहले शहज़ादी के बारे में जान लीजिए।
शेख लातिफ़ा, दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतौम की बेटी हैं। बीती 24 फ़रवरी को वे अपने देश से फरार हो गई थीं। उन्होंने एक वीडियो जारी करके दावा किया था कि उन्हें पिछले तीन साल से अस्पताल में बंधक बनाकर रखा जा रहा है। ब्रिटिश मीडिया को भेजे अपने संदेश में 33 वर्षीय शेख लातिफा ने कहा था कि उन्होंने 16 साल की उम्र में एक बार देश छोड़कर भागने की कोशिश की थी। इसलिए तब से सब उन्हें संदेह की निगाह से देखते हैं। उन्हें आजादी से जिंदगी जीने की इजाजत ही नहीं है।
लातिफ़ा के मुताबिक साल 2000 के बाद से उसके देश छोड़कर बाहर जाने पर पाबंदी है। वह गाड़ी नहीं चला सकती है। कुछ जानवरों को छोड़कर कोई उसका दोस्त नहीं है। लातिफा के मुताबिक शेख मोहम्मद की छह बीबियां और 30 बच्चे हैं। वह उनकी कम मशहूर पत्नी की तीन बेटियों में से एक है। उसका दुबई में कोई सामाजिक जीवन भी नहीं है।
ख़बर थी कि लातिफा फ्रांसीसी एक जासूस की मदद से फरार हुई है। लातिफा अमेरिका में राजनीतिक शरण चाहती थी। इरादा भारत होकर अमेरिका जाना था। लेकिन जब उनकी मोटरबोट गोवा तट से करीब 50 समुद्री मील दूर थी, तो भारतीय तटरक्षक पहुँच गए। उन्होंने मोटरबोट पर कब्जा कर लिया। बाद में लातिफ़ा को दुबई के अधिकारियों को सौंप दिया गया।
10-11 मार्च को विभिन्न भारतीय समाचार माध्यमों में यह खबर छपी थी। लेकिन अंदाज़ कुछ यों था कि राजुकमारी का अपहरण हुआ था और उन्हें बचा लिया गया। भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से ऐसी किसी घटना पर चुप्पी साधे रखी थी। बताया जाता है कि इस घटना के बाद मिशेल के प्रत्यर्पण का मामला तेज हो गया जबकि 19 महीने पहले इस संदर्भ में अर्ज़ी दी गई थी। साफ है कि यह दुबई के शासक के साथ यह ‘लेन-देन’ का मामला था।
इस घटना से भारत की साख पर गहरा धब्बा लगा है। मानवाधिकार संस्था एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने भारत सरकार पर इस मामले में तमाम अंतरराष्ट्रीय काननों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। एम्नेस्टी का आरोप है कि जिस मोटरबोट से शहज़ादी फरार हुई थी उसके कैप्टन और क्रू मेंबर्स की भारतीय तटरक्षकों ने जमकर पिटाई भी की गई थी। शाहज़ादी को वापस दुबई भेजना, नागरिक अधिकारों का हनन है। शहज़ादी की ज़िंदगी को लेकर भी संदेह जताया जा रहा है।
हालाँकि इस तरह नागरिक क्षेत्र में गुपचुप काम करना भारतीय राजनय की परंपरा नहीं रही है। किसी शरणार्थी,वह भी महिला के साथ ऐसा व्यवहार तो सोचा भी नहीं जा सकता।
लेकिन यह नेहरू का नहीं मोदी का भारत है। जहाँ अब विकास हो रहा है।
पुनश्च: मिशेल के प्रत्यर्पण की खबर में के दौरान न्यूज़ चैनलों के रिपोर्टर और रिपोर्टरानियाँ यह बताने पर ख़ास ज़ोर दे रहे थे कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित दोभाल की इसमें ख़ास भूमिका रही है। सीबीआई की तरफ से जारी बयान में भी कहा गया था कि NSA अजित डोभाल के ‘निर्देशन के तहत एक अभियान’ में क्रिश्चियन मिशेल को भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है। इस ‘अभियान’ में एक शहज़ादी की चीखें सुनने की कोशिश कीजिए। किसी एनएसए को इस तरह श्रेय लूटते कभी देखा था?