आमिर को पहला इंसाफ तब मिला था जब 2012 में वे आतंकवाद के आरोपों से बरी होकर 14 साल बाद जेल से छूटे थे। उन्हें दूसरा इंसाफ रविवार को मिला जब तीन साल पहले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दिल्ली पुलिस को दिए गए निर्देश का अनुपालन हुआ और अचानक उनके बैंक खाते में पांच लाख की राहत राशि पहुंच गई।
आतंकवाद के 19 फर्जी मुकदमों में फंसाए गए आमिर खान के लिए इंसाफ़ की लड़ाई लड़ने वाले नागरिक समाज की कई शख्सियतों में एक डॉ. लेनिन रधुवंशी से सोमवार सुबह मिली इस आशय की सूचना के बाद मीडियाविजिल ने जब मुबारकबाद देने के लिए आमिर को फोन किया, तो उन्होंने कहा, ”मुझे खुशी है कि आपने मुझे इस मौके पर याद किया। पहले तो मैं बता दूं कि ये कोई मुआवजा नहीं है, केवल राहत राशि है। वैसे भी 14 साल जेल में बिताने का कोई मुआवजा नहीं हो सकता, चाहे 50 लाख ही क्यों न हो। फिर भी मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं।”
आमिर को दिसंबर 1996 से अक्टूबर 1997 के बीच दिल्ली, गाजि़याबाद, सोनीपत और रोहतक में हुए कई बम विस्फोटों में आरोपी बनाते हुए 19 मुकदमे लादे गए थे। अलग-अलग राज्यों की जेल में आमिर ने 14 साल बिताए। उस वक्त वे 18 साल के थे। उन्हें 2012 में 17 मुकदमों में बरी कर दिया गया और वे जेल से छूटे। जवानी के बहुमूल्य दिन वे गंवा चुके थे। पिता की मौत हो चुकी थी और मां फालिज की मार से निशक्त। आमिर के दोषी साबित होने पर उन्हें अधिकतम जितने वर्ष का कारावास होता, उससे ज्यादा वक्त वे जेल में बिता चुके थे।
इतनी ज्यादतियों के बाद भी आमिर के मन में किसी किसी प्रतिशोध की भावना ने नहीं घर नहीं किया। आमिर ने कहा था कि वे बदला नहीं चाहते, इंसाफ़ चाहते हैं। आमिर को रविवार को दूसरा इंसाफ़ मिला है, चाहे कितना ही मामूली क्यों न हो। यह आजाद भारत के इतिहास में पहली बार है कि दिल्ली पुलिस ने यानी केंद्र सरकार ने एनएचआरसी के निर्देश पर आतंक के झूठे मामले में सज़ा काट चुके किसी शख्स को मौद्रिक राहत दी हो।
इस राहत की कहानी भी दिलचस्प है। आयोग ने आमिर की रिहाई के दो साल बाद उसके मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा था। अप्रैल-मई 2014 में दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय का जवाब आया, लेकिन आयोग उससे संतुष्ट नहीं हुआ क्योंकि उसमें आमिर के 17 फर्जी मामलों में बरी होने का जि़क्र नहीं था। फिर दिसंबर 2015 में एनएचआरसी ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि आखिर क्यों न आमिर को पांच लाख का मुआवजा दिया जाए। जवाब के लिए छह सप्ताह दिए गए लेकिन छह माह बाद भी जवाब नहीं आया। आयोग ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को फिर नोटिस भेजकर यही सवाल पूछा, तो उन्होंने जवाब दिया कि दो मामले लंबित होने के कारण आमिर को मुआवजा नहीं दिया जा सकता। यह बात जून 2016 की है।
इस जवाब पर अपनी टिप्पणी करते हुए आयोग ने जनवरी 2017 में पांच लाख रुपये की राहत का आदेश दिया और छह हफ्ते में जवाब मांगा था। फिर साल भर गुज़र गया लेकिन दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसके बाद जनवरी 2018 में आयोग ने दिल्ली पुलिस के मुखिया और दिल्ली के मुख्य सचिव को समन भेज दिए।
अब जाकर रविवार को अचानक आमिर के बैंक खाते पांच लाख की रकम आई है। आमिर इस राशि की प्राप्ति के बारे में पुलिस के पास लिखित में लेने के लिए गए थे लेकिन पुलिस ने ऐसा करने से मना कर दिया। आमिर ने मीडियाविजिल को बताया, ”सवाल आमिर का या पांच लाख का उतना नहीं है जितना मेरे जैसे तमाम बेगुनाह लड़कों का है जो फर्जी आरोपों में जेलों में बंद हैं। मुझे लगता है कि इन सब के लिए मुआवजे और राहत की लड़ाई लड़ी जानी चाहिए।”
आमिर फिलहाल सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज़ के साथ जुड़कर सामाजिक काम कर रहे हैं। वे अकसर सामाजिक कार्यक्रमों में देखे जा सकते हैं। पिछले दिनों डॉ. लेनिन की संस्था पीवीसीएचआर और मीडियाविजिल द्वारा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में संयुक्त रूप से आयोजित कासगंज के दंगा पीडि़तों की गवाही के दौरान भी वे मौजूद और सक्रिय थे।
इस ऐतिहासिक फैसले पर डॉ. लेनिन रघुवंशी कहते हैं, ”आमिर एक सरवाइवर के मानवाधिकार रक्षक में तब्दील होने की नज़ीर है। वह सकारात्मकता का एक आइकॉन है।” डॉ. लेनिन ने सोमवार सुबह जारी एक वीडियो संदेश में आमिर के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग की है।