आईआईटी दिल्ली की टीम ने बनायी टेस्टिंग किट
Researchers at IIT Delhi Kusuma School of Biological Sciences (KSBS) have developed a detection assay for #COVID19 which has now been approved by ICMR. The assay has been validated at ICMR with a sensitivity&specificity of 100%: Indian Institute of Technology (IIT), Delhi pic.twitter.com/danQjXcvQw
— ANI (@ANI) April 23, 2020
कोरोना वायरस से युद्धस्तर पर बचाव और जाँच की तैयारियों के बीच आईआईटी दिल्ली ने कोरोना वायरस की जाँच करने वाली टेस्टिंग किट्स बना ली हैं और इसे आईसीएमआर की मंजूरी भी मिल गयी है। चीन से लाखों की संख्या में मंगाई गयी टेस्टिंग किट्स या तो ख़राब निकल रही हैं या फिर नतीजों में बड़ा फ़र्क आ रहा है लेकिन आईआईटी दिल्ली द्वारा बनायी गयी ये टेस्ट किट 23 अप्रैल को आईसीएमआर के कठिन परीक्षण को सफ़लतापूर्वक पास कर चुकी हैं। इस किट को बनाने वाली टीम में कुसुमा स्कूल ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंस के प्रोफेसर वी राम गोपाल राव, प्रोफेसर विवेकानंद पेरूमल, प्रोफेसर कुंडू, प्रोफेसर मनोज बालाकृष्णन के साथ ही 1 अन्य प्रोफ़ेसर और छात्र सम्मिलित हैं। टीम का कहना है कि उसने देश में पहला केस आते ही इस टेस्टिंग किट को बनाने का काम शुरू कर दिया था लेकिन कुछ समस्याएँ आ रही थीं, जिन्हें बाद में सुधार लिया गया।
सटीक परिणाम के साथ ही किट के दाम भी कम होंगे
टेस्टिंग किट को बनाने वाली टीम का कहना है, “हमने कोरोना वायरस के एक ख़ास गुण को पहचाना है जो किसी और वायरस में नहीं पाया जाता है। इसी गुण के आधार पर ये किट सिर्फ़ कोरोना वायरस की ही पहचान करेगी।” साथ ही टीम का कहना है कि इस टेस्टिंग किट से कोविड 19 के संक्रमण का सटीक परिणाम मिलेगा। इस किट से जाँच के लिए संक्रमित व्यक्ति के थूक की एक बूंद की ही ज़रूरत होगी। इस किट की ख़ासियत यह भी है कि इससे कोरोना संक्रमण का पता पहले दिन से लेकर बाद के किसी भी स्तर तक लगाया जा सकेगा। टीम के एक प्रोफ़ेसर का कहना है, “इस किट में फ्लोरोसेंट कंपाउंड की जगह साइबर ग्रीन कंपाउंड का इस्तेमाल किया गया है, जिसका वजह से बाजार में इसकी कीमत बहुत कम होगी।” आपको बता दें कि इस किट का सफल परीक्षण नेशन स्कूल ऑफ़ पैथोलॉजी द्वारा भी किया जा चुका है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी टेस्ट किट बनाने वाली टीम से मुलाकात की और उनको बधाई देते हुए कहा है, “कोरोना वायरस से लड़ने में इस किट का बहुत बड़ा योगदान होगा”
बड़े स्तर पर उत्पादन से किट को विदेशों में भी एक्सपोर्ट किया जा सकेगा
कोरोना वायरस से बचने और उस पर रोक लगाने के लिए सबसे ज़रूरी है कि कम समय में अधिक से अधिक जाँच की जाए। जिससे संक्रमित व्यक्ति का पता चल सके और उसका इलाज किया जा सके। अभी इस किट के उत्पादन को लेकर साफ़ नहीं है कि कितनी मात्रा में इसका उत्पादन किया जा सकेगा, लेकिन इस किट के माध्यम से एक बड़ी सफ़लता आर्थिक स्तर पर भी मिलने की उम्मीद है। जहाँ एक तरफ़ चीन सारी दुनिया को इस महामारी के समय में भी अधिकतर ख़राब मास्क और किट्स भेज रहा है। तो वहीं बड़े स्तर पर किट का उत्पादन करने पर देश इस टेस्टिंग को विदेशों में एक्सपोर्ट कर सकता है। जिससे देश की साख और बढ़ने के साथ ही आर्थिक दृष्टि से भी नए दरवाज़े खुलेंगे।
देखने वाली बात ये भी होगी कि इस किट के उत्पादन का लाइसेंस किसे दिया जायेगा ? कोई प्राइवेट कंपनी इसका उत्पादन करेगी या सरकार स्वयं इसके उत्पादन की ज़िम्मेदारी लेगी ?