पति-पत्नी साथ नहीं रह सकते तो एक-दूसरे को छोड़ देना ही बेहतर: सुप्रीम कोर्ट

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1995 में शादी के बाद सिर्फ पांच-छह दिन साथ रहने वाले एक जोड़े से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप साथ नहीं रह सकते तो एक-दूसरे को छोड़ देना ही बेहतर है। दरअसल, पति पत्नी के साथ नही रहना चाहता है क्योंकि पत्नी की बेबुनियाद मांग वह पूरी नहीं कर सकता है।

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ SC में की अपील..

पत्नी ने हाईकोर्ट द्वारा तलाक के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने अपील करने वाली पत्नी से कहा कि आप प्रैक्टिकल हो जाएं, कोर्ट में पूरी जिंदगी आपस में लड़कर नहीं गुजारी जा सकती। आपकी उम्र 50 साल और पति की उम्र 55 साल है।

पत्नी की मांग जिसकी वजह से हुए अलग..

बता दें, इस मामले में पति ने दावा किया कि 13 जुलाई 1995 को शादी के बाद उसकी पत्नी, जो एक उच्च शिक्षित और संपन्न परिवार से आती है, ने उस पर अपनी बूढ़ी मां और बेरोजगार भाई को छोड़कर अगरतला में अपने घर में ‘घर जमाई’ के रूप में रहने के लिए दबाव डाला। उसने बताया कि पत्नी के पिता आईएएस अधिकारी थे। उसने मामला शांत कराने की काफी कोशिश की लेकिन पत्नी ससुराल छोड़कर मायके चली गई। तब से ही दोनों अलग रह रहे हैं।

पत्नी के वकील ने कहा -उच्च न्यायालय द्वारा तलाक की मंजूरी गलत..

सुप्रीम कोर्ट में पत्नी की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा तलाक की मंजूरी गलत थी। वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय ने भी इस बात को अनदेखा किया कि समझौते का सम्मान भी नहीं किया गया था। वहीं, पति की ओर से पेश वकील ने कहा उच्च न्यायालय ने क्रूरता और शादी के अपरिवर्तनीय टूट के आधार पर तलाक की अनुमति देना उचित था।

पति के वकील की पीठ से गुहार- अनुच्छेद-142 के तहत तलाक पर लगाए मुहर..

पति के वकील ने पीठ से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए तलाक पर अपनी मंजूरी की मुहर लगाएं। वकील ने कोर्ट में कहा कि साल 1995 में शादी के बाद पति कि जिंदगी बर्बाद हो गई है। दाम्पत्य संबंध केवल पांच-छह दिनों तक चला। पति पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता और स्थायी भरण पोषण देने को तैयार है। पीठ ने दंपति को स्थायी रखरखाव (गुजारा भत्ता) पर आपसी निर्णय लेने को कहा है साथ ही पीठ ने कहा अगर आप साथ नहीं रह सकते तो एक-दूसरे को छोड़ देना ही बेहतर है। कोर्ट ने दिसंबर में याचिका पर विचार करने का फैसला किया है।