सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास में तोड़फोड़ की IAMC ने निंदा की

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भारतीय अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाकर की गई बर्बरता और आगजनी के प्रयास की हालिया घटनाओं की कड़ी निंदा की है। आईएएमसी भारतीय मूल के अमरीकियों का सबसे बड़ा एडवोकेसी संगठन है जो अल्पसंख्यक समुदाय और सभी पिछड़े वर्गों के हक़, इंसाफ़ और अमन की लड़ाई लड़ता है।

ग़ौरतलब है अमेरिका में सैन फ़्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में पिछले दिनों खालिस्तानी समर्थकों ने आग लगा दी थी। आग में कोई घायल नहीं हुआ और उस पर तुरंत काबू भी पा लिया गया था लेकिन इससे अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों के बढ़ते हौसले का पता चलता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के कुछ दिन बाद ही हुई इस घटना की अमेरिकी सरकार ने भी निंदा की है और इसे आपराधिक कृत्य बताया है।

आईएएमसी के कार्यकारी निदेशक रशीद अहमद ने कहा, “हम किसी भी प्रकार की हिंसा या विनाश की निंदा करते हैं जो शांति, एकता और राजनयिक संस्थानों के सम्मान के सिद्धांतों को कमजोर करता है।”

उन्होंने कहा कि “हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस घटना की गहन जांच करने और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आग्रह करते हैं। हिंसा और विनाश के कृत्यों का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है, और जिम्मेदार लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।“

आईएएमसी भारत में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ होने वाले उत्पीड़न और दमन की घटनाओं को लेकर काफ़ी मुखर है और हिंदुत्ववादी चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अमेरिका में अभियान छेड़े हुए है, लेकिन वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता का पूरा सम्मान करता है। संगठन का मानना है कि हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने मिलकर भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी। ऐसे में बहुसंख्यकवाद को राजनीतिक लाभ का ज़रिया बनाना और ध्रुवीकरण के मक़सद से मुस्लिमों को निशाना बनाना भारतीय संविधान का अपमान है जो स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा हासिल है। इस संविधान में दर्ज वादों और इरादों का जन्म स्वतंत्रता आंदोलन के गर्भ से हुआ था। ये वही संकल्प थे जिन पर भरोसा करके भारतीय मुस्लिमों ने टू नेशन थ्योरी पर आधारित पाकिस्तान को नकार दिया था।

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान आईएएमसी ने भारत सरकार के मुस्लिम विरोधी रवैये को लेकर सार्वजनिक प्रदर्शनों और कार्यकर्मों का आह्वान किया था जिसमें भारतीय मूल के तमाम नागरिकों ने हिस्सा लिया था। इसके लिए आईएएमसी ने हिंदू मानवाधिकार संगठनों और दलित संगठनों के साथ एक व्यापक नेटवर्क तैयार किया था जिसमें करीब सत्रह संगठन शामिल थे। इन सबकी माँग थी कि भारत में मुस्लिमों, इसाईयों, दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित समूहों पर हो रहे हिंदुत्ववादी हमलों को तुरंत रोका जाये। इस संदर्भ में अमेरिकी की बाइडन सरकार से भी माँग की गयी थी कि वे इन मुद्दों को नरेंद्र मोदी के सामने उठायें।

आईएएमसी ने व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी से भारतीय मुस्लिमों पर हो रह दमन से जुड़ा सवाल पूछने वाली पत्रकार पत्रकार सबरीना सिद्दीक़ी की ऑनलाइन ट्रोलिंग की भी कड़ी निंदा करते हुए स्वतंत्र पत्रकारिता को लोकतंत्र के लिए ज़रूरी बताया था।

 


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