देश में बहते आँसुओं के बीच पीएम हँस कैसे सकते हैं- प्रियंका


कांग्रेस महासचिव ने कहा कि वे महामारी के दौर में बिना दवा-इलाज के लोगों के मर रहे लोगों की ख़बरों से बेहद परेशान हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच तैयारियों का जिस तरह अभाव रहा है, वैसी लापरवाही और नाकारा सरकार उन्होंने कभी नहीं देखी।


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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने आज कोरोना से मुकाबले को लेकर केंद्र सरकार पर बेतरह ढिलाई का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर क़रारा हमला बोला। उन्होंने मोदी की प.बंगाल की रैलियों पर तंज़ करते हुए कहा कि जब देश के लोगों की आँख में आँसू हैं तो वे राजनैतिक रैलियों में हँस कैसे सकते हैं।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि वे महामारी के दौर में बिना दवा-इलाज के लोगों के मर रहे लोगों की ख़बरों से बेहद परेशान हैं। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बीच तैयारियों का जिस तरह अभाव रहा है, वैसी लापरवाही और नाकारा सरकार उन्होंने कभी नहीं देखी।

समाचार एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए प्रियंका गाँधी ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए यह समय लोगों के आँसू पोंछने और लोगों को जानलेवा वायसर से बचाने का है न कि चुनावी प्रचार करने का। उन्होंने का कि उनकी पार्टी पूरी संवेदनशीलता से ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने में जुटे हैं, लेकिन उनका प्रधानमंत्री से एक सवाल है- क्या यह राजनीतिक रैलियों में हँसने का समय है?

देश में दूसरी लहर आने पर सरकार की प्रतिक्रिया से जुड़े एक सवाल के जवाब में प्रियंका गाँधी ने कहा कि सरकार की प्रतिक्रिया बेहद निराशाजनक रही है। प्रधानमंत्री अभी भी चुनाव प्रचार जारी रखे हुए हैं जबकि लोग कोरोना की घातक लहर से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में, जब सरकार को चारों ओर फैली भयावह स्थिति से लड़ने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वह व्यावहारिक रूप से ग़ायब है। यहां तक ​​कि विपक्षी दलों के रचनात्मक सुझावों को पूरे देश की सरकार होने की भावना के साथ स्वीकार करने के बजाय राजनीतिकरण कहकर खारिज किया जा रहा है।

प्रियंका गाँधी ने कहा कि वे देश भर के छोटे व्यवसायों में लगे लाखों गरीबों और लाखों ईमानदार श्रमिकों के बारे में चिंतित हैं? उन्होंने कहा कि वे आसन्न लॉकडाउन और उससे जुड़ी तक़लीफ़ों को देखते हुए क्या करेंगे? मोदी सरकार उन्हें मदद देने के लिए क्या कर रही है? यूपी सरकार के अपने सर्वे का नतीजा है कि 5 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं। दूसरे सर्वेक्षणों से भी दूसरी लहर आने के संकेत मिले थे। मोदी सरकार ने क्यों इस संबंध में हो रहे कुछ शोधकार्यों को रोका और निष्कर्षों को नजरअंदाज किया? डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और फ्रंटलाइन कार्यकर्ता देश भर में कोविड के खिलाफ युद्ध लड़ रहे और अपने जीवन को खतरे में डाल रहे हैं लेकिन प्रधान मंत्री ने उनका बीमा रद्द करके उनको दंडित कर रहे हैं।

 

 

 


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