बुधवार 4 दिसंबर से दिल्ली विश्वविद्यालय में हजारों शिक्षक अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. विवि में अभी एग्जाम का समय है. शिक्षकों ने परीक्षा निरक्षण करने से भी बायकॉट करने का आह्वान दिए हैं. यह प्रोटेस्ट एड-हॉक शिक्षकों को फिर से नियुक्त न करने और उनके वेतन पर रोक तथा एड-हॉक के जगह गेस्ट शिक्षकों की बहाली करने के खिलाफ किया जा रहा हैं.
विश्वविद्याल में एड-हॉक शिक्षकों की नियुक्ति लगभग 40 वर्षों से होती रही हैं. मौजूदा समय में लगभग पांच हज़ार एड-हॉक शिक्षकें कार्यरत हैं. जिनकी नौकरी पर तलवार लटकी हुई हैं, जबकि इसे स्थाई किया जाना था. 28 अगस्त को विश्वविद्यालय एक नोटिफिकेशन जारी करता है, जिसमें लिखा होता हैं कि सभी कॉलेजों तथा विभागों में आगे से रिक्त पदों पर गेस्ट फैकल्टी बहाल किए जाएं. यानी एड-हॉक की नियुक्ति बंद. लेकिन उस समय जो कार्यरत एड-हॉक शिक्षक थे, उसको लेकर कुछ भी साफ नहीं कहा गया था.
चूँकि एड-हॉक की नियुक्ति विशेष परिस्थिति में होती है जैसे ज्यादा वर्कलोड होने, शिक्षक के छुट्टी पर जाने तथा खाली हुई पदों को तत्काल प्रभाव से बचाने के लिए ताकि शैक्षणिक गतिविधियाँ प्रभावित न हो. डीयू में एड-हॉक की समय-सीमा 120 दिनों का होता हैं. यह समय समाप्त होते ही फिर नियुक्त किया जाता है अथवा फिर से इंटरव्यू प्रक्रिया शुरू की जाती है. इस बार अधिकतर कॉलेजों में यह समय सीमा 19 नवम्बर को ख़त्म हुआ. जहाँ इसे जारी रखने के लिए रेन्यु होना था वहीं इस इस व्यवस्था को ही ख़त्म करने का आदेश दे दिया गया.
हाल ही में विश्वद्यालय कुलपति के तरफ से जारी नोटिफिकेशन के बाद बीते शुक्रवार को विवि के प्रिंसिपल एसोसिएशन का मीटिंग हुआ. जिसमें निर्णय लिया गया कि जब तक कुलपति की ओर से सब साफ नहीं हो जाता तब तक एड-हॉक शिक्षकों को रेन्यु नहीं किया जाएगा. लगभग सभी कॉलेजों के प्रिंसिपलों ने एक जैसा नोटिस भी जारी कर चुके हैं. शिक्षक इसी फ़रमान का विरोध कर रहे हैं.
विरोध के तौर पर डूटा के तरफ से कुलपति ऑफिस तक का मार्च किया गया. जिसमें हजारों संख्या में शिक्षक शामिल थे. विरोध कर रहें शिक्षकों ने आर्ट्स फैकल्टी के सामने वाले प्रशासन विभाग के 4 नम्बर गेट को तोड़ कर वीसी कार्यालय तक पहुंचे.
विरोध मार्च में शामिल शिक्षकों का कहना हैं कि यह एक ऐतिहासिक मार्च है क्योंकि आज तक ऐसा नहीं हुआ कि कुलपति ऑफिस के अंदर कोई मार्च पहुंचा हो. हमने विवि के उस कमरे तक को घेर रखा हैं, जिसमें अकादमिक तथा एग्जीक्यूटिव काउंसिल का मीटिंग होता रहा हैं.
विरोध में शामिल रामजस कॉलेज में पढ़ा रहे पूजा कहती है कि “एड-हॉक का कार्यकाल 120 दिनों का होता हैं. आगे जारी रखने के लिए फिर से इंटरव्यू या फिर रेनुअल होके अपॉइंटमेंट लेटर मिलता हैं. इसबार 19 नवम्बर को पड़ा हैं. कुछ कॉलेजों में अपॉइंटमेंट बिलकुल रोक दिया गया हैं. कुछ में काम लिया गया है लेकिन अब वेतन पर भी रोक लगा दिया गया.” आगे वे कहती है- “चूँकि यह सेमस्टर एग्जाम का समय है इसलिए प्रेसर बनाया जा रहा है कि हम आके सेवा दें लेकिन हम इसका बहिष्कार करते हैं. यह मसला सिर्फ क़ानूनी और संवैधानिक अधिकार की नहीं हैं बल्कि यह सामाजिक न्याय का सवाल हैं. दस-बीस साल से लोग यहाँ एड-हॉंक पर हैं लेकिन अब अचानक आप कहते है कि हम इसे ख़त्म कर रहे हैं. लोग यहाँ 35-40 साल के हो गए. अब वे क्या रोजगार ढूढेंगे! कहाँ जायेंगे! यह सिर्फ पैसे और नौकरी का सवाल नहीं हैं बल्कि हमारे जीवन का हो गया है.”
सत्यवती कॉलेज (संध्या) में पढ़ा रहे संतोष यादव का कहना है कि “डीयू वीसी का लेटर फ़रमान ठीक उसी तरह है, जिस तरह उत्तर प्रदेश में योगी ने एक साइन से रातों-रात 25000 होम गार्डों की नौकरी ले ली. इस फ़रमान से लगभग 5000 शिक्षकों की नौकरी अधर में डाल दिया गया हैं. जबकि इस लेटर की मान्यता कहीं से भी नहीं है- न इसे ईसी में पास किया गया और न ही एसी में. इसका प्रोविजन न तो यूजीसी से है और न ही MHRD से. यह महज़ वीसी के सनक का नतीज़ा है. इसके खिलाफ प्रोटेस्ट होना था. हुआ और आगे यह तब तक नहीं रुकेगा, जब तक कि वीसी अपने फ़रमान को वापस नहीं ले लेते.
वीसी के फ़रमान का विरोध कर रहे है शिक्षक निरंजन महतो कहते है- “स्थायी नियुक्ति नहीं होने के कारण जिस अनिश्चितता का शिकार शिक्षक हो रहे हैं, उसका सीधा असर छात्रों के पढाई पर पड़ रहा हैं. हमारी नौकरी पर हमेशा तलवार लटकी रहती है.
मार्च में विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक शामिल थे. एड-हॉंक के समर्थन में कई स्थायी शिक्षक भी थे. कई कॉलेजों के स्टाफ एसोसिएशन भी अपने बैनर लिए घूम रहे थे. एड-हॉक की इस लड़ाई में डूटा भी साथ है. उसी के बैनर तले यह विरोध किया जा रहा हैं.