कवि विष्‍णु खरे को ब्रेन स्‍ट्रोक के बाद पक्षाघात, इलाज में देरी के चलते स्थिति जटिल

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दिल्ली के जी.बी पंत अस्पताल की आईसीयू के वार्ड नंबर 6 के बेड नंबर 16 पर लेटे, हिंदी के श्रेष्ठ कवि और अनुवादक विष्णु खरे होश में हैं लेकिन शरीर के बाएँ हिस्से में लकवा मार गया है।

विष्णु खरे को कल रात किसी वक्त ब्रेन स्ट्रोक हुआ। पता सुबह चला, जब दूधवाला आया। घर का दरवाज़ा खुला हुआ था। वे मयूर विहार के हिंदुस्तान अपार्टमेंट में किराए के एक कमरे में अकेले रहते हैं। वे कुछ साल पहले दिल्ली छोड़कर मुम्बई चले गए थे जहाँ उनके बच्चे रहते हैं। हाल ही में उन्हें दिल्ली हिंदी अकादमी का उपाध्यक्ष बनाया गया था जिसके बाद वे वापस आए।

ब्रेन स्ट्रोक की जानकारी सबसे पहले उनके पड़ोसी और वरिष्ठ पत्रकार परवेज़ अहमद को हुई। वे पास के निजी अस्पताल में विष्णु जी को लेकर गए, लेकिन उसने हाथ खड़े कर दिए। हारकर उन्होंने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से संपर्क किया जिन्होंने जी.बी.पंत अस्पताल ले जाने और सारी व्यवस्था को लेकर निश्चिंत रहने का आश्वासन दिया। परवेज़ जी उन्हें अस्पताल ले आए।

लेकिन सी.टी स्कैन आदि के बाद डॉक्टरों ने चिंता ज़ाहिर की है कि उन्हें लाने में विलंब हो गया है इसलिए स्थिति थोड़ी जटिल हो गई है। स्ट्रोक के छह घंटे के अंदर मरीज़ के आ जाने पर थक्के घुलाने वाली दवाएं ज़्यादा असर कर पाती हैं। उनका पेशाब भी नहीं रुक पा रहा है।

विष्णु जी अपने बेटे को बार बार पूछ रहे हैं जो मुम्बई से चल चुके हैं। यहाँ हिंदी अकादमी के सचिव जीतराम भट्ट समेत तमाम कर्मचारी तीमारदारी में तैनात हैं। बड़ी तादाद में साहित्यकार और पत्रकार भी हाल चाल जानने पहुँच रहे हैं। शाम सात बजे अस्पताल में मंगलेश डबराल, विष्णु नागर. देवी प्रसाद मिश्र, रवींद्र त्रिपाठी, मनोहर नायक, सरबजीत गार्चा, पंकज राग वहाँ आ चुके थे, जब मीडिया विजिल संवाददाता पहुँचा।


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