उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और कांग्रेस के बीच राजनीतिक तकरार लगातार और तीखी होती जा रही है। सरकार ने यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज की है। यूपी सरकार को बसों की सूची भेजने के मामले में गड़बड़ी और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए संदीप सिंह और अजय कुमार लल्लू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
वहीं आगरा के पास राजस्थान-यूपी सीमा पर कांग्रेस कार्यकर्ता अभी भी बसों के साथ डटे हुए हैं. ये कार्यकर्ता प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए करीब 600 बसों के साथ लखनऊ जा रहे थे। लेकिन उन्हें यूपी बॉर्डर ऊंचा नगला के पास रोक दिया गया। इस दौरान यहां कांग्रेस नेताओं और पुलिस के बीच जमकर नोकझोंक हुई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन कांग्रेस कार्यकर्ता वहां जमे हुए हैं. कांग्रेस नेताओं ने फैसला किया है कि वो आज शाम 4 बजे तक यहीं बैठकर अनुमति का इंतज़ार करेंगे और उसके बाद आगे का फैसला करेंगे।
सरकार न मज़दूरों के लिए अपनी बसें चला रही है और न कांग्रेस के एक हज़ार बसें चलाने के प्रस्ताव को खुले दिन से स्वीकार कर रही है। बीते कई दिनों से कांग्रेस और यूपी की बीजेपी सरकार के बीच यह लुकाछिपी चल रही है। कांग्रेस की अपनी बसें चलाने का प्रस्ताव पर यूपी सरकार ने कई तरह के अड़ंगे लगाये। लखनऊ लाकर बसें दिखाने की आदेश दिया, जब कांग्रेस ने इसकी तैयारी की तो बसों को बार्डर पर रोक दिया। फिर बताया कि कई नंबर बस नहीं एंबुलेंस वगैरह के हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार शुरू किया गया जबकि जो 879 बसें सरकारी कसौटी पर ठीक थीं, उन्हें भी नहीं चलने दिया गया। ज़ाहिर है, कांग्रेस कार्यकर्ता गुस्से में हैं। यह सब न होता तो हजारों बसों को अब तक घर पहुँचाया जा सकता था। लेकिन बसें सीमा पर खाली खड़ी हैं।
बसों की सूची पर जारी घमासान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि “उप्र सरकार का खुद का बयान है कि हमारी 1049 बसों में से 879 बसें जाँच में सही पायीं गईं। ऊँचा नागला बॉर्डर पर आपके प्रशासन ने हमारी 500 बसों से ज्यादा बसों को घंटों से रोक रखा है। इधर दिल्ली बॉर्डर पर भी 300 से ज्यादा बसें पहुँच रही हैं। कृपया इन 879 बसों को तो चलने दीजिए हम आपको कल 200 बसें की नयी सूची दिलाकर बसें उपलब्ध करा देंगे। बेशक आप इस सूची की भी जाँच कीजिएगा। लोग बहुत कष्ट में हैं। दुखी हैं। हम और देर नहीं कर सकते।
..हम आपको कल 200 बसें की नयी सूची दिलाकर बसें उपलब्ध करा देंगे। बेशक आप इस सूची की भी जाँच कीजिएगा।
लोग बहुत कष्ट में हैं। दुखी हैं। हम और देर नहीं कर सकते।
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— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 19, 2020
दरअसल यूपी सरकार यह कह कर कांग्रेस पर मंशा पर सवाल उठा रही है कि उसकी ओर से दी गई 1049 बसों की सूची में 31 ऑटो, 69 एम्बुलेंस/ट्रक और दूसरे वाहन हैं, जबकि 70 वाहनों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है।
एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि “उप्र सरकार ने हद कर दी है। जब राजनीतिक परहेजों को परे करते हुए त्रस्त और असहाय प्रवासी भाई बहनों को मदद करने का मौका मिला तो दुनिया भर की बाधाएँ सामने रख दिए। योगी आदित्यनाथ जी इन बसों पर आप चाहें तो भाजपा का बैनर लगा दीजिए, अपने पोस्टर बेशक लगा दीजिए लेकिन हमारे सेवा भाव को मत ठुकराइए क्योंकि इस राजनीतिक खिलवाड़ में तीन दिन व्यर्थ हो चुके हैं। और इन्ही तीन दिनों में हमारे देशवासी सड़कों पर चलते हुए दम तोड़ रहे हैं।
.. को मत ठुकराइए क्योंकि इस राजनीतिक खिलवाड़ में तीन दिन व्यर्थ हो चुके हैं। और इन्ही तीन दिनों में हमारे देशवासी सड़कों पर चलते हुए दम तोड़ रहे हैं। 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 19, 2020
वहीं यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से उनके निजी सचिव संदीप सिंह ने यूपी सरकार के अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखकर कहा है कि वो 20 मई शाम 4 बजे तक अपनी बसों के साथ यूपी बॉर्डर पर बैठे रहेंगे। पत्र में कहा गया है कि “आपके 19 मई के पत्र के अनुसार हम 19 मई सुबह से बसों के साथ यूपी बॉर्डर पर खड़े हैं। आपके आग्रह अनुसार जब हमने नोएडा-गाजियाबाद की तरफ चलने की कोशिश की तो आगरा बॉर्डर पर यूपी पुलिस ने हमको रोक लिया। पुलिस ने यूपीसीसी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जी के साथ दुर्व्यवहार कर गिरफ्तार किया है।”
संदीप सिंह ने पत्र में लिखा है कि “हमने अपने हर पत्र में साफ-साफ कहा है कि श्रमिकों की मदद करना हमारा पहला ध्येय है। आज पूरा दिन हम बसों के साथ यहीं रहे और आपकी तरफ से हमारे द्वारा भेजे गए पत्र का कोई जवाब भी नहीं आया। इस पत्र के माध्यम से आपको यह सूचित करना चाहते हैं कि हम अपनी बसों के साथ यहीं मौजूद हैं और 20 मई शाम 4 बजे तक यहीं रहेंगे। प्रवासी श्रमिकों के कष्ट को कम करने के लिए हम कटिबद्ध हैं। आशा है कि श्रमिकों को मदद पहुंचाने को ध्यान में रखते हुए आपकी तरफ से कोई सकारात्मक जवाब आएगा।”
यूपी कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि दिन के उजाले की तरह साफ है कि भाजपा चाहती ही नहीं कि प्रवासी मजदूर अपने घर जाएं। वे गरीबों की सलामती चाहते ही नहीं। गरीब दुर्घटना में मरे, भूख से मरे, उस पर लाठी चार्ज हो, उसकी गरिमा की धज्जियां उड़ाई जाएं, बीजेपी को फर्क नहीं पड़ता। यूपी कांग्रेस का कहना है कि हम द्दढ़ संकल्प के साथ डटे हैं। हम रात भर यहीं रहे। आज भी हम यहीं रहेंगे। सारी बसें भी यहीं यूपी बॉर्डर पर रहेंगी। हम इन बसों को चलवाने का प्रयास करते रहेंगे।
दरअसल 18 मई की रात यूपी सरकार ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव को पत्र लिखकर सभी एक हजार बसों के फिटनेस सार्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस और परिचालकों का विवरण लेकर सुबह दस बजे लखनऊ पहुचने को कहा था। जब कांग्रेस कार्यकर्ता लखनऊ जाने के लिए करीब 600 बसों के साथ आगरा के पास यूपी बॉर्डर ऊंचा नगला पहुंचे तो उन्हें यूपी में ही नहीं घुसने दिया गया. इसके बाद दिन भर यहां हंगामा होता रहा।
करीब पौने चार बजे भी प्रियंका गाधी के निजी सचिव ने यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिखकर कहा था कि “आज 11.05 पर लिखे गए पत्र में आपने हमसे सभी बसें नोएडा और गाजियाबाद पहुंचाने का आग्रह किया। हम बसों को लेकर लगभग 3 घंटे से यूपी बॉर्डर पर, ऊंचा नागला पर खड़े हैं लेकिन आगरा प्रशासन हमें अंदर घुसरे नहीं दे रहा है। एक बार फिर आपसे कहना चाहते हैं कि ये वक्त संवेदनशीलता दिखाने का है। आप तत्काल हमारी समस्त बसों को अनुमति पत्र भेजिए ताकि हम आगे बढ़ सकें।” लेकिन इस पत्र का भी कोई जवाब नहीं दिया गया।
कोरोना काल में ये कांग्रेस और भाजपा के बीच की राजनैतिक लड़ाई और तीख़ी होते जाने का संकेत है। हालांकि कांग्रेस की ओर से लगातार ये कहा जा रहा है कि भले ही भाजपा और यूपी की योगी सरकार, इन बसों पर अपने बैनर लगा कर प्रवासी श्रमिकों को ले जाए, लेकिन उनकी मदद करे। जबकि योगी सरकार, पिछले 3 दिन से, हर कुछ घंटे पर कांग्रेस के सामने एक और नई शर्त रख दे रही है। ऐसे में ये सैकड़ों बसें उत्तर प्रदेश की सीमा पर खड़ी हैं और प्रवासी श्रमिक उसी हाल में हैं, जिसमें वो तीन दिन पहले थे।