कोरोना लील सकता है 30 करोड़ लोगों की नौकरी- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन

आदर्श तिवारी
ख़बर Published On :

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन से साभार


कोरोना वायरस के रोज़ाना बढ़ते मामलों की वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ ही पूरी दुनिया के लोग नौकरी गंवाने और बेरोज़गार होने की तरफ़ भी बढ़ रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन के अनुसार विश्व भर में करीब 30 करोड़ लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से जून के दौरान सिर्फ़ तीन महीने में ही 30 करोड़ लोगों की नौकरियां ख़त्म होने का अनुमान है। जबकि अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने अपनी पिछले अनुमान में बताया था कि जून तिमाही में औसतन 48 घंटे की नौकरी वाले करीब 19 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी खोनी पड़ सकती है। संगठन के अनुसार इस महामारी में अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 1.6 अरब लोगों के ऊपर खतरा मंडरा रहा है। कोरोना के चलते उनके पास रोजी-रोटी का कोई विकल्प नहीं हैं। ये संख्या विश्वभर में काम करने वाले लोगों की 3.3 अरब की संख्या से आधा है।

फोटोग्राफ सौ. योगेंद्र सिंह
(https://www.pexels.com/@yogendras31)

कमाई में 60 प्रतिशत से अधिक गिरावट  

बता दें कि कोरोना महामारी की वजह से अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने अपने पहले के अनुमान को संशोधित किया है। संगठन के अनुसार सबसे ज़्यादा खतरा रिटेल और मैन्युफैक्चरिंग रिस्क जैसे क्षेत्रों में 43 करोड़ से अधिक उद्यमों पर है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन ने ये भी बताया कि लॉकडाउन के चलते श्रमिकों की कमाई में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गयी है। भारत की बात करें तो सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी के अनुसार भारत में बेरोजगारी की दर 30.9 फ़ीसदी तक बढ़ सकती है।

कमज़ोर श्रमिकों को सबसे अधिक समस्या

अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन के महानिदेशक ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सबसे अधिक सुरक्षा की ज़रूरत कमज़ोर श्रमिकों को है। अगर उनकी आय नहीं है तो न तो उनके पास खाना होगा न ही सुरक्षा और न ही उनका कोई भविष्य होगा। विश्व में व्यवसाय संकट में हैं। उनके पास कोई बचत नहीं है। दुनिया में काम करने वाले ये ही असली व्यक्ति हैं। अगर हम उनकी मदद नहीं कर सके तो वो तबाह हो जाएंगे।

रोजगार गंवाने और पैसों की तंगी के बीच आईजीआईडीआर की एक रिपोर्ट आई है

रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन से पहले के माह के मुकाबले दालों की कीमत में 6 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है। खाने के तेल का दाम 3.5 फ़ीसदी तक बढ़ गया है। आलू का रेट 15 फ़ीसदी, टमाटर का 28 फ़ीसदी तक बढ़ा है। साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि छोटे शहरों में दाम ज़्यादा बढ़े हैं। कुछ जगह तो खुदरा कीमतें 20 फ़ीसदी तक बढ़ गयी हैं। आईजीआईडीआर का कहना है कि ज़रूरी सामानों की खरीद और ट्रांसपोर्ट को दी जानी वाली छूट के बावजूद उतनी छूट नहीं मिल पा रही है। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन में बाज़ार का अव्यवस्थित होना इसकी सबसे बड़ी वजह है।


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