
सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को उम्मीद लगाए बैठे कश्मीरी पंडितों को काफी निराश होना पड़ा। कश्मीर की विशिष्ट स्थिति से जुड़े अनुच्छेद 35ए को समाप्त किए जाने संबंधी चार याचिकाओं पर अदालत ने सुनवाई को आठ सप्ताह टाल दिया। ऐसा केंद्र सरकार के अनुरोध पर किया गया। सरकारी वकील ने इसे छह माह तक टालने का अनुरोध किया था। उनकी दलील थी कि चूंकि कश्मीर के मामले में एक सरकारी वार्ताकार नियुक्त किया जा चुका है, लिहाजा सुनवाई में वक्त लिया जाना चाहिए।
अदालत ने इसी आधार पर सुनवाई को आठ हफ्ते यानी दो करीब दो महीना टाल दिया। इस सुनवाई को लेकर कश्मीरी पंडित समुदाय में काफी जिज्ञासा थी। फैसला आते ही सोशल मीडिया पर एक बार फिर इस समुदाय के लोगों की हताशा साफ़ दिखी है। पिछले कुछ दिनों से कश्मीरी पंडित केंद्र की सरकार से वैसे भी बहुत नाराज़ हैं। ट्विटर समेत तमाम माध्यमों पर इस समुदाय से आने वाली मशहूर हस्तियां केंद्र को लानत भेज रही हैं।
Article 35A: Indian Government sought 6 months time. Supreme Court grants 8 weeks. https://t.co/xlkCKMRScV
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) October 30, 2017
यह अपने आप में थोड़ा चौंकाने वाली बात हो सकती है क्योंकि परंपरागत रूप से कश्मीरी पंडित कश्मीर घाटी से अपने विस्थापन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार मानते आए हैं। भारतीय जनता पार्टी हमेशा ही कश्मीरी पंडितों का मुद्दा प्रमुखता से उठाती रही है लिहाजा इस समुदाय का राजनीतिक रुझान भी राष्ट्रवादी ताकतों की ओर रहा है।
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के तीन साल बाद हालांकि कश्मीरी पंडित थोड़ा आक्रोशित हैं। इसकी एक वजह तो सुप्रीम कोर्ट का वह फैसला है जिसमें अस्सी के दशक में समुदाय के लोगों की हत्या के मामले में इंसाफ़ के लिए दूसरी बार दाखिल की गई याचिका को अदालत ने यह कहते हुए रद्द कर दिया है कि 27 साल बीत चुका है और अब बहुत देर हो चुकी है।
KP Lawyer in Supreme Court: 215 FIRs registered against killers of Kashmiri Hindus between 1990-1995. Not one case investigated by JK State and/or Centre
Pls do us justiceSupreme Court Chief Justice: Are you making a drama here?Political speech? Where were you all these years?
— True Indology (@TrueIndology) October 27, 2017
बीते दिनों सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और डीवाइ चंद्रचूड़ की एक खण्डपीठ ने 24 जुलाई को कश्मीरी पंडितों की खारिज की गई एक याचिका को चुनौती देती हुई दूसरी याचिका पर बंद कमरे में सुनवाई करते हुए उसे खारिज कर डाला। ”रूट्स इन कश्मीर” के बैनर तले कश्मीरी पंडितों ने अदालत द्वारा खारिज की गई याचिका को चुनौती दी थी।
Lives of Kashmiri Hindus not important for courts that try to control Hindu temples. Colonial arrogance continues.https://t.co/jiwpk59pDS
— Dr David Frawley (@davidfrawleyved) October 28, 2017
पुनरीक्षा याचिका में इस संस्था ने 1984 के सिख विरोधी दंगे में हत्या के 241 मामलों को बंद किए जाने संबंधी एसआइटी के फैसले की जांच संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा था कि अगर 33 साल पहले हुए दंगे को दोबारा खोला जा सकता है तो वे 27 साल पहले हुई कश्मीरी पंडितों की हत्याओं में जांच की दोबारा मांग क्यों नहीं कर सकते। उनका कहना है कि हत्या के ऐसे कुल 70 मामलों में अब तक किसी को सज़ा नहीं हुई है।
@rashtrapatibhvn @narendramodi ji. Please intervene & give justice to #KashmiriPandits. https://t.co/VZGURbFpkX via @MailOnline
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) October 27, 2017
अब यह संस्था एक क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने का सोच रही है। क्यूरेटिव याचिका पुनरीक्षा याचिका के बाद आखिरी मौका होता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर कश्मीरी पंडितों की ओर से भीषण प्रतिक्रियाएं आई हैं। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रवाद के घनघोर समर्थक फिल्मकार अशोक पंडित ने ट्विटर पर फैसले के खिलाफ लिखा है। वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का भी गुस्सा सामने आया है। ”रूट्स इन कश्मीर” ने सर्वोच्च अदालत के फैसले को ”इंसाफ का मज़ाक” करार दिया है।
Can we call Supreme Court judges scumbag bastards for rejected Kashmiri pandit mass killing Investigation plea.
— Ram Jethmalani (@Ram_Jethmalani_) October 29, 2017
इस बीच कश्मीरियों से संवाद करने के लिए आइबी के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा की केंद्र सरकार के मध्यस्थ के तौर पर नियुक्ति को लेकर भी पंडित आक्रोश में हैं। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि भाजपा सरकार जो लगातार अलगाववादियों से संवाद के खिलाफ रही है, अचानक पलटी मार लेगी। अशोक पंडित ने इस पर भी असंतोष जताया है। विद्वान डॉ. डेविड फ्रॉली ने ट्वीट किया है कि हिंदू मंदिरों पर नियंत्रण की कोशिश करने वाली अदालतों के लिए हिंदुओं की जिंदगी अहम नहीं है।
As a #KashmiriPandit & victim of terrorism in #Kashmir, I feel let down by the thought of ‘talks’ in J&K by @rajnathsingh ji. #KashmirUTurn
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) October 23, 2017
इसी बीच दिवाली पर कुलगाम में एक कश्मीरी पंडित परिवार पर हुए हमले की खबर ने भी समुदाय को भड़का दिया है। भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार में कश्मीर के मामलों के प्रभारी राम माधव ने अब तक इन स्थितियों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।