कश्मीर के हालिया घटनाक्रम को लेकर पाकिस्तान ने पत्र लिख कर औपचारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग की थी, ताकि जम्मू कश्मीर से भारत की तरफ से खत्म किए गए विशेष दर्जे पर चर्चा की जा सके. उस पत्र के समर्थन में चीन ने भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक की मांग की थी जिस पर आज चर्चा होनी है. चीन के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की शुक्रवार को एक बैठक होगी, जिसमें इस मसले पर परिषद के सदस्यों के बीच (क्लोज्ड डोर) में मंत्रणा करेगी. न्यूयार्क के स्थानीय समय के हिसाब से सुबह 10 बजे बैठक होगी. जबकि भारतीय समयानुसार बैठक का समय शाम साढ़े सात बजे है. पाकिस्तान ने इस बारे में अगस्त महीने में सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष पोलैंड को पत्र लिखा था. इस विषय पत्रकार अनिल जैन ने अपने फेसबुक पर लिखा है : संपादक
The #UN Security Council (#UNSC) is to hold closed-door consultations on the #Kashmir developments on August 16 at the request of #China, a #diplomat at the Security Council told IANS on August 15.
Photo: IANS pic.twitter.com/B0tRp6BvIB
— IANS (@ians_india) August 15, 2019
कूटनीतिक मामलों में चीन भारत को अपमानित करने का कोई मौका नहीं छोडता। इस समय भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन की यात्रा पर हैं। वे जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के मसले पर चीनी नेतृत्व को भारत का पक्ष समझाने तथा चीन का समर्थन हासिल करने के मकसद से वहां गए हुए हैं। वहां पहुंचकर उन्होंने बयान दिया कि भारत और चीन को एक दूसरे की चिंताओं का सम्मान करना चाहिए। भारतीय विदेश मंत्री के बयान में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन अहंकारी और खुदगर्ज चीनी नेतृत्व ने पहले कभी भारत की चिंताओं का सम्मान किया हो तो अब करे।
उसने एस.जयशंकर के बयान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जताने के बजाय उनकी चीन में मौजूदगी के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मांग कर डाली कि कश्मीर मसले पर विचार करने के लिए सुरक्षा परिषद की ‘बंद कमरा बैठक’ बुलाई जाए। भारतीय विदेश मंत्री के बयान को नजरअंदाज करते हुए अपने देश में उनकी मौजूदगी के चलते ही चीन का यह पैंतरा स्पष्ट रूप से भारत का अपमान है।
चीनी राजनयिकों के मुताबिक सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष ने चीन की मांग मान ली है और शुक्रवार को ही कश्मीर मसले पर सुरक्षा परिषद की ‘बंद कमरा बैठक’ होने जा रही है। सुरक्षा परिषद में कश्मीर मसले पर चर्चा अपने आप में काफी दुर्लभ मामला है। पिछली बार 1965 में इस मसले पर सुरक्षा परिषद की पूर्ण बैठक में चर्चा हुई थी।
China: External Affairs Minister Subrahmanyam Jaishankar meets Foreign Minister of China, Wang Yi in Beijing. pic.twitter.com/6RHgad285b
— ANI (@ANI) August 12, 2019
गौरतलब है कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के भारत के आंतरिक मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाकर उसका औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीयकरण करने के लिए छटपटा रहा है। इस सिलसिले में वह हर मुमकिन पैतरेबाजी कर रहा है। इस्लामाबाद ने ही सबसे पहले कश्मीर मसले पर सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की थी। उसकी इस कोशिश को अब स्पष्ट रूप से चीन का साथ मिल गया है। वैसे खुद चीन भी लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित इलाका बनाने के फैसले पर अपना ऐतराज पहले ही जता चुका है और अब उसने सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग कर स्पष्ट रूप से जता दिया है कि वह कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के साथ है।
चीन की यह हरकत चार दशक पुराने उस वाकये की याद ताजा कराने वाली है, जब जनता पार्टी की सरकार के विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत-चीन द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार के लिए चीन की यात्रा पर गए थे। उस समय चीन और विएतनाम के बीच तनातनी चल रही थी, जिसके मद्देनजर वाजपेयी को सलाह दी गई थी कि वे इस समय चीन की यात्रा न करें। चीन के नापाक इरादों के प्रति आगाह करते हुए यह सलाह देने वालों में समाजवादी नेता मधु लिमये भी थे, जो उस समय जनता पार्टी के महासचिव थे। लेकिन वाजपेयी उनकी सलाह को नजरअंदाज करते हुए चीन गए थे। उस समय भी चीन ने भारतीय विदेश मंत्री की अपने यहां मौजूदगी के चलते ही भारत के मित्र देश विएतनाम पर हमला कर दिया था, जिसकी वजह से वाजपेयी को अपनी यात्रा अधूरी छोड कर भारत लौटना पडा था।