चुनाव चर्चा: बज गया बिगुल या राजा का बाजा बजा !


चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही देश में चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी है.




चंद्र प्रकाश झा 

भारत की 17वीं लोकसभा के चुनाव के परिणाम 23 मई को सामने आ जायेंगे  मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार की फुर्सत की शाम अन्य चुनाव आयुक्तों, अशोक लवासा और सुशील चंद्रा के साथ विज्ञान भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में आम चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी। इस घोषणा की प्रतीक्षा पिछले कई दिनों से की जा रही थी। अरोड़ा जी ने पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे माहौल के बीच खुद पिछले सप्ताह लख़नऊ में दो टूक कहा था कि आम चुनाव ‘समय पर’ होंगे।  सर्वविदित है कि मौजूदा 16वीं लोक सभा की पहली बैठक चार जून 2014 को हुई थी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पांच वर्ष का उसका निर्धारित कार्यकाल 3 जून 2019 को स्वतः समाप्त हो जाएगा। नई लोक सभा के चुनाव कार्यक्रम के अनुसार देश के 29 राज्यों और सात केंद्र शासित प्रदेशों की कुल मिलाकर 543 सीटों पर मतदान 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरण में कराये जाएंगे.

प्रथम चरण का मतदान 11  अप्रैल को 20 राज्यों की 91 सीट , 18 अप्रैल को 13 राज्यों की 97 सीट, 23 अप्रैल को 14 राज्यों की 115 सीट, 29 अप्रैल को 9 राज्यों की 71 सीट, 6 मई को सात राज्यों की 51 सीट, 12 मई को सात राज्यों की 59 सीट और सातवें एवं अंतिम चरण का मतदान 19 मई को आठ राज्यों की 59 सीट पर  कराये जाएंगे। सभी सीटों पर मतगणना 23 मई को होगी. उसी दिन सबके परिणाम निकल जाने की आशा है. 2014 में पिछली 16वीं लोकसभा का चुनाव नौ चरण में कराया गया था. 

लोक सभा के साथ ही चार राज्यों- आंध्र प्रदेश, ओड़ीसा, सिक्किम और अरुणांचल प्रदेश की विधान सभा के भी नए चुनाव कराये जाएंगे। सिक्किम विधान सभा का मौजूदा कार्यकाल 27 मई, अरुणांचल प्रदेश विधान सभा का 1 जून,  ओड़िसा विधान सभा का 11 जून  और आंध्र प्रदेश विधान सभा का मौजूदा कार्यकाल 8 जून को समाप्त होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सुरक्षा कारणों से जम्मू -कश्मीर विधान सभा के नए चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है,  जो अभी भंग है। वहाँ सिर्फ लोकसभा चुनाव होंगे। जम्मू और कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव पांच चरणों में होंगे। अनंतनाग लोकसभा सीट पर सुरक्षा कारणों से मतदान तीन चरणों में होगा। राज्य में 11 अप्रैल, 18 अप्रैल, 23, अप्रैल,  29 अप्रैल और 6 मई को वोटिंग होगी। उन सबके नतीजे 23 मई को ही आएंगे।

15 राज्यों में एक ही चरण में मतदान होगा, इनमें से आंध्र प्रदेश की 25 , अरुणांचल प्रदेश की दो, मेघालय की दो, मिजोरम की एक, नागालैंड की एक, सिक्किम की एक, तेलंगाना की 17 , उत्तराखंड की 5 , अंडमान -निकोबार की एक , लक्षद्वीप की एक , तमिलनाडु की 39 और पुडुचेरी की एक सीट के लिए 18 अप्रैल  , गोवा की 2 , गुजरात की 26 , केरल की 20 , दमण एवं दीव की एक , दादरा नगर हवेली की एक सीट के लिए लिये 23 अप्रैल , , चंडीगढ़ की एक सीट  तथा पंजाब की 13 सीट के लिए 19 मई को और हरियाणा की 10 सीट   तथा दिल्ली की 7 सीटों के लिए 12 मई को मतदान होगा। दो चरण के मतदान वाले चार राज्यों में से कर्नाटक की 28 सीट के लिए 18 एवं 23 अप्रैल ,मणिपुर की दो सीट के लिए 11 एवं 18 अप्रैल , राजस्थान की 25 सीट के लिए 29 अप्रैल एवं 6 मई और त्रिपुरा की दो सीट के लिए 11 एवं 18 अप्रैल को मतदान होगा। तीन चरण वाले दो राज्यों में से असम की 14 और छत्तीसगढ़ की 11 सीट के लिए 11 , 18 एवं 23 अप्रैल को मतदान होगा।  चार चरण वाले चार राज्यों में से झारखंड की 14 और मध्य प्रदेश की 29 सीटों के लिए 29 अप्रैल , 6 , 12 और 19 मई को तथा महाराष्ट्र की 48 और ओडिसा की 21 सीटों के लिए 11 , 18 , 23 एवं 29 अप्रैल को मतदान होगा।  जम्मू -कश्मीर में 6 सीटों के लिए 11 , 18 , 23 एवं 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान होगा।  सात चरण वाले तीन राज्यों में से उत्तर प्रदेश की 80 , बिहार की 40 और पश्चिम बंगाल की 42 सीटों के लिए 11 , 18 , 23 , 29 अप्रैल तथा 6 , 12 और 19 मई को मतदान होगा।

चुनाव  कार्यक्रम घोषित होने के साथ ही देश में चुनाव आचार संहिता तत्काल प्रभाव से लागू हो गयी है. श्री अरोड़ा ने  बताया  समूची चुनाव प्रक्रिया 27 मई को सम्पन्न करने का लक्ष्य है.

सभी बूथ पर सीसीटीवी कैमरा होगा. मतदान ईलेक्ट्रनिक वोटिंग मशीनो (ईवीएम ) से होगा। ईवीएम के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल ( वीवीपीएटी ) मशीन भी लगी होगी। इस चुनाव में 90 करोड़ लोग वोट डालेंगे। करीब 10 लाख पोलिंग स्‍टेशन होंगे। पिछली बार 9 लाख पोलिंग स्‍टेशन  थे. इस चुनाव में 18-19 वर्ष के 1.5 करोड़  नए वोटर मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे 

जम्मू -कश्मीर में विधान सभा चुनाव तत्काल नहीं कराने का यही कारण बताया गया कि इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था का बंदोबस्त करने में जटिलताएं है। इसी बरस 16 जून को भाजपा की समर्थन वापसी से महबूबा मुफ्ती सरकार गिर जाने के बाद वहाँ पहले विधान सभा को  निलंबित किया गया और फिर तब उसे भंग कर दिया गया जब पीडीपी ने कांग्रेस और नैशनल कांफ्रेंस के समर्थन से नई सरकार बनाने के प्रयास किये। 19 दिसंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया , क्योंकि जम्मू -कश्मीर के अपने संविधान में गवर्नर रूल बढ़ाने का प्रावधान नहीं है।  भारत के संविधान से अलग , जम्मू -कश्मीर के अपने संविधान के प्रावधानों के तहत वहाँ विधान सभा का सामान्य कार्यकाल छह बरस का है.

(मीडिया विजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)