सरकार से सवाल करो तो सोशल मीडिया में गालियाँ पड़ती हैं और डर जाती है माँ !


सरकार से सवाल पूछना पाप है और अगर आपने ऐसा किया तो आप सबसे बड़े पापी।




फ़राह ख़ान

आज सरकार से सवाल पूछना पाप है और अगर आपने ऐसा किया तो आप सबसे बड़े पापी। उसके बाद आपकी ज़िंदगी में जो चरस बोया जाएगा उसके लिए आप ख़ुद जिम्मेदार होंगे। आपको सुबह शाम गंदी गालियां दी जाएंगी। आपको नौकरी से निकलवाने की धमकी मिलेंगी, आपके परिवार को टारगेट किया जाएगा ‘सुन अपनी आवाज़ रोक ले वरना तेरी मां, तेरी बीवी, तेरी बेटी को बीच चौराहे ले जाकर नौंचकर खा जाएंगे ।’

ये कोई काल्पनिक गाथा नहीं बल्कि हमारे समाज कि वो बदसूरत हक़ीक़त है जिससे रोज़ाना पत्रकारों को दो-चार होना पड़ता है। जिसमें मैं ख़ुद भी शामिल हूं। अगर कोई महिला पत्रकार सरकार से सवाल पूछने की ग़लती करती है तो फिर वो अपने चरित्र हनन के लिए तैयार रहे। सोशल मीडिया नाम की मंडी में सरेआम आपका सौदा किया जाएगा। आपको किसी भी पॉलिटिकल लीडर की रखैल बोल दिया जाएगा। आपकी बोली लगाई जाएगी। जिस पर तमाम सरकारी रहनुमा ठहाके लगाकर हंस रहे होंगे। आपसे पूछा जाएगा ‘कितने में बिकी हो?’, ‘उसमे ऐसा क्या है जो हममें नहीं है?’ ‘एक रात गुज़ारो तुम्हारी सारी नाराज़गी दूर हो जाएगी’, ‘साली रंडी कहीं की।’ इतनी इज़्ज़त से आपको नवाज़ा इसलिए जा रहा है क्योंकि आप सरकार से सवाल पूछ रहे हो।

डिजिटल इंडिया के इन डिजिटल गुंडो को पलटकर जबाव देने का मतलब है अपने हाथों ख़ुद का गला दबा लेना। ये लोग गैंग बनाकर पीछे पढ़ते हैं। एक को जवाब दिया तो वो अपनी गैंग बुलाकर लगाएगा। पहले तीन-चार आपको ज़लील कर रहे थे। अब 100-200 मिलकर ज़लील करेंगे। जिसे आज की डिजिटल ज़बान में कहते हैं ‘ट्रोल’ होना।

इन्हें नहीं पसंद कि आप सरकार से सवाल करें। ये बख़ूबी जानते हैं कि हर किसी की तरह एक पत्रकार की कमज़ोरी भी उसका परिवार होता है। ये आपको इतना डरा देंगे कि जब आपकी बेटी स्कूल के लिए घर से बाहर निकलेगी तो आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि ‘कहीं मेरी बेटी के साथ कुछ ऊंच-नीच न हो जाए।’ जब पत्नी दफ्तर जाएगी तो आपके दिमाग़ में ख़्याल आएगा कि ‘उसके चेहरे पर कोई तेज़ाब न फेंक दे।’ उस मां की चिंता होगी जो घर पर अकेली है, ‘मेरी मां को कोई गोली तो नहीं मार जाएगा न।’ आप घरवालों को समझाओगे कि ‘घबराओ मत ये लोग कुछ नहीं कर सकते’ लेकिन आप कहीं न कहीं जानते हैं कि ये लोग कुछ कर भी सकते हैं !

कुछ दिन पहले की बात है जब मम्मी ने मुझसे कहा ‘बेटा फेसबुक पर कुछ मत लिखा करो। महौल बहुत ख़राब है। तुम अकेले आती जाती हो, कोई कुछ करवा न दे।’  मम्मी को तो जैसे-तैसे मैंने समझ दिया कि ऐसा कुछ नहीं होगा,लेकिन उनकी ये बात ‘कोई कुछ करवा न दे’ दिमाग में दौड़ती रही कि आख़िर ये ‘कोई’ है कौन जिसने मेरी मां के दिल में डर बैठा दिया?

अपने होश में पहली बार पत्रकारिता और पत्रकार को इतने बुरे दौर से गुज़रता देख रही हूं। ट्विटर पर अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाता फिर रहा है। उसे काम नहीं करने दिया जा रहा। उसके परिवार को डराया जा रहा है। गोली मार दी जा रही है। नौकरी से निकाल दिया जा रहा है। जेल में डाल दिया जा रहा है और ये सब इसलिए कि वो सरकार से सवाल पूछ रहा है।

फ़राह ख़ान न्यूज़ 18 इंडिया की ऐंकर हैं। उनके फ़ेसबुक पेज से साभार।