संविधािन में अंतरिम बजट जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। बस वोट ऑन अकाउंट होता है।
प्रियंका गांधी की टी शर्ट छ्पे संदेश को कांग्रेस की कॉर्पोरेट कोटरी और बीजेपी को गौर से पढ़ना चाहिये
रिज़वाना का परिवार आजतक शबीर की गलती नहीं ढूंढ सका है
देश के भीतर का सिस्टम या तो पूंजी पर जा टिका है या पूंजीपतियो पर, जो सत्ता को भी गढ़ते हैं और सत्ता के जरिये खुद को भी। फिर सियासत डगमगाने लगे तो…
'वोटर और रिजल्ट के बीच टेक्नोलॉजी पर निर्भर करना असंवैधानिक है'- यह सिध्दांत जर्मनी की कोर्ट ने ईवीएम के इस्तेमाल के सुनवाई करते समय निर्धारित किया था
वामपंथी दलों का कहना है कि राज्य में साम्प्रदायिक सौहार्द में बिगाड़ और भाजपा के उभार के लिए टीएमसी जिम्मेवार है।
क्या नैतिकता का तकाजा नहीं है कि डोभाल खुद इसपर बोलें! या ये सिर्फ चुनाव के पहले केमैन आईलैंड की खबरों पर रोक लगाने की कोशिश है।
मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह भी येदिरुप्पा से काफी प्रभावित हैं और ऑपरेशन लोटस का मध्यप्रदेश संस्करण आजमाने को लेकर उतावले हो रहे हैं
महत्ता तभी होगी जब आप सत्ता केन्द्रित सियासत के साझीदार बन जायें। वरना आप हो कर भी कही नहीं हैं।
बेटी की मौत के बाद इंसाफ मांगने वाले सुक्रमपाल को हर रोज़ मौत की धमकियों और प्रशासन की अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है
गोदाम, चेक पोस्ट, बाइपास के उद्घाटन के लिए मोदी की सौ रैलियाँ
हर नागरिक पर लगभग 61 हजार रुपये का कर्ज है।
मुकेश अम्बानी को अपने आर्थिक साम्राज्य की चिंता है। वह एक 'अधनंगे फकीर' को अपनी ढाल बना रहे हैं
जीएनवाई एशिया को नोटबंदी के 13 दिन बाद 21 नवंबर 2016 को पंजीकृत किया गया था
1फरवरी को बजट पेश कौन करेगा जब वित्त मंत्री कैंसर के इलाज के लिये न्यूयार्क जा चुके हैं !
जो सरकार सरस्वती नदी को हरियाणा से निकालकर अरब सागर तक ले जाने में जुटी है, वही सरकार अपने खजाने से प्रयागराज में उसी नदी के होने को कैसे प्रचारित कर सकती है।…
वर्ल्ड बैंक के अधिकारी ने 2017 में ही कह दिया था कि, 'यह चिंता की बात है कि सरकार लोन हासिल किए बिना कमिटमेंट फीस चुका रही है।'
सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस के साथ नहीं रहने से जो त्रिकोणीय चुनावी मुकाबला होगा उसके कारण भाजपा को और भी ज्यादा नुकसान होगा।
कोटलर के मुताबिक राष्ट्र को, जनता को, सरोकार को, विचार को भी बेचा जा सकता है
पुण्य प्रसून वाजपेयी अब देश के लिये नहीं वोटरों के लिये बनती है पॉलिसी जैसे जैसे लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है वैसे-वैसे बिसात पर चली जा रही हर चाल…
सीवीसी उन पर लगाए गए चार आरोप सही बता रही है तो यह बात सुप्रीम कोर्ट को क्यों नही दिखी?
अब ऐसे राजनेता गिनती के भी नहीं बचे जो वोटों के नुकसान की क़ीमत पर सत्य बोल सकें।
यह पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने किसी अदालती विवाद में खुद को उसके एक पक्ष का पैरोकार बना लिया
'संघ बोलता नहीं बुलवाता है। और कौन बोल रहा है, और आने वाले वक्त में कौन -कौन बोलेगा....इंतजार कीजिये, फरवरी तक बहुत कुछ होगा।
अमित शाह ने कहा, 'युति होगी तो साथी को जिताएंगे नहीं तो पटक देंगे।