चंद्र प्रकाश झा
भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने स्पष्ट कहा है कि 17 वीं लोक सभा के चुनाव ‘समय पर’ होंगे. जम्मू- कश्मीर के पुलवामा में फ़िदायीन आतंकी हमला और फिर भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित हवाई कार्रवाई बाद युद्ध होने की आशंका के माहौल में आम चुनाव को लेकर उठे संशय के बारे में पिछले सप्ताह लखनऊ में पत्रकारों के प्रश्न पर श्री अरोड़ा ने दो टूक उत्तर दिया कि चुनाव ‘ समय पर’ होंगे। उन्होंने एक आला अफसर के रूप में अपने इस सतर्क उत्तर का और खुलासा नहीं किया। उनके इस कथन के बावजूद अगर चुनाव कार्यक्रम को लेकर कोई संशय बरकरार रहता है तो उसका कारण शायद यही है कि ‘समय’ बड़ा बलवान है, जो किसी के वश में नहीं है। स्पष्ट है कि अरोड़ा जी ने जिस प्रश्न पर दो शब्द का यह उत्तर दिया वह अस्वाभाविक नहीं था। लेकिन प्रश्न ‘ लोडेड’ था , क्योंकि उसमें अन्तर्निहित संभावनाएँ काल्पनिकता और वास्तविकता में घुले -मिले हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध होने की आशंका का माहौल ही ऐसा है कि ऐसे प्रश्न तब तक उठते रहेंगे जब तक चुनाव कार्यक्रम की घोषणा ही नहीं पूरी चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्वक संपन्न नहीं हो जाती है। इस सन्दर्भ में केंद्र में सत्तारूढ़ नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस का नेतृत्व कर रही भारतीय जनता पार्टी के आगामी आम चुनाव का नया नारा का उल्लेख स्वाभाविक है- ‘नामुमकिन अब मुमकिन है।’
नई लोक सभा के चुनाव आगामी मई माह तक निर्धारित हैं। इसके विस्तृत कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा मार्च माह के प्रारम्भ में संभावित मानी जा रही है। लेकिन मुख्य रूप से खबरिया टीवी चैनलों के ‘सौजन्य’ से पुलवामा आतंकी हमला का बदला लेने के लिए भारत में युद्धोन्माद बढ़ने लगा। उक्त हमले के बाद जिस तरह से भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के क्षेत्र में आतंकी अड्डों पर अँधेरे में बमबारी की , खबरिया टीवी चैनलों ने बिन किसी साक्ष्य के हताहतों की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर पेश की और उसके दूसरे दिन पाकिस्तान ने एक भारतीय युद्धक विमान के पायलट को गिरफ़्तार कर लिया, उससे दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ने और चुनाव में विलम्ब की आशंका और भी बढ़ गई। हालांकि बाद में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने शान्ति के सन्देश के रूप में वहाँ की संसद में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनन्दन वर्तमान को रिहा करने की घोषणा कर दी और वह अगले दिन सड़क मार्ग से बाघाबॉर्डर होते हुए स्वदेश लौट भी आये। लेकिन दोनों देशों के बीच छिटपुट गोलीबारी और हवाई अतिक्रमण जारी है। ख़तरा यह भी लगने लगा कि भारत में वाह्य अथवा आंतरिक कारणों से आपातकाल घोषित करने की नौबत न आ जाए। ऐसे में लोक सभा चुनाव स्थगित करने की ‘ मांग ‘ भारतीय जनता पार्टी के ही समर्थकों के बीच उठने लगी। गुजरात के वन, आदिवासी विकास एवं पर्यटन मंत्री गणपत सिंह वसावा ने सूरत में एक जनसभा में पहले ही यहां तक कह दिया था कि यदि चुनाव में दो महीने की देरी होती है तो भी ठीक है लेकिन पाकिस्तान को सबक सिखाया ही जाना चाहिए। मोदी सरकार अथवा भाजपा ने अधिकृत रूप से ऐसा कुछ भी अभी तक तो नहीं कहा है। पुलवामा पर आतंकी हमले के तुरंत बाद चुनाव चर्चा के अंक में हमने जोर देकर कहा था कि “आम चुनाव टाले जाने की मांग का औचित्य नहीं है , पर कुछ भी संभव है।”
संभव है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त जम्मू -कश्मीर के 4 -5 मार्च को प्रस्तावित अपने दौरे के बाद बिलकुल स्पष्ट निर्णय ले। जम्मू -कश्मीर विधान सभा के भी नए चुनाव लंबित है जो अभी भंग है। उसकी विधान सभा को भंग करने के छह माह के भीतर यानि आगामी मई तक नए चुनाव कराये जाने है। राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनज़र वहाँ नए चुनाव कराने में जटिलताएं है। मौजूदा लोकसभा में राज्य की अनंतनाग सीट पर उपचुनाव सुरक्षा कारणों से 2016 से ही लंबित है। अनंतनाग, जम्मू कश्मीर की छह लोक सभा सीटों में शामिल है। अनंतनाग लोक सभा सीट सीट जम्मू -कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ( पीडीपी ) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती के इस्तीफे से रिक्त हुई थी , जो उन्होंने अपने पिता मुफ़्ती मोहम्मद के निधन के बाद उनकी जगह राज्य का मुख्यमंत्री बन जाने के बाद दिया था। जम्मू -कश्मीर विधान सभा की 111 सीटों में से 24 पाकिस्तान अधिकृत हिस्से में हैं जहां राज्य के संविधान की धारा 48 के तहत चुनाव कराने की अनिवार्यता नहीं है। इसी बरस 16 जून को भाजपा की समर्थन वापसी से महबूबा मुफ्ती सरकार गिर जाने के बाद वहाँ पहले विधान सभा को निलंबित किया गया और फिर तब उसे भंग कर दिया गया जब पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के समर्थन से नई सरकार बनाने के प्रयास किये। 19 दिसंबर को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया क्योंकि जम्मू -कश्मीर के अपने संविधान में गवर्नर रूल बढ़ाने का प्रावधान नहीं है। भारत के संविधान से अलग, जम्मू -कश्मीर के अपने संविधान के प्रावधानों के तहत वहाँ विधान सभा का सामान्य कार्यकाल छह बरस का है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव राजीव गौबा और अन्य अधिकारियों की एक टीम ने पुलवामा में आतंकी हमला के बाद देश में और ख़ास कर जम्मू – कश्मीर की सुरक्षागत स्थितियों से निर्वाचन आयोग को पहले ही अवगत करा दिया है। इस टीम ने निर्वाचन आयोग को देश में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति के साथ ही नई लोक सभा के चुनाव के लिए सुरक्षा बलों की उपलब्धता के बारे में भी अवगत कराया। लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, ओडिसा, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की विधान सभा के भी नए चुनाव कराये जाने की संभावना है। सिक्किम विधान सभा का 27 मई , अरुणाचल प्रदेश विधान सभा का एक जून, ओडिसा विधान सभा का 11 जून और आंध्र प्रदेश विधान सभा का मौजूदा कार्यकाल 8 जून को समाप्त होगा।
बहरहाल, संवैधानिक प्रावधानों के तहत लोक सभा के कार्यकाल के दौरान यदि आपातकाल लागू कर दिया जाता है तो संसद को उसका कार्यकाल विधिक प्रक्रिया से एक बार में अधिकतम एक वर्ष तक बढ़ाने का अधिकार है। आपातकाल समाप्त होने की दशा में उसका कार्यकाल किसी भी हालत में छ: माह से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता है। बहरहाल, 16 वीं लोक सभा की पहली बैठक 4 जून 2014 को हुई थी। संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पांच वर्ष का उसका निर्धारित कार्यकाल, अन्य किसी उपाय किये बगैर तीन जून 2019 को स्वतः समाप्त हो जाएगा। यह भविष्य के गर्भ में है कि चुनाव में विलम्ब होता है अथवा नहीं। अगर चुनाव वास्तव में टाले जाते है तो फिर वह किस संविधानसम्मत उपाय से होगा। जानकार लोग कहते है भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुनाव टाले जाने की मांग को लेकर शायद ही सहमत हो। क्योंकि युद्धोन्माद से उसे चुनावी फायदा हो सकता है। पुलवामा प्रकरण के बाद विपक्षी दलों की केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बुलाई गयी बैठक में राष्ट्र के साथ पूर्ण एकजुटता व्यक्त की गई। लेकिन बैठक में आम चुनाव स्थगित करने के बारे में किसी ने कोई विचार नहीं व्यक्त किया। पुलवामा आतंकी हमला के बाद सत्ता पक्ष की ओर से संसद के दोनों सदनों का संयुक्त सत्र बुलाने की भी चर्चा उठी थी जिसके बारे में तत्काल और खुलासा नहीं किया गया है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी एस.येदुरप्पा खुल कर कह चुके है कि पाकिस्तान में आतंकी अड्डों पर भारतीय वायु सेना की बमबारी से भाजपा को चुनावी फायदा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी जो कहा है उससे माहौल में तत्काल सुधार आने की आशा नहीं है। उन्होंने विंग कमांडर अभिनन्दन को रिहा किये जाने की घोषणा के बाद भाजपा के एक कार्यक्रम में यही कहा – ‘ अभी अभी एक पायलट प्रोजेक्ट पूरा हो गया। अभी रीयल करना है, पहले तो प्रैकटिस थी। ‘ लगता तो यही है कि मोदी राज में चुनाव के सन्दर्भ में भी नामुमकिन अब मुमकिन है।
(मीडिया विजिल के लिए यह विशेष श्रृंखला वरिष्ठ पत्रकार चंद्र प्रकाश झा लिख रहे हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)