विष्णु राजगढ़िया
आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में राजनीति का एजेंडा बदलने का दिलचस्प प्रयास किया है। विगत कुछ महीनों से अरविंद केजरीवाल ने आक्रामक तरीके से हरियाणा में प्रचार किया है। इससे भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की नाराजगी कई रूपों में सामने आई है। मामूली बातों पर बड़ी संख्या में आप कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाना इसका संकेत है।
गत दिन खट्टर के गृह जिले करनाल में केजरीवाल ने बड़ी रैली की। इस रैली के पहले आम आदमी पार्टी के 70 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर खट्टर को पंजाबियों का सीएम बताने का आरोप लगाया गया। हालाँकि आप नेताओं ने भाजपा द्वारा जारी ऐसे विज्ञापनों को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया, जिनमें खट्टर को पंजाबियों का नेता कहा गया था। इसके बाद आप कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया गया।
आखिर ऐसा क्या कर रही है आम आदमी पार्टी हरियाणा में, जिसे देश की राजनीति में खास प्रयोग के तौर पर देखा जा रहा है।
यह बात अब चर्चा में आ चुकी है कि अरविन्द केजरीवाल ने ‘स्कूल अस्पताल रैली’ के जरिये हरियाणा में राजनीति का एजेंडा बदल दिया है। लेकिन यह इतना सीमित नहीं है। दरअसल हरियाणा में आप की रणनीति का आधार पंजाब की हार के सबक हैं। उस सबक को अरविंद केजरीवाल ने बेहद सावधानी के साथ अपनी रणनीति का हिस्सा बनाकर हरियाणा में बड़ी जगह बना ली है।
इस बात से सब अवगत हैं कि गत वर्ष पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान आप को सबसे बड़ी ताकत के रूप में देखा जा रहा था। भाजपा अकाली गंठबंधन की सरकार की असफलताओं के कारण काफी नाराजगी थी। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पंजाब की चार सीटों पर सफलता के कारण आप का मनोबल काफी ऊंचा था। आम धारणा थी कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने से कोई नहीं रोक सकता। सिर्फ कौन होगा मुख्यमंत्री, यही तय करना बाकी दिखता था।
लेकिन चुनाव परिणाम उल्ट निकले। ऑपरेशन ब्लूस्टार और वर्ष 1984 की खलनायक कांग्रेस को पंजाब ने एक बार फिर मजबूरी में चुन लिया। जबकि आप को मात्र 20 सीटों तक सीमित कर दिया।
हालाँकि पहली बार पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़कर 20 सीटें पाना कोई मामूली बात नहीं थी। पंजाब विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का तमगा मिलना भी बड़ी बात थी। लेकिन जिस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने की तमाम वजहें मौजूद हों, उनका 20 सीटों में सिमट जाना किसी गंभीर रणनीतिक चूक की निशानी थी।
क्या थी वह चूक, जिसे सबक के तौर पर लेकर केजरीवाल ने हरियाणा में ठीक कर लिया?
वह चूक थी- नकारात्मक अजेंडे पर केंद्रित करना। पंजाब चुनाव में आप ने भाजपा और अकाली नेताओं के भ्रष्टाचार और नशे के कारोबार को फोकस करके मुख्य चुनाव प्रचार किया। इसे जेल भेज देंगे, उसे पकड़ लेंगे जैसे वक्तव्यों ने आप के राजनीतिक दर्शन को ढंक दिया। आप का अपना सकारात्मक एजेंडा सामने नहीं आ सका और पंजाब में सरकार बनाने की हसरत धूल में मिल गई।
दरअसल दिल्ली में सरकार बनने के बाद अरविन्द केजरीवाल को यह बात समझ में आ गई कि सीमित शक्तियों वाले अधूरे राज्य में वह अपने सारे प्रयोग नहीं कर सकते। हर चीज में उन्हें केंद्र, एलजी और भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेस की भी अड़ंगेबाजी का शिकार होना पड़ता है। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए किसी एक ऐसे राज्य में सरकार होना बेहद जरूरी है, जहाँ वह तमाम संवैधानिक शक्तियों के साथ बड़े प्रयोग कर सके।
पंजाब इसीलिये बेहद जरूरी था आप के लिए। लेकिन निगेटिव एजेंडे ने नुकसान पहुंचाया। इससे सबक लेकर आप ने हरियाणा में सकारात्मक अजेंडे के साथ प्रवेश किया है। इसकी शुरुआत भी बेहद नाटकीय अंदाज में हुई। ऐसा लगता है मानो किसी दिलचस्प फिल्म की पटकथा लिख दी गई हो। शुरू में अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने हरियाणा के कुछ स्कूलों और अस्पतालों का दौरा किया। इससे हरियाणा में शिक्षा और इलाज की फटेहाली का सच दुनिया के सामने आ गया। इस क्रम में भाजपा कार्यकर्ताओं ने केजरीवाल के एक दौरे में बाधा खड़ी कर दी। इससे मामला और गरमाया। इस बीच खट्टर ने आवेश में कह दिया कि केजरीवाल अगर हमारे स्कूल अस्पताल देखेंगे, तो हम भी दिल्ली का देखेंगे। इस पर अरविंद केजरीवाल ने खट्टर को एक पत्र लिखकर दिल्ली के स्कूल अस्पताल देखने का आमंत्रण दे डाला। लिखा कि विकास की इस सकारात्मक राजनीति से ही देश की तरक्की होगी। जाहिर है कि खट्टर के लिये केजरीवाल के इस अखाड़े से दूर रहना ही बेहतर था। दूसरी ओर, अरविन्द केजरीवाल ने हरियाणा के कई जिलों में स्कूल अस्पताल रैली कर दी।
आम आदमी पार्टी इतने पर ही नहीं रुकी। हरियाणा के हजारों लोगों को बसों में भरकर दिल्ली की सैर करा दी, अपने स्कूल अस्पताल दिखाकर बताया कि हरियाणा में ऐसा ही विकास करेंगे।
खुद अरविंद केजरीवाल हरियाणा के हैं। एक वीडियो संदेश बनाकर सोशल मीडिया में वायरल किया गया। इसमें केजरीवाल ने खास हरियाणवी अंदाज में कहा है कि हरियाणा को अच्छे स्कूल और अस्पताल की जरूरत है, और यह काम आम आदमी पार्टी ही कर सकती है।
कहा जा रहा है कि पहली बार आप ने पूरी तरह सकारात्मक एजेंडा लेकर किसी राज्य में ऐसी जोरदार धमक दी है। इसमें आम आदमी पार्टी के स्वराज के दर्शन और विकास की राजनीति पर जोर है, सुशासन के दिल्ली के प्रयोगों के उदाहरण दिए जा रहे हैं। सोशल मीडिया में आप की इस तकनीक का जबरदस्त असर देखा जा रहा है। हाल के दिनों में सोशल मीडिया में हरियाणा के सकारात्मक मुद्दों पर आक्रामक तरीके से वायरल हो रहे कई कंटेंट देखकर साफ लगता है कि पंजाब की तुलना में हरियाणा की रणनीति काफी महीन और कारगर है।
बहरहाल, अब तो चुनाव का नतीजा ही बताएगा कि बदली हुई रणनीति कितनी सार्थक साबित होती है।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। राँची में रहते हैं।