दिल्ली से रोहिण कुमार और श्रीनगर से जुनैद भट्ट
पिछने दो दिनों से अटकलें लगायी जा रही थीं कि सोमवार को अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कश्मीर में कुछ भी अप्रत्याशित हो सकता है. फिलहाल ऐसी आशंकाओं को सर्वोच्च अदालत ने विराम देते हुए 35ए को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला कम से कम अगले 24 घंटे और अधिकतम 72 घंटे के लिए टाल दिया है. अब यह फैसला 26 फरवरी से 28 फरवरी के बीच आएगा.
एक प्रेसिडेंशिल ऑर्डर से 1954 में अस्तित्व में आया अनुच्छेद 35ए जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत राज्य के बाहर से नागरिकों को यहां जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है. इसी अनुच्छेद को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दायर की गई हैं. फिलवक्त राज्य में चुनी हुई कोई सरकार नहीं है और राष्ट्रपति शासन लागू है. ऐसे में राज्य सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है याचिका की सुनवाई को राज्य में सरकार बनने तक टाल दिया जाए. कोर्ट ने सोमवार को को दिनों की मोहलत दे दी है।
इस बीच जम्मू और कश्मीर में हालात नाजुक और तनावपूर्ण बने हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले कह रहे हों कि “हमारी लड़ाई आतंक से है, कश्मीर या कश्मीरियों से नहीं” लेकिन बीते दिनों 48 घंटे के दौरान घाटी में एयरलिफ्ट कर के उतारे गए 10,000 अतिरिक्त सैन्य जवानों के चलते भय और तनाव का माहौल कायम है. बीते दो दिनों में अर्धसैन्यबल की 100 से ज्यादा टुकड़ियां घाटी में तैनात की गई हैं. इस बीच 150 से ज्यादा अलगाववादी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार व नज़रबंद किया गया है. इनमें से ज्यादातर जमात-ए-इस्लामी के सदस्य हैं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, “जमात-ए-इस्लामी की पूरी घाटी में पकड़ है और वे भारत-विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देते हैं. लोकसभा चुनाव और 35ए की सुनवाई को ध्यान में रखकर एहतियातन उन पर कार्रवाई की गई है.”
उधर हुर्रियत के नेता अपनी नज़रबंदी के कारणों को लेकर अनभिज्ञता ज़ाहिर कर रहे हैं। प्रोफेसर अब्दुल गनी भट्ट कहते हैं, “मुझे नहीं पता अभी कश्मीर में क्या हो रहा है. मुझे नज़रबंद कर रखा गया है.” भारत और पाकिस्तान के बीच आसन्न युद्ध की स्थितियों से उन्होंने इनकार करते हुए कहा, “युद्ध टीवी स्टूडियो में नहीं लड़े जाते. अगर भारत और पाकिस्तान में युद्ध होगा तो चीन और अमेरिका भी उसमें अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होंगे. दोनों देशों के तल्ख रिश्तों में संवाद से ही हल निकलेगा, कश्मीर को छावनी में बदलकर कुछ हासिल नहीं होगा.”
इस बीच स्थानीय लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है. पचास वर्षीय अब्दुल रियाज डार अपने घर में अनाज का स्टॉक कर लेना चाहते हैं. वे कहते हैं, “अल्लाह जाने क्या होने वाला है. क्या मालूम कर्फ्यू कितने दिनों लगा रहेगा. बेहतर है कि हमारे घर में अनाज का बंदोबस्त पूरा हो.”
इतवार को श्रीनगर में दिनभर पेट्रोल पंपों पर गाड़ियों में पेट्रोल भरवाने की कतार लगी रही. ध्यान रहे कि पुलवामा हमले के बाद जगह-जगह रोड ब्लॉक होने के कारण घाटी में पेट्रोल की सप्लाई पर भीषण असर पड़ा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक राजभवन की ओर से जारी एक अधिसूचना में बताया गया है कि गैसोलिन की आपूर्ति सिर्फ एक दिन और डीजल की चार दिन की आपूर्ति बची है. वहीं एलपीजी की आपूर्ति पूरी तरफ से ठप है.
श्रीनगर निवासी कैसर मुल्लाह भी अपने घर में दैनिक जरूरत के सामान इकट्ठा कर रहे हैं1 उनके बच्चे जो बाहर पढ़ते थे, वापस घर आ चुके हैं. वे बताते हैं, “हमें उम्मीद है कि घाटी के हालात जल्द ही सामान्य होंगे. पुलवामा हमले का बदला आम बेगुनाह कश्मीरियों से लेना सरासर ज्यादती है।”
घाटी में सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को बुलाने से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सीमा पर भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्यवाही होने वाली है. पिछले दिनों जम्मू क्षेत्र में दोनों देशों के बीच भारी सीमापार गोलाबारी की भी खबरें आई हैं. कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि हालांकि बातचीत में युद्ध जैसे हालात को भाजपा की राजनीति बताते हैं. भाजपा को छोड़कर कश्मीर में मौजूद सभी राजनीतिक दलों ने अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ होने पर एकजुटता और भाजपा विरोध की बात कही है.
प्रदेश कांग्रेस के नेता आमिर कहते हैं, “अनुच्छेद 35ए और 370 कश्मीरियों के जज़्बात के साथ जुड़े हुए हैं. इनके साथ छेड़छाड़ करना मतलब कश्मीरियों की भावनाओं के साथ छेड़छाड़ करना है.” आमिर बताते हैं कि कश्मीरियों के लिए फौज़ देखना और युद्ध जैसी परिस्थितियों में जीना पिछले 30 वर्षों से जारी है, “सेना का हर दिन सड़कों पर होना यह दर्शाता है कि कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं.” आमिर ने केन्द्र सरकार और गवर्नर के रवैये को कठघरे में खड़ा करते हुए विधानसभा चुनावों में देरी पर आक्रोश जताया और बोले, “हम कश्मीरियों को हमेशा से लग रहा था कि चुनाव से पहले कुछ न कुछ ज़रूर होगा और वह हुआ पुलवामा हमले के रूप में.”
अवामी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक और पूर्व विधायक इंजीनियर राशिद भी कश्मीर के वर्तमान हालात पर आक्रोशित नज़र आए. उन्होंने भाजपा को 35ए और अनुच्छेद 370 पर राजनीति करने से बाज़ आने की नसीहत दी, “35ए भारतीय संविधान का एक विशिष्ट प्रावधान है. वह किसी सामान्य कानूनी संबोधन का मसला नहीं है. 35ए में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता.”
पुलवामा हादसे के बाद देश के दूसरे हिस्सों में कश्मीरियों के साथ हुई हिंसा पर उन्होंने दो टूक कहा, “अगर ये कश्मीरी छात्र जिनका करियर आपने तबाह कर दिया, वे बंदूक उठा लेंगे तो इसकी जवाबदेही कौन लेगा?” राशिद कश्मीरी छात्रों पर हुए हमले को कश्मीर और कश्मीरियों को मुख्यधारा से अलग करने की साजिश करार देते हैं.
35ए और अनुच्छेद 370 के इर्द-गिर्द हो रही राजनीतिक गहमागहमी में घाटी के वरिष्ठ गुज्जर नेता शमशेर हक्ला पूंछी ने भी भाजपा को चेतावनी दी है. “गुज्जर और बकरवाल समुदाय अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 के समर्थन में है. हम उसमें किसी भी बदलाव का विरोध करते हैं,” शमशेर ने कहा. उन्होंने दावा किया कि संविधान के इन दोनों महत्वपूर्ण अनुच्छेदों में बदलाव की अगर कोशिश की गई तो 34 लाख बकरवाल और गुज्जर समुदाय के लोग सड़कों पर विरोध में उतरेंगे.
(सभी फोटो: जुनैद भट्ट)