भारत से विदेश भागने वाले अमीर लोगों में अकेले विजय माल्या, ललित मोदी, मेहुल चौकसी या नीरव मोदी नहीं हैं। ये तो वे नाम हैं जिन्हें हम जानते हैं। हाल ही में जारी एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2018 में देश छोड़ कर बाहर जाने वाले सर्वाधिक अमीर लोगों (हाइ नेट वर्थ इंडिविजुअल यानी एचएनआइ) की संख्या करीब 5000 है। अमीरों के विदेश पलायन की यह दर भारत में एचएनआइ की आबादी के हिसाब से भले दो फीसदी हो लेकिन दुनिया में भारत इस मामले में तीसरे नंबर पर है। पहला स्थान चीन का और दूसरा रूस का है।
एफ्रएशिया बैंक और न्यू वर्ल्ड वेल्थ नामक रिसर्च फर्म द्वारा जारी ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू 2019 में बताया गया है कि 2018 में भारत की कुल धन-संपदा का 48 फीसदी अकेले सबसे ज्यादा अमीर लोगों (एचएनआइ( की जेब में था और ऐसे अमीर लोगों की संख्या के मामले में भारत दुनिया में शीर्ष दस देशों के बीच नौवें स्थान पर था। यहां सर्वाधिक अमीर लोगों की संख्या 2018 में तीन लाख 27 हजार 100 थी। ये लोग भारत की करीब आधी धन-दौलत के मालिक थे।
इन्हीं में से 5000 अकेले पिछले साल भारत छोड़ कर बाहर चले गए। इनके बाहर जाने की सबसे बड़ी वजहों में बच्चों और औरतों की सुरक्षा की चिंता बतायी गई है। इसके अलावा जलवायु, प्रदूषण, वित्तीय कारण, कर, धार्मिक तनाव, कारोबारी अवसर, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तथा उत्पीड़नकारी सरकार कुछ और कारण हैं जिनके चलते सबसे अमीर लोग देश से बाहर जाकर बस रहे हैं।
रिपोर्ट का कहना है कि चीन और भारत के मामले में अमीरों का देश से बाहर जाना बहुत चिंताजनक मामला इसलिए नहीं है क्योंकि इन दो देशों में अब भी एचएनआइ लगातार पैदा हो रहे हैं यानी अमीर लोग और अमीर बनते जा रहे हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो पूंजी बाजार के मामले में भारत अगले नौ साल में जर्मनी और यूके को पीछे छोड़ देगा और चौथे स्थन पर आ जाएगा। फिलहाल इस मामले में भारत छठवें स्थान पर है।