मशहूर लेखिका गीतांजलि श्री के हिन्दी उपन्यास ‘रेत समाधि’ (टूम्ब ऑफ सैंड) को अंतरराष्ट्रीय बुकर सम्मान के लिए चुना गया है। देश के साहित्यिक हलके में इस घोषणा को लेकर भारी उत्सुकता थी। ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला किसी भी भारतीय भाषा का पहला उपन्यास बन गया है। इस उपन्यास का अंग्रेजी अनुवाद डेजी रॉकवेल ने किया है। यह 50,000 पाउंड का पुरस्कार है। यह उपन्यास विश्व की उन 13 पुस्तकों में शामिल था, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए लिस्ट किया गया था.
बुकर प्राइज ने एक ट्वीट में कहा, “गीतांजलि श्री और @shreedaisy को बधाई”. बंगाली लेखक अरुणव सिन्हा ने ट्वीट किया कि “यस! अनुवादक डेज़ी रॉकवेल और लेखक गीतांजलि श्री ने ‘रेत समाधि’ के लिए अंतरराष्ट्रीय बुकर जीता. एक हिन्दी उपन्यास, एक भारतीय उपन्यास, एक दक्षिण एशियाई उपन्यास के लिए पहली जीत… बधाई!”
We are delighted to announce that the winner of the #2022InternationalBooker Prize is ‘Tomb of Sand’ by Geetanjali Shree, translated from Hindi to English by @shreedaisy and published by @tiltedaxispress@Terribleman @JeremyTiang @mervatim @VascoDaGappah @VivGroskop pic.twitter.com/TqUTew0Aem
— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) May 26, 2022
गीतांजलि श्री के 2000 के उपन्यास माई को 2001 में क्रॉसवर्ड बुक अवार्ड के लिए चुना गया था।
मीडिया विजिल की ओर से गीतांजलि श्री को अंर्तराष्ट्रीय बुकर मिलने पर बहुत – बहुत बधाई। पुरस्कार मिलने से पहले ही सुना है कि उसका फ्रेंच अनुवाद भी हो चुका है। गीतांजलि श्री ने कहा कि वे इस पुरस्कार से चकित, प्रसन्न, सम्मानित एवं विनम्र हैं। वैसे इस किताब को इंग्लिश पेन पुरस्कार भी मिल चुका है। हिंदी में इस उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने छापा है और इंग्लिश में पेंग्युइन ने प्रकाशित किया है। पुरस्कार हालांकि अंग्रेजी अनुवाद को मिला है, जो डेजी राॅकवेल ने किया है, लेकिन मूल उपन्यास हिंदी में है इसलिए इसे हिंदी के उपन्यास को मिला पुरस्कार ही माना जाए। उपन्यास आपकी किसी भी भाषा में पढ़ें कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मूलभषा हिंदी है, जाहिर है, परिवेश, मुहावरे, और भाषिक व्यवहार अनुवाद के बावजूद अपना रंग नहीं छोड़ेगा। गीतांजलि श्री को हिंदी की झोली में एक अदद अंर्तराष्ट्रीय पुरस्कार डालने के लिए धन्यवाद और बधाई।
गीतांजलि श्री का इस पुरस्कार के लिए चयन करने वाले जजों में लेखक फ्रैंक वाइन, मर्व इमरे, पेटिना गापाह, विव ग्रोसकाॅप और जर्मी तियांग थे। सभी जजों ने एकमत से इस उपन्यास को पुरस्कृत करने का निर्णय लिया। गीतांजलि श्री, लेखिका भी हैं, और अनुवादक भी हैं, उन्होने तीन उपन्यास और कई कहानियां लिखी हैं। हिंदी के लेखकों के लिए ये सिर्फ खुशखबरी ही नहीं है, बल्कि काफी उत्साहजनक खबर भी है। बहरहाल, गीतांजलि श्री को और साथ में हिंदी के सभी लेखकों, पाठकों और सबसे बाद में आलोचकों को बधाई, आशा है हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं से इसी तरह के अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाले साहित्य का सृजन होता रहेगा। बधाई गीतांजलि श्री।