फ्रांस का 24 जुलाई तक इमरजेंसी बढ़ाना, क्या हमको भी चिंतित होना चाहिए?

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
ख़बर Published On :


समाचार एजेंसी एफपी ने कुछ ही देर पहले, फ्रांस में आपातकाल बढ़ाए जाने के प्रस्ताव की ख़बर जारी की है। इस ख़बर के मुताबिक संसद में रखे जाने वाले एक प्रस्ताव के मुताबिक, इस महीने यानी कि मई में – फ्रांस में जारी आपातकाल को ख़त्म करना, दरअसल एक ‘अपरिपक्व’ कदम होगा। इस प्रस्ताव में ये भी कहा गया है कि 24 मार्च को लागू की गई इमरजेंसी, इसलिए जारी रहनी चाहिए क्योंकि विशेषज्ञ और सरकार दरअसल संक्रमण के अभी और बढ़ने का ख़तरा – बढ़ता हुआ देख रहे हैं।

फ्रांस में आपातकाल और बढ़ाने का प्रस्ताव

शनिवार को टेबल किए गए इस बिल के मुताबिक देश में जारी आपातकाल को कम से कम अगले 2 महीने यानी कि 24 जुलाई तक बढ़ा देना चाहिए। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरन ने कहा, “ये कदम उठाना ज़रूरी था, क्योंकि फिलहाल जारी आपातकाल 23 मई को ख़त्म कर देना, दरअसल अपरिपक्वता होगी और इस महामारी के दोबारा फैल जाने ख़तरा बढ़ जाएगा। इस के बारे में सोमवार को संसद में परीक्षण के लिए बिल प्रस्तुत किया जाएगा।”

इस बिल में बाहर से फ्रांस आने वालों के लिए क्वारेंटाइन के नियमों और देश के नागरिकों, कंपनियों, संगठनों और सरकारी संस्थानों के लिए नए नियमों का भी उल्लेख है। बिल में एक ऐसे ‘सूचना तंत्र’ को विकसित करने की बात है, जो आने वाले एक साल तक इस वायरस से पीड़ित होने वाले लोगों की मदद करता रहेगा।

फ्रांस के आंतरिक मामलों के मंत्री, क्रिस्टोफर कैस्टानेर ने कहा, ‘हमको अभी कुछ समय तक इस वायरस के साथ रहना होगा। इसलिए आने वाले वक़्त में सबसे अहम होगा कि इस वायरस के साथ रहना कैसे सीखा जाए।’

कोरोना के कहर से सुनसान पड़ा पेरिस

फ्रांस यूरोप में इस बीमारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में से है, जहां 167,346 लोग इस संक्रमण की चपेट में हैं, जबकि 24,594 लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में फ्रांस की ओर से इस तरह की चिंता को पूरी दुनिया को चिंता की तरह लेना चाहिए। खासतौर पर भारत जैसे देश को, जहां की स्थिति धीरे-धीरे खराब होती दिखाई दे रही है। फ्रांस में इमरजेंसी बढ़ाने और वहां के स्वास्थ्य मंत्री और आंतरिक मामलों के मंत्री के बयानों को अगर हम डीकोड करने की कोशिश करें, तो कुछ खास बिंदु उभर कर आते हैं। इन बिंदुओं पर हमको भारतीय परिप्रेक्ष्य में गंभीरता से सोचना होगा;

  • फ्रांस ने अब तक 1,100,228 कोरोना टेस्ट कर लिए हैं, जो 16,856 टेस्ट प्रति मिलियन की दर से किए गए हैं। हम अभी इस दर से इतना पीछे हैं कि इसके बारे में सोचना भी बेकार है।
  • फ्रांस में न केवल चिकित्सा की आधुनिक सुविधाएं और मेडिकल बीमा समेत नागरिक योजनाएं हमसे बेहतर हैं, बल्कि फ्रांस में साक्षरता, भारत से कहीं ज़्यादा और गरीबी की दर हमसे कहीं कम है।
  • फ्रांस में कोरोना के मामले संक्रमण की शुरुआत में डिटेक्ट होने शुरु हो गए थे, उसके बावजूद अगर फ्रांस इमरजेंसी को बढ़ाने की बात कर रहा है – तो ये हम सबके लिए सवाल होना चाहिए कि हम किस आधार पर चीज़ें ठीक होने का दावा कर रहे हैं।
  • फ्रांस के इस आकलन को कि अभी कम से कम दो महीने तक, इस वायरस का प्रकोप कम नहीं होने वाला है – इस तरह से क्यों नहीं देखा जाना चाहिए कि अभी इस संक्रमण का प्रकोप आने वाले लंबे समय तक कम नहीं होने वाला है। ऐसे में हमारे पास दीर्घकालिक रणनीति क्या है?
  • फ्रांस, बस एक उदाहरण है – जहां के विशेषज्ञ या सरकार इस वायरस के लंबे समय तक मानवता के साथ रहने की बात कर रहे हैं। क्या हम को इस बारे में अब गंभीरता से सोचना शुरु करना होगा कि इसी दौरान न केवल हमको लोगों को इस के लिए प्रशिक्षित करना होगा, बल्कि मेडिकल रिसर्च पर भी अपना ज़ोर देना होगा।


Related