एक बार फिर कर्नाटक से ही लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग नियमों के उल्लंघन का मामला सामने आया है। पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कोरोना व लॉकडाउन से बेपरवाह होकर बेटे निखिल कुमारस्वामी की धूमधाम से शादी की है। निखिल, पूर्व पीएम एच.डी.दगेवगौड़ा के पौत्र हैं।
बताया जा रहा है कि शादी समारोह में लगभग 100 लोग शामिल हुए और सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों से साफ़ दिख रहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग का कोई ध्यान भी नहीं रखा गया। तस्वीरों में न कोई दूरी बनाये दिख रहा है, न ही किसी ने मास्क पहने हैं।
Here comes more footage from Kumaraswamy's son's wedding. The Gowda family claims all precautions, including social distancing, were followed. Of course! pic.twitter.com/UPjbACatzG
— Arun Dev (@ArunDev1) April 17, 2020
कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में व्यापक लॉकडाउन लागू है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पुलिस डंडे के ज़ोर से आम लोगों पर कैसी सख़्ती करती है, यह किसी से छिपा नहीं है। सोशल मीडिया ऐसी तस्वीरों और वीडियो से भरा पड़ा है। लेकिन, पुलिस की मार खाती इसी जनता के प्रतिनिधियों को शायद कानून व कायदों की कोई परवाह नहीं है और पुलिस-प्रशासन भी इनको संरक्षण ही प्रदान करता है।
यह समारोह बेंगलुरु से 28 किलोमीटर दूर बने फार्महाउस में हुआ। बताया जा रहा है कि यह फार्महाउस कुमारस्वामी का ही है।
#WATCH Karnataka: Nikhil Kumarswamy, son of former Karnataka CM HD Kumaraswamy, tied the knot with Revathi, the grand-niece of former Congress Minister for Housing M Krishnappa, today in Ramnagar. (Video source: anonymous wedding guest) pic.twitter.com/5DH9fjNshQ
— ANI (@ANI) April 17, 2020
मामले के तूल पकड़ने के बाद कुमारस्वामी ने सफाई दी है कि शादी में किसी भी मेहमान को नहीं बुलाया गया था और उन्होंने डॉक्टर्स की सलाह पर सोशल डिस्टेंसिंग के लिहाज़ से ही शादी का स्थल घर की जगह अपने फार्महाउस में रखा। हालांकि, शादी की तस्वीरों को देखकर कुमारस्वामी की बातों में कोई सच्चाई नहीं नज़र आती।
अब जबकि यह स्पष्ट हो चुका है कि लॉकडाउन में फंसकर गरीब भूख से तड़प रहे हैं, और अमीर व प्रभावशाली चाहें तो पास बनवाकर पिकनिक भी मना ले रहे हैं, ऐसे में यह सवाल क्या उठाना कि इस कार्यक्रम की इजाज़त कैसे मिल गयी प्रशासन द्वारा कुमारस्वामी को। वैसे भी पुरानी कहावत है कि कानून बस जनता के पालन के लिए ही होते हैं, सत्ताधारियों को तो इस लोकतंत्र का भ्रम बनाये रखना होता है। कोरोना ने तो शायद वह भी तोड़ दिया है अब।