भारत बंद: जानिये, किसानों की पाँच माँगें जिनसे घिरी है दिल्ली!

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लाखों किसान देश की राजधानी दिल्ली को घेरकर बैठे हैं और तमाम राज्यों के करोडो़ं किसानों का समर्थन उन्हें हासिल है। आज भारत बंद का ऐलान किया गया है जिसे देश की लगभग सभी विपक्षी दलों और दस केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने समर्थन दिया है। हाँ, हमेशा की तरह आरएसएस का किसान संगठन यानी भारतीय किसान संघ सरकार के पाले में खड़ा हो गया है। वह बंद में शामिल हो गया है और कुछ न नुकुर के साथ नये कृषि क़ानूनों के साथ है।

इस बीच सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। कुल मिलाकर किसानों की पाँच माँगें उभरकर सामने आयी हैं-

 

1. तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाये।

2. एमएसपी को क़ानूनी दर्जा दिया जाये और किसानों को लिखित आश्वासन दिया जाये कि कृषि उपज का पारंपरिक तरीक़ा ख़त्म नहीं किया जायेगा।

3. किसान केंद्र सरकार के बिजली (संशोधित) बिल 2020 का भी विरोध कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि इस बिल के जरिये बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण किया जा रहा है। इससे किसानों को मिलने वाली सब्सिडी पर या गाँवों में फ्री बिजली सप्लाई की सुविधा खत्म कर दी जायेगी।

4. खेती का अवशेष जलाने पर किसान को 5 साल की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माने का प्रावधान है, जिसे ख़त्म किया जाये।

5.पराली जलाने के आरोप में गिरफ्तार किये गये किसानों को छोड़ा जाये।

इन्हीं माँगों पर किसान संगठनोें ने आज राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्वान किया है। बंद दिन भर का है लेकिन चक्का जाम महज़ तीन बजे तक रहेगा। किसान संगठनों ने दावा किया है कि बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा। किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं की जाएगी।

कल यानी 9 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच छठें दौर की वार्ता होगी।