सांसद एमजे अकबर पर पहली बार सीधे किसी के साथ बलात्कार का आरोप लगा है। अमेरिका के एनपीआर में चीफ़ बिजनेस एडिटर पल्लवी गोगोई ने 1 नवंबर के वॉशिंगटन पोस्ट में लिखा है कि 1994 में अकबर ने उनके साथ बलात्कार किया था। अखबार में उनके लेख के साथ एक संपादकीय टिप्पणी नत्थी है कि अकबर के अधिवक्ता संदीप कपूर से संपर्क करने का प्रयास किया गया जिसका जवाब यह मिला है: ‘’मेरे क्लाइंट का कहना है कि ये (घटनाएं और आरोप) सब झूठ है और उन्होंने एक सिरे से इनकार किया है।‘’
गोगोई लिखती हैं कि अकबर एक उम्दा पत्रकार थे लेकिन उनहोंने अपने ओहदे का इस्तेमाल मेरा शिकार करने में किया। बात 23 साल पहले की है जिसे उन्होंने दबाकर रखा था लेकिन उन्हें जब दो हफ्ते पहले अकबर के ऊपर भारत में लगाए गए आरोपों का पता चला तो उनका सिर घूमने लगा और उन्होंने भारत में अपने दो सबसे करीबी दोस्तों को फोन किया, जो बरसों पहले उनके साथ घटी घटना के राज़दार थे। उन्होंने अपने पति को भी अपने साथ हुए हादसे के बारे में बताया था।
यौन हमले की दो शुरुआती घटनाओं का जिक्र करने के बाद वे बलात्कार की घटना पर आती हैं जो जयपुर में घटी जब वे किसी रिपोर्टिंग असाइनमेंट पर थीं और कबर ने स्टोरी पर बात करने के लिए उन्हें अपने होटल में बुलाया था। वहां उन्होंने पल्लवी के कपडे फाड़े और बलात्कार किया। पुलिस को बताने के बजाय वे इस घटना से शर्म से गड़ गईं और किसी को नहीं बताया। वे सवाल करती हैं कि अगर वे किसी को बतातीं तो क्या उन पर कोई भरोसा करता? उन्होंने खुद को ही इस घटना का दोषी मान लिया कि वे होटल के कमरे में क्यों गईं।
पल्लवी गोगोई लिखती हैं कि वे नहीं जानती हैं कि उस वक्त उन्होंने अकबर का विरोध क्यों नहीं किया। शायद इसलिए कि वे बहुत ताकतवर थे या फिर इसलिए उन्हें ऐसी स्थिति से निपटने का तरीका ही नहीं पता थाया फिर यह भी हो सकता है कि उन्हें अपनी नौकरी जाने का डर रहा हो। वे अकबर के अखबार एशियन एज में बलात्कार के बाद भी नौकरी करती रहीं और दिसंबर 1994 में कर्नाटक चुनाव सफलतापूर्वक कवर करने के एवज में अकबर ने उन्हें विदेश भेजने का प्रस्ताव दिया।
वे लिखती हैं: ‘’मुझे दोनों देशों का वर्क वीज़ा मिल गया (अमेरिका और यूके)। मैं रोमांचित थी।‘’
मामला यहीं नहीं रुका। लंदन में भी अकबर ने गोगोई पर हमला करने की कोशिश की। वे भागकर हाइड पार्क में छुप गईं। अगले दिन उन्होंने अपनी दोस्त तुषिता को सब बताया। अपनी मां और बहन से भी मोटामोटी घटना का जि़क्र किया। उन्होंने लंदन से निकलने का फैसला किया। उनके पास अमेरिका का वीसा पहले से मौजूद था जो अकबर ने दिलवाया था लेकिन अकबर ने उन्हें बंबई वापस बुलवा भेजा। गोगोई ने नौकरी छोड़ दी और न्यूयॉर्क में डाउ जोन्स में नौकरी करने चली गईं।
वे लिखती हैं: ‘’आज मैं अमेरिकी नागरिक हूं। अपनी मेहनत, लगन और हुनर से मैंने डाउ जोन्स से बिजनेस वीक, यूएसए टुडे, एपी और सीएनएन तक का सफ़र तय किया और आज मैं नेशनल पब्लिक रेडियो में लीडर हूं।‘’
वे आगे लिखती हैं: ‘’अब नौकरी में बने रहने और कामयाब होने के लिए मुझे किसी का हमला बरदाश्त करने की ज़रूरत नहीं है।‘’