असम पुलिस ने गुरुवार, 11 जुलाई को ‘असम नागरिकता विवाद’ पर कविता लिखने वाले 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. उन पर आईपीसी की धारा 420 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. इसके साथ ही कॉपीराइट अधिनियम,1957 की विभिन्न धाराओं के तहत भी एफआइआर दर्ज किया गया है. इनमें से अधिकतर बंगाली मूल के मुस्लिम कवि और कार्यकर्ता हैं और इन्होंने ‘मिया’ बोली में यह कविता लिखी हैं.
गुवाहाटी के पुलिस आयुक्त दीपक कुमार के अनुसार कवियों और एक्टिविस्टों के ऊपर आईपीसी की धारा 120 बी, 153 ए, 295 ए और 188 के साथ आइटी एक्ट की धारा 66 के तहत केस दर्ज़ हुआ है.
Deepak Kumar,Commissioner of Police, Guwahati on case against 10 people for poem criticising National Register of Citizens (NRC): Case registered against 10 people which states that their social media posts might create enmity in society. No arrests made yet. Probe on. #Assam pic.twitter.com/pycXIFVaqA
— ANI (@ANI) July 12, 2019
इस एफआईआर पर प्रतिक्रिया देते हुए कार्यकर्ता अब्दुल कलाम आजाद ने कहा, ‘क्या हमें वास्तविक नागरिकों पर कविता लिखने का अधिकार भी नहीं हैं, जिन्हें संदिग्ध नागरिकों की श्रेणी में रखा गया है या नजरबंदी केंद्रों में भेजा जा रहा है.’
जिन 10 कवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ है उनमें हफीज अहमद, रेहाना सुल्ताना, सलीम एम हुसैन, अब्दुर रहीम, अशरफुल हुसैन, अब्दुल कलाम आजाद, काजी सरवर हुसैन, करिश्मा हजारिका, बाना मल्लिका चौधुरी और फोरहाद भुयान शामिल हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने यह एफआइआर प्रणबजीत दोलोई नामक एक व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज़ किया है.
दोलोई ने अपनी शिकायत में कहा है कि ‘आरोपियों की मंशा पूरी दुनिया की नजरों में असम लोगों की छवि जेनोफोबिक के रूप में चित्रित करने की है, जो असम के लोगों के साथ-साथ देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और सौहार्दपूर्ण सामाजिक माहौल के लिए भी गंभीर खतरा है. इस कविता का वास्तविक उद्देश्य कानून सिस्टम के खिलाफ समुदायों को भड़काना है.’
.@ShalimHussain recites 'Write Down I am a Miyah' by Hafiz Ahmed – the first Miyah poem ever written.
"Write Down
I am a Miya
My serial number in the NRC is 200543I have two children
Another is coming
Next summer.
Will you hate him
As you hate me?" #MigrationMuseum pic.twitter.com/wszih7E5UV— India Culture Lab (@IndiaCultureLab) June 8, 2019
कवि-पत्रकारों के खिलाफ़ हमले और मुकदमा दर्ज़ करना एक चलन सा बन गया है. मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल से लेकर अब उनके दूसरे काल में यह बदस्तूर जारी है. गौरी लंकेश, कलबुर्गी की हत्या के बाद कवि वरवर राव सहित कई पत्रकार, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकताओं को अर्बन नक्सल बता कर जेल में बंद कर दिया गया है.
गौरतलब है कि असम में बीते 26 जून को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की सूची जारी होने के बाद पिछले पिछले दो हफ्ते में खुदकुशी के छह मामले सामने आये हैं और नागरिकता छिनने के सदमे से अब तक करीब 57 लोग ख़ुदकुशी कर चुके हैं.