“मेरे पिता चाहते थे कि मैं अच्छा नागरिक बनूँ। समाज में सद्भाव की बात करूँ। लेकिन नफ़रत ने मेरे पिता की जान ले ली है। हिन्दू-मुस्लिम की नफ़रत की दीवार खड़ी कर आज मेरे पिता की जान गई है, कल किसके पिता का कत्ल होगा, अभी से बता दो?”
यह सवाल है बुलंदशहर में गोगुंडों की हिंसा का शिकार हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के बेटे अभिषेक का। अभिषेक 12वीं में हैं। बहरहाल, उनका सवाल किन्हीं अज्ञात लोगों से नहीं है। इस घटना के मुख्य अभियुक्त बतौर बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज का नाम दर्ज हुआ है। (ऊपर दाएँ फोटो)। वह घटना के पहले थाने में पुलिस वालों से उलझता दिख रहा था। इसके अलावा भारतीय जनता युवा मोर्चा का नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल भी नामजद हुआ है। एक और अभियुक्त ुउपेंद्र राघव विश्व हिंदू परिषद से है। कुल 87 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर हुई है जिसमें 27 नामजद और बाकी अज्ञात हैं।
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने दादरी में गोमांस के नाम पर हुए अख़लाक हत्याकांड की भी जाँच की थी। ऐसा वीडियो सामने आया है जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध की जीप खेत में फँसी हुई है और उन्हें मरणासन्न देखकर कुछ लोग कह रहे हैं कि ये तो वही इंस्पेक्टर है। तो क्या यह हत्याकांड किसी साजिश का नतीजा है। इंस्पेक्टर के घरवालों ने इस तरह के आरोप लगाए भी हैं।
इन हत्यारे गौगुंडों को ‘फ्रिंज एलीमेंट’ कहने का अब कोई मतलब नहीं है। इनके संगठनों का नाम स्पष्ट है जो आरएसएस से जुड़े हैं। या कहें कि सभी आरएसएस की पाठशाला में दीक्षित हैं।
तो अब आरएसएस से सवाल होना चाहिए कि अभिषेक सिंह के सवाल का जवाब क्या है। अभी कितने लोगों की जान लेने की योजना है, नफ़रत का यह कारोबार कब तक चलेगा?