बिहार में रामनवमी के दौरान हुई हालिया साम्प्रदायिक घटनाओं के तथ्यों की पड़ताल के लिए गैर मंच “संगठन यूनाइटेड अगेंस्ट हेट” के सदस्यों नदीम खान, प्रशांत टंडन, सागरिका, प्रोफेसर रतनलाल ने बिहार के दंगाग्रस्त जिलों का दौरा किया। उन्होंने घटनास्थल पर जाकर तथ्यों की पड़ताल की, तो घटनाक्रम के कुछ नए आयाम सामने आए जिसे लेकर मंच ने दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।
टीम के सदस्य रहे वरिष्ठ पत्रकार अजीत साही ने केन्द्र की भाजपा सरकार और बिहार की नीतीश कुमार की सरकार पर जमकर हमला बोला। साही ने कहा कि बिहार की घटनाएं नरेंद्र मोदी और अमित शाह की खोपड़ी की उपज हैं, नरेंद्र मोदी हर हाल में अगली बार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं जिसके लिए वे साम्प्रदायिकता का दांव खेल रहे हैं। साही ने नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार को वोट लालू यादव के साथ गठबंधन में मिला था लेकिन उन्होंने अपनी कुर्सी बचाने के लिए भाजपा के साथ मिलकर बिहार को धोखा दिया है।
टीम के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार प्रशान्त टंडन ने कॉन्फ्रेंस में बताया कि इन घटनाओं में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि रामनवमी के जुलूस के लिए जिन चीज़ों की अनुमति ली गई थी उसके उलट कार्य किया गया। जुलूस के दौरान बजाए जाने वाले गानों की लिस्ट प्रशासन को कुछ और सौंपी गई लेकिन बजाए कुछ और गए, जिनका मकसद सिर्फ मुसलमानों को अपमानित कर उकसाना था।
टीम के सदस्य प्रो. रतनलाल के मुताबिक बिहार में हुई साम्प्रदायिक हिंसा को इतिहास के आईने में दिखाते हुए कहा कि इस हिंसा को पिछले 150 साल से अंजाम दिया जा रहा है जब नागरी प्रचारिणी सभा को माध्यम बनाकर भाषा के आधार पर धर्मों का विभाजन किया गया। पत्रकार सागरिका ने हिंसा में प्रभावित लोगों के हवाले से बताया कि जुलूस में शामिल लोग और रैली में प्रयोग की गई मोटरसाइकिलें उत्तर प्रदेश से मंगाई गईं थीं जिनमें से अधिकांश गोरखपुर और देवरिया की थीं।
टीम के सदस्य नदीम खान ने तथ्यों की पड़ताल के हवाले से कहा कि रामनवमी के जुलूस के दौरान प्रदर्शन के लिए 50 हजार तलवारें वितरित की गईं जिनका मकसद सत्ता की आड़ लेकर मुसलमानों को आतंकित करना था। नदीम खान ने बिहार में हुई हिंसा का सीधा आरोप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार के गृहमंत्री ने स्वीकार किया है कि हिंसा के लिए तलवारें वितरित की गईं और रामनवमी के अवसर पर निकाले गए जुलूस में शामिल ज्यादातर लोग बाहरी थे जिनका बिहार से कोई सम्बन्ध नहीं था। नदीम ने इस हिंसा का मकसद 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को बताया और आगाह किया कि चुनाव से पहले ऐसे कृत्य बार-बार किए जाएंगे।
इस मौके पर बिहार के दंगों पर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की गई जिसे नीचे पढ़ा जा सकता है।
Fact Finding FNL EDITED for printरिपोर्ट: अमन कुमार