बिहार में हुये हालिया साम्प्रदायिक दंगों के विरोध में दिल्ली स्थित बिहार भवन के सामने एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया जिसमें बिहार के मुख्यमन्त्री नीतिश कुमार पर आरोप लगाया गया कि वो इसमें पूरे माहौल में मूकदर्शक बने रहे और बिहार को जलने दिया। सांसद अली अनवर ने बिहार में हुए दंगों में सीधे तौर भाजपा और जेडीयू को जिम्मेदार ठहराया। अली अनवर ने कहा कि दंगों से ठीक पहले लोगों को इसके लिये तैयार किया गया। मुफ्त में चमकती हुई तलवारें बांटी गईं, जिनको नागपुर से खास उद्देश्य के लिए मंगाया गया था।
कविता कृश्नन ने सरकार पर फासीवादी और दंगा प्रेमी होने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने चुनाव से पहले बड़े बड़े वादे किए थे लेकिन चार साल होने को आए और एक भी वादा पूरा नहीं किया। आज पूरा देश सड़क पर है। महिलायें, छात्र, किसान, मजदूर सब की हालत खराब है और मोदी जी के कुछ मित्र मजे में हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल ने सरकार पर दलित और मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाया। रतन लाल ने कहा कि आरएसएस-भाजपा चाहते हैं कि अम्बेडकर की पूजा की जाए लेकिन पढ़ा न जाए। “गले में माला दिमाग पर ताला”- यही भाजपानीत सरकार की सोच है जिससे लोगों को बरगलाया जा सके। भाजपानीत केन्द्र सरकार कहती है कि हमने अम्बेडकर का सबसे ज्यादा सम्मान किया लेकिन वे झूठ बोलते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने मोदी सरकार पर ध्रुवीकरण के सहारे राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए मुफीद है कि हिन्दू और मुसलमान लड़ते रहें जिससे उनकी वोटों की राजनीति चलती रहे।
प्रदर्शन में विभिन्न संगठनों के करीब २०० लोगों ने हिस्सा लिया।
अमन गुप्ता की रिपोर्ट