“देश में जब तक राम राज्‍य कायम नहीं हो जाता, मीडिया और सरकार में टकराव जारी रहेगा”

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”मीडिया और सरकार के बीच तब तक टकराव जारी रहेगा जब तक देश में राम राज्‍य कायम नहीं हो जाता है”- ऐसा कहना है प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष पूर्व न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति सीके प्रसाद का। प्रसाद ने हैदराबाद में आयोजित एक राष्‍ट्रीय सेमीनार में यह बात कही, जिसमें राम राज्‍य से उनका आशय एक ”आदर्श राज्‍य” से था।

तेलंगाना राज्‍य श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, प्रेस क्‍लब हैदराबाद, वेटरन पत्रकार संघ और मीडिया एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित ”समकालीन पत्रकारिता में नैतिकता” विषयक इस सेमीनार में गुरुवार को जस्टिस प्रसाद ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज की तारीख में पत्रकारों का राज्‍य के साथ टकराव होना अएक बाध्‍यता है और जिस दिन ऐसा नहीं होगा, वह न सिर्फ देश के लिए बल्कि लोकतंत्र के लिए भी सबसे निराशाजनक दिन होगा।

जस्टिस प्रसाद ने कहा, ”चूंकि लंबे समय से हमारे यहां कोई आदर्श राज्‍य नहीं है इसलिए हम नहीं जानते कि अभी और कितने बरस इसका इंतज़ार करना होगा। लेकिन आज आप राज्‍स के साथ टकराव में रहने को बाध्‍य हैं। मैं जब मीडिया से टकराव में रहने का आग्रह करता हूं, तो साथ ही इस विचार के विरोध में भी खड़ा हूं कि वह सरकार के साथ मधुर संबंध बनाए रखे। जब तक राम राज्‍य स्‍थापित नहीं हो जाता, लंबी बहस चलती रहेगी कि आखिर वह राम राज्‍य कैसा था। जब हम कहते हैं कि उसमें शासन बहुत अच्‍छा नहीं था या फलाना चीज़ थी, लेकिन जब तक राम राज्‍य नहीं है तब तक मीडिया और सरकार के बीच टकराव होना ही है।”

उन्‍होंने कहा: ”मैं पत्रकारों के आत्‍मविश्‍वास से प्रभवित रहता हूं कि वे किसी से भी इतनी सहजता से सवाल कर देते हैं। चाहे वह सबसे धनी हो या सबसे ताकतवर, जितनी आसानी से वे सवाल करते हैं वह अद्भुत है। मुझे उम्‍मीद है कि युवा पीढ़ी इस जज्‍़बे को कायम रखेगी।”

उन्‍होंने बताया कि उनके पास जो शिकायतें आई हैं, उन सब में एक समान बात यह है कि पत्रकार अपने पेशे की आड़ में गैरकानूनी काम कर रहे हैं और लोगों को ठग रहे हैं। उन्‍होंने कहा, ”मैं ऐसे पत्रकारों की निंदा करता हूं जो सही मायने में पत्रकार नहीं हैं। वे पत्रकार संगठनों के दिए कार्ड का दुरुपयोग कर रहे हैं और उसे अपनी आड़ बना रहे हैं।”

जस्टिस प्रसाद ने याद करते हुए बताया, ”मुझे ठीक से याद नहीं कि वह आंध्र प्रदेश का मामला था या तेलंगाना का, लेकिन जब हमने मामले की जांच की तो हमारे सामने यह बात रखी गई कि पत्रकार सही है। वह पत्रकारिता को अपनी आड़ की तरह इस्‍तेमाल कर रहा था। वह वाकई रीयल एस्‍टेट के काम में लगा हुआ था। इसीलिए पत्रकारों को पहले अपने भीतर झांक कर देखना होगा वरना आपकी विश्‍वसनीयता चली जाएगी। विश्‍वसनीयता आपका औज़ार है। एक बार वह चली गई तो आप अपने औज़ार से हाथ धो बैठेंगे।”


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