योगेंद्र यादव, गिरजाशंकर शर्मा, डॉ. सुनीलम, जसविंदर सिंह शामिल होंगे
27 को छतरपुर, 28 को रीवाँ, 29 को होशंगाबाद, 30 को मन्दसौर में किसान सत्याग्रह करेंगे
जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, जय किसान आन्दोलन- स्वराज अभियान, अखिल भारतीय किसान सभा, किसान संघर्ष समिति, विचार मध्यप्रदेश और नर्मदांचल जनजागरण मंच द्वारा 27 से 30 मार्च के बीच किसानों की लूट के खिलाफ एमएसपी सत्याग्रह किया जाएगा
इसके पूर्व राष्ट्रीय स्तर पर एमएसपी सत्याग्रह के प्रथम चरण में 14 मार्च को यादगीर (कर्नाटक), 15 मार्च कुरनूल (आन्ध्र प्रदेश), 16 को तेलंगाना में सूर्यपेट, 18 और 19 को राजस्थान में श्रीगंगानगर, 20 को हरियाणा में रेवाड़ी, 21 को राजस्थान में अलवर और 22 को हरियाणा के नूंह में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं
भोपाल के अप्सरा रेस्टॉरेंट में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. सुनीलम, जसविंदर सिंह और भगवान सिंह ने कहा कि 2018 के बजट भाषण में वित्तमंत्री ने कहा था कि सरकार द्वारा चुनावी वायदे को पूरा करते हुए रबी की अधिकांश फसलों के लिए पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू कर दिया गया है जो लागत से डेढ़ गुना है। उन्होंने रबी और खरीफ की फसलों के लिए भी लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की घोषणा की थी, लेकिन जब अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने बताया कि खरीफ 2017-18 की 11 फसलों तथा 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 6 फसलों की खरीद के लिए लगभग 33,27,914.87 लाख रूपये के आवंटन की जरूरत होगी जो सरकार द्वारा बजट में आवंटित नहीं किया गया है, तब वित्त मंत्री के झूठ का पर्दाफाश हो गया तथा उन्हें यह स्वीकार करना पड़ा कि वे आंशिक लागत की बात कर रहे हैं .
खरीफ की फसल की 2017-18 में देश की विभिन्न मंडियों में हुई बिक्री से मालूम पड़ता है कि सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा मण्डी में हुई खरीद के बीच लगभग 32,702 करोड़ का अन्तर है. इसका मतलब है कि केवल खरीफ 2017-18 में किसानों से इतनी बड़ी लूट की गई है।
किसान नेताओं ने बताया कि मध्यप्रदेश में चना न्यूनतम समर्थन मूल्य 4,400 की तुलना में 800 से 1000 कम कीमत पर मण्डीयों में खरीदा जा रहा है। इसका कारण यह है कि सरकार ने 2016 में 2.49 लाख टन चना आयात किया था जिसे बढ़ाकर 2017 में 7.47 लाख टन कर दिया गया है। इसी तरह मसूर की दाल भी 4,250 के मुकाबले 3200 से 3800 के दाम पर बिक रही है।
एमएसपी सत्याग्रह के माध्यम से समाज और सरकार को ध्यान किसानों की लूट की ओर आकृष्ट किया जाएगा, सरकार से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य तय कराने की स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश तथा 2014 के चुनावी वायदे लागू कराने के लिए प्रदेशव्यापी संघर्ष किया जाएगा ताकि किसानों को उनका जायज हक और न्याय दिलाने का उद्देश्य पूरा हो सके।
डॉ. सुनीलम ने कहा कि प्रदेश में किसानों की कृषि पैदावार में कमी तथा उपज का दाम न मिलने के कारण किसान कर्ज में डूबा हुआ है जिसके कारण किसानों की आत्महत्याओं की संख्या बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद प्रदेश में मुख्यमंत्री को लगातार कृषि कर्मण्य पुरस्कार दिया जा रहा है जो पूरी तरह से फिक्सिंग का मामला है।
कार्यक्रमों के दौरान किसानों की कर्जा मुक्ति, बिजली बिल माफी, किसान पेंशन, भावान्तर योजना के फर्जीवाडे, ओलावृष्टि के बाद किसानों को मुआवजा नहीं दिये जाने, 2014 के बाद किसानों को फसल बीमा का भुगतान नहीं किये जाने तथा मण्डी की अनियमिताओं को भी उजागर किया जायेगा।