डॉ. दाभोलकर की संस्‍था को आज दिल्‍ली में मिलेगा द्वितीय प्रफुल बिदवई स्‍मृति पुरस्‍कार

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पत्रकार प्रफुल बिदवई की स्‍मृति में उनकी पुण्‍यतिथि पर दिया जाने वाला पुरस्‍कार इस बार तर्कवादी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर द्वारा स्‍थापित संस्‍था महाराष्‍ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) को दिल्‍ली में दिया जाएगा। शुक्रवार की शाम दिल्‍ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में इस पुरस्‍कार वितरण के अवसर पर वैज्ञानिक सत्‍यजित रथ का एक व्‍याख्‍यान भी होगा।

प्रफुल बिदवई की मौत दो साल पहले हुई थी जबकि डॉ. दाभोलकर की चार साल पहले 20 अगस्‍त को हिंदुत्‍ववादी गुंडों ने हत्‍या कर दी थी। पिछले साल गठित यह पुरस्‍कार पहली बार पीपुल्‍स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (परी) नामक संस्‍था को दिया गया था जिसे पत्रकार पी. साइनाथ ने स्‍थापित किया है। यह इस पुरस्‍कार का दूसरा वर्ष है।

एमएएनएस वैज्ञानिकता, निर्भयता और नैतिकता के तीन मानदंडों पर काम करती है और आम लोगों के बीच अंधविश्‍वासों को दूर करने के लिए अभियान चलाती है। इस संस्‍था के चार प्रमुख उद्देश्‍य हैं:

– उन नुकसानदेह अंधविश्‍वासों और कर्मकांडों के खिलाफ आंदोलन करना जो भ्रम फैलाकर दोहन करते हैं

– वैज्ञानिक नज़रिये, संशयवाद, मानवता और आलोचनात्‍मक वैचारिकी का प्रचार करना

– धर्म, परंपराओं और प्रथाओं के रचनात्‍मक व आलोनात्‍मक विश्‍लेषण को प्रोत्‍साहित करना

– प्रगतिशील समाज सुधार संगठनों के साथ मिलकर काम करना

इस संस्‍था के संस्‍थापक डॉ. दाभोलकर को अंधविश्‍वासों के खिलाफ़ काम करने पर लगातार धमकियां मिलती थीं। उन्‍हीं के प्रयासों से 18 वर्ष की मेहनत के बाद महाराष्‍ट्र असेंबली ने नर‍बलि और काले जादू के खिलाफ एक कानून भी पारित किया था। उन्‍हें 2013 में दिनदहाड़े गोली मार दी गई। उनकी हत्‍या के आरोपी सारंग अ‍कोलकर और विनय पवार के सिर पर सीबीआइ ने पांच लाख का ईनाम रखा है। चार साल बाद हत्‍या की जांच अब भी जारी है।

 

 

 


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