देश भर से भारी संख्या में आए किसान आज अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे हैं। ख़बर के मुताबिक रविवार की रात तक हज़ारों किसान दिल्ली में आ चुके थे और सोमवार की सुबह से माना जा रहा है कि दो लाख किसान दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटेंगे। वहां से एक रैली निकाली जाएगी जो संसद मार्ग पर जाकर सभा में तब्दील हो जाएगी।
केंद्र में एनडीए सरकार आने के बाद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के विरोध के लिए दिल्ली में जुटे किसानों के बाद यह पहला बड़ा मजमा होगा। उसी वक्त से किसान संगठनों के एकीकरण की एक प्रक्रिया शुरू हुई थी जब सीपीआइ, सीपीएम जैसी वामपंथी पार्टियों की किसान सभाओं ने छिटपुट किसान संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ एक संवाद शुरू किया था। दो साल के भीतर यह एकीकरण साकार हुआ और देश के कुल 180 किसान संगठनों को मिलाकर बड़ा मोर्चा बना।
अखिल भारतीय किसान समन्वय संघर्ष समिति नामक इसी मोर्चे के बैनर तले दिल्ली के संसद मार्ग पर किसान मुक्ति संसद का आयोजन होने जा रहा है। जो अहम नेता इस जुटान में शामिल होने जा रहे हैं, उनमें सीपीएम के हनान मुल्ला, डॉ. सुनीलम, राजू शेट्टी, सीपीआइ के अमरा राम, योगेंद्र यादव हैं। किसान मुक्ति संसद की मुख्य मांग कर्ज से माफी और अपने उत्पाद के लिए उचित मूल्य दिया जाना है।
ध्यान रहे कि पिछले दिनों देश भर के अलग-अलग हिस्सों में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन किए हैं। मध्यप्रदेश के मंदसौर से उठे आंदोलन से लेकर राजस्थान के सीकर से शुरू हुए आंदोलन तक सबको समझौते की मेज़ पर सरकार ने निपटा दिया। तमिलनाडु के किसान दो राउंड महीना भर मारे गए किसानों के नरमुंड लेकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करते रहे, लेकिन सरकार में किसी ने कोई सुध नहीं ली।
अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन करना वर्जित हो चुका है। ऐसे में पहली बार दिल्ली में किसानों का एक बड़ा जुटान हो जा रहा है। इससे ठीक पहले 9 से 11 नवंबर के बीच तीन दिन मजदूरों का एक महापड़ाव दिल्ली के संसद मार्ग पर हो चुका है।