पिछले 7 नवंबर को रूस की अक्तूबर क्रांति की सौवीं वर्षगांठ पर झारखंड के गिरिडीह जिला अन्तर्गत चतरो में “महान बोल्शेविक क्रान्ति की शताब्दी समारोह समिति” झारखंड के तत्वावधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था जिसमें क्षेत्र के लगभग दस हजार लोगों ने हिस्सा लिया। मंचीय कार्यक्रम के पूर्व एक रैली निकाली गई जो काफी शांतिपूर्ण तरीके से लगभग 5-6 कि.मी. की दूरी तय करते हुए वापस कार्यक्रम स्थल पर पहुंची और आयोजित समारोह भी शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ, जिसे सभी समाचार-पत्रों ने सहजता से छापा भी। बावजूद जिला प्रशासन ने रैली में शामिल लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया जिसमें 12 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
यह बात सार्वजनिक है कि 7 नवंबर 1917 को रूस में हुए ऐतिहासिक परिवर्तन को प्रतीकात्मक रूप से बोल्शेविक क्रांति की सौवीं वर्षगांठ के रूप में पूरे देश में मनाया जा रहा है। आयोजनों का सिलसिला पिछले साल नवंबर में शुरू हुआ था और पिछले एक साल के दौरान रूसी क्रांति को याद करते हुए देश भर के वामपंथी संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर हर कहीं छोटे-बड़े आयोजन किए हैं। अभी दिल्ली में बीते रविवार न्यू सोशलिस्ट इनीशिएटिव ने एक आयोजन किया था। उससे पहले गुड़गांव में एक आयोजन हुआ। हाल ही में तीन दिनों का एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन नेपाल के काठमांडो में संपन्न हुआ है जिसमें भारत, चीन और नेपाल के तमाम बुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।
ऐसे में यह सवाल अहम है कि आखिर झारखंड के कार्यक्रम पर ही एफआइआर क्यों दर्ज की गई है। इसके पीछे पिछले दिनों की कुछ घटनाएं बताई जा रही हैं, जिसके बारे में मजदूर संगठन समिति (मसंस) नामक एक पंजीकृत संगठन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। इस समिति द्वारा राज्य के तीन जगहों मधुबन, चन्द्रपुरा और बोकारो थर्मल में मजदूरों के सवाल को लेकर पिछले दिनों जोरदार आंदोलन किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि तीन जगहों के प्रबंधन को मजदूरों के आन्दोलन के सामने झुकना पड़ा और मजदूरों की ताकत बढ़ी।
मजदूर संगठन समिति के महासचिव बच्चा सिंह द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार ”चूंकि महान बोल्शेविक क्रांति की शताब्दी समारोह समिति, झारखंड में शामिल 13 संगठनों में मजदूर संगठन समिति भी शामिल है अतः मसंस के बहाने मजदूरों को मुकदमे में फंसाने की धमकी से डरा कर उन्हें चुप रखने की एक साजिश है और समारोह समिति द्वारा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित बोल्शेविक क्रांति के कार्यक्रमों को भी रोकने की साजिश का हिस्सा है।”
झारखंड के स्थानीय अखबारों ने विस्तार से इस बारे में खबर की है। खबरों में बताया गया है कि एफआइआर दर्ज कराने वाले व्यक्ति का नाम परमेश्वर सिंह है जो जिला उद्योग केंद्र के उद्योग विस्तारक पदाधिकारी हैं। एफआइआर में बच्चा सिंह सहित 12 लोग नामजद हैं और करीब 800 अज्ञात लोग भी शामिल हैं। इन सब के ऊपर आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 341, 342, 323, 504, 506 और 353 लगाई गई है।
क्रांतिकारी तेलुगु कवि वरवरा राव का पिछले अगस्त में यहां आना एक बड़ा कारण है जिसके चलते एफआइआर हुई है। एफआइआर में इस बात का उल्लेख है कि बच्चा सिंह और अन्य के बुलाने पर वरवरा राव इससे पहले 20 अगस्त को वहां आकर भाषण दे चुके हैं। एफआइआर के आवेदन में कहा गया है कि यह आयोजन भाकपा (माओवादी) की शह पर किया गया था।