ये बाबूलाल दाहिया हैं । सतना जिले में एक किसान । जैविक कृषि करते हैं । पारम्परिक अनाज के विलुप्त होते बीज बचाने का जुनून पालते हैं । हठपूर्वक लोकभाषा बघेली में कविताएं लिखते हैं ।
हर साल कृषि क्षेत्र में बेहतर काम के दावे के साथ राष्ट्रीय कृषि कर्मण अवार्ड दाब लेने वाली मध्यप्रदेश सरकार ने बाबूलाल जी को भी जैविक कृषि के लिए पुरस्कृत करने की सूचना देकर 10 सितंबर को निर्धारित समारोह में आने के लिए निमंत्रित किया है ।
यहां तक आपने धैर्यपूर्वक पढ़ लिया हो तो अगली दो पंक्तियों
में यह खबर भी पढ़ लें । सम्भवतः इसे अखबारों / टी वी चैनलों में जगह न मिल पाएगी ।
प्रदेश में किसानों की दुर्दशा और उनके लगातार कर्ज़ में डूबते जाने के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हुए बाबूलाल दाहिया ने किसान आंदोलनों में शहीद किसानों की स्मृति का सम्मान करते हुए मध्यप्रदेश सरकार से इस पुरस्कार को न लेने का निर्णय लिया है । अपनी अस्वीकृति से उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को लिखित रूप से अवगत भी करा दिया है ।