विष्णु राजगढ़िया
भुवनेश्वर, 14 अक्टूबर : सूचना का अधिकार पर पांचवें राष्ट्रीय अधिवेशन में लोकतंत्र पर खतरे की आहट साफ महसूस की गई।भुवनेश्वर के उत्कल मंडप में आज प्रारंभ अधिवेशन में देश के अठारह राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हैं। नेशनल कंपेन फ़ॉर पीपुल्स राइट टू इंफोरमेशन का यह अधिवेशन देश के मौजूदा हालात में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी ने इस मौके पर कहा कि आरटीआई ने नागरिक को महसूस कराया कि वह खुद सत्ता में है। इस कानून ने लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका सशक्त की है।
न्यायमूर्ति जेपी शाह ने सूचना कानून पर मौजूदा संकटों की चर्चा करते सूचना आयोग संस्था के कमजोर होने पर चिंता प्रकट की। उन्होंने विभिन्न राज्यों में सूचना आयोगों में अध्यक्ष अथवा सदस्य पदों के रिक्त होने का भी उदाहरण दिया। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. प्रभात पटनायक ने नोटबंदी के बाद जमा राशि से काला धन वापस आने की बात गलत बताते हुए ऐसे मामलों में आरटीआई के उपयोग की सलाह दी।
प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने अध्यक्षता करते हुए आरटीआई आंदोलन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की चर्चा की। उन्होंने आरटीआई आंदोलन में शहीद हुए सैकड़ों लोगों को याद करते हुए कहा कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या अभिव्यक्ति की आजादी की लड़ाई में हुई है। अरुणा राय ने आरटीआई कानून के तहत सूचना पाने के अधिकार को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़कर देखने की सलाह दी।
अधिवेशन के दूसरे सत्र में सूचना का अधिकार और गवर्नेंस विषय पर चर्चा हुई। इसमें पूर्व केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह, वेंकटेश नायक, ज्यां द्रेज इत्यादि ने विचार प्रकट किए। अधिवेशन 16 अक्टूबर तक चलेगा।