चुनाव चर्चा: काँग्रेस का ‘हाथ’ और राजद की ‘लालटेन’ संकट में!

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चंद्र प्रकाश झा

 

सत्रहवीं लोकसभा के गठन के लिए अगले वर्ष मई से पहले चुनाव कराने की सांविधिक अनिवार्यता के मद्देनज़र राजनीतिक दलों की ही नहीं,  निर्वाचन आयोग की भी अग्रिम तैयारियां जोरों पर है। लेकिन इसी दौरान कांग्रेस को  आवंटित चुनाव चिन्ह  पंजा (हाथ ) पर संकट के बादल नज़र आने लगे हैं। निर्वाचन आयोग के समक्ष भारतीय जनता पार्टी के नेता ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। आयोग ने इस मामले में  बीते बुधवार सुनवाई पूरी कर अपना  निर्णय  “सुरक्षित” रखा है।  निर्णय ‘जल्द ‘ सुनाये जाने की संभावना है।   उधर , बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की अध्यक्षता वाले  राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को आवंटित चुनाव चिन्ह , लालटेन भी खतरे में है।  आम चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा होने तक और भी राजनीतिक दलों को आवंटित चुनाव निशान पर गाज गिर जाए तो आश्चर्य नहीं होगा।

निर्वाचन आयोग के उप आयुक्त चंद्रभूषण कुमार ने कांग्रेस के खिलाफ इसी वर्ष जनवरी में  भाजपा प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय  द्वारा दाखिल मामला में  सुनवाई  के  के दौरान कहा था कि आयोग को ऐसी बहुत सारी शिकायतें  मिली हैं।  श्री उपाध्याय ने  कांग्रेस के चुनाव निशान को रद्द करने की मांग को लेकर दलील दी थी कि कांग्रेस समर्थक मतदान केंद्रों पर हाथ दिखाकर वोटरों को लुभाने की कोशिश करते हैं  जो नियमों का उल्लंघन है। उनकी यह भी दलील है कि  कांग्रेस के अलावा कोई ऐसी राजनीतिक पार्टी नहीं है जिसने शरीर के किसी अंग को अपना चुनाव चिन्ह बना रखा हो। आयोग के पास  जो ‘ मुक्त’ 75 चुनाव चिन्ह हैं उनमें कोई भी मानवीय अंग नहीं है। उनके अनुसार जन प्रतिनिधित्व अधिनियम  ( 1951 ) की धारा 130 के तहत चुनाव प्रचार बंद होने के बाद, मतगणना केंद्र के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार से चुनाव चिन्ह ले जाना अथवा इशारे से चुनाव चिन्ह दिखाना प्रतिबंधित है। इसलिए कांग्रेस का पंजा चुनाव चिन्ह  ही  निरस्त कर दिया जाना चाहिए।  उन्होंने यह भी कहा कि विगत में आयोग ने यूपी चुनावों में बहुजन समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह  हाथी की सभी  मूर्तियों को ढंकवा दिया था. कोई भी मानवीय अंग किसी भी दल का  चुनाव निशान नहीं होना चाहिए।

निर्वाचन उप आयुक्त ने शिकायतकर्ता की दलीलों में दम होने की हामी भरते हुए कहा था कि  इस चुनाव चिन्ह का दुरूपयोग होने की शिकायतें देश भर से मिलती रहती हैं। उन्होंने कहा कि  हाथियों की मूर्तियां तो इसलिए ढंकवा दी गई थीं कि वे राजकीय खर्च से बनी थीं। लेकिन हाथ के पंजे के मामले में आयोग को कुछ और सोचना पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि निर्वाचन  आयोग अलग अलग दलों को मिलते-जुलते निशान जारी नहीं करता। भाजपा को चुनाव निशान के तौर पर कमल का फूल आवंटित है इसलिए किसी और को गुलाब का फूल नहीं आवंटित किया जा सकता।  मतदाताओं के बीच मिलते -जुलते चुनाव को लेकर कोई भरम न हो,  इस बारे में पहले से दिशा निर्देश हैं।  पर उन्होंने माना था कि इस दिशा निर्देश का व्यापक प्रचार नहीं किया जा सका है।  उन्होंने शिकायतकर्ता से कहा था, ‘ हम  आपकी शिकायत पर अपना फैसला सुरक्षित रख रहे हैं और जल्द ही विस्तृत फैसला सुनाएंगे.’

मीडिया विजिल  के साप्ताहिक स्तम्भ , चुनाव चर्चा के 18 अप्रैल के अंक में खबर दी जा चुकी है कि  स्वैक्षिक संस्था,  ” एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स्” ( एडीआर )  विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपने  आय -व्यय  का ब्योरा निर्वाचन आयोग को नहीं सौंपने अथवा विलम्ब से सौंपने के बारे में जारी अपनी हालिया रिपोर्ट में इस बात को  रेखांकित कर चुका है कि  ऐसी पार्टियों की मान्यता रद्द भी की जा सकती है।  एडीईआर के अनुसार  यह ब्योरा देर से दाखिल करने वाली पार्टियों  में कांग्रेस, भाजपा समेत कई दल हैं। निर्वाचन आयोग को केंद्र सरकार के 2017 के वित्त विधेयक में आयकर अधिनियम  के सेक्शन 13 ए में किये संशोधन के  तहत ऐसी पार्टियों के चुनाव चिन्ह और उसकी मान्यता रद्द करने का अधिकार है।  राजद के चुनाव चिन्ह को ख़तरा उसी की वजह से है।

आयोग ने फिलवक्त चारा घोटाला में अदालती आदेश पर कारावास की सज़ा भुगत रहे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के नाम से नोटिस जारी कर दिया है।  नोटिस के अनुसार उनकी पार्टी ने  वित्त वर्ष 2014-15 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट  दाखिल  नहीं की जिसको सौंपने की अंतिम तारीख  31 अक्तूबर 2015  को ही बीत चुकी है।  नोटिस में उनसे पूछा गया है कि इस आधार पर  क्यों  नहीं  उनकी पार्टी के खिलाफ चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के पेराग्राफ 16ए के तहत कार्रवाई की जाये। राजद अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष के नाम से भी  भेजी नोटिस में आयोग ने कहा है, ” पार्टी ने वित्त वर्ष 2014-15 की ऑडिट रपट अब तक नहीं दाखिल की है, जबकि रपट दाखिल करने की निर्धारित तिथि 31 अक्टूबर, 2015 को ही बीत चुकी है।” नियमानुसार प्रत्येक राजनीतिक दल के लिए हर साल 31 अक्तूबर तक पार्टी की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट जमा करना अनिवार्य है। उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार सभी राजनीतिक दलों को तय समय सीमा के भीतर चुनाव आयोग को अपनी वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट पेश करना अनिवार्य है। देश में इस समय सात राष्ट्रीय दल और  49  राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त दल हैं। इन सबके चुनाव आरक्षित हैं।  कुछ राज्य स्तरीय दलों के चुनाव चिन्ह एक ही हैं , जैसे साइकिल  चुनाव चिन्ह उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के लिए और आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम के लिए आरक्षित है।  पंजा , कांग्रेस का शुरू से चुनाव चिन्ह नहीं रहा है।  इसके पहले उसका चुनाव चिन्ह गाय -बछड़ा था।  उसके भी पहले एक जोड़ी बैल था।  राजनितिक दलों में विभाजन के बाद चुनाव चिन्ह को लेकर विवाद भी होते रहे हैं।

निर्वाचन आयोग से राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त कुछ  राजनीतिक पार्टिया और उनके आरक्षित चुनाव चिन्ह इस प्रकार है :  कांग्रेस ( पंजा /  हाथ ) , भारतीय जनता पार्टी  ( कमल ) , मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ( हँसिया, हथौड़ा एवं तारा ) ,  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी  (हँसिया और बाली ) ,  बहुजन समाज पार्टी  ( हाथी ) ,   राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (घड़ी ) ,  समाजवादी पार्टी  ( उत्तर प्रदेश , साइकिल )  तेलुगु देशम्  ( आंध्र प्रदेश, साइकिल ) , समता पार्टी  ( मशाल ) ,  नेशनल कॉन्फ्रेंस  ( हल ) ,  जनता दल यूनाइटेड ( तीर ) ,  शिवसेना ( महाराष्ट्र , तीर कमान )  अकाली दल  ( पंजाब , तीर-कमान )  राष्ट्रीय जनता दल  ( लालटेन ) ,  अन्ना द्रमुक मुनेत्र कड़गम  ( दो पत्ती )  ऑल इंडिया फॉरबर्ड ब्लॉक  ( शेर ) ,  मुस्लिम लीग  ( सीढ़ी ) , हरियाणा विकास पार्टी  ( लड़का-लड़की ) .

 



(चंद्र प्रकाश झा  वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया हल्कों में सिर्फ ‘सी.पी’ कहते हैं। सीपी को 12 राज्यों से चुनावी खबरें, रिपोर्ट, विश्लेषण, फोटो आदि देने का 40 बरस का लम्बा अनुभव है।)