महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में जनवरी में हुई हिंसा से एक दिन पहले आयोजित एलगार परिषद के मामले में पुणे पुलिस ने कुछ अहम लोगों की गिरफ्तारियां की हैं और इनके माओवादी होने का संदेह जताया है। इनमें विद्रोही पत्रिका के संपादक और मशहूर दलित कार्यकर्ता सुधीर ढावले व चर्चित अधिवक्ता सुरेंद्र गाडलिंग के साथ दलित कार्यकर्ता महेश राउत और रोना विल्सन शामिल हैं। सुधीर ढावले को मुंबई, गाडलिंग व राउत को नागपुर और विल्सन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है।
सुबह वर्धा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर शोमा सेन की गिरफ्तारी की भी ख़बर आई थी लेकिन वह अपुष्ट थी। ख़बर थी कि पुलिस उनके आवास की तलाशी ले रही है हालांकि कई खबरों में उनकी गिरफ्तारी की भी बात कही जा रही है।
A total of three persons have been arrested from Mumbai, Nagpur and Delhi by #Pune police in connection with #BhimaKoregaon violence. All three have been arrested for spreading controversial pamphlets and delivering hate speech.
— ANI (@ANI) June 6, 2018
दिलचस्प है कि सुधीर ढावले को इससे पहले भी जनवरी 2011 में माओवादी होने के संदेह में गिरफ्तार कर के 40 महीना जेल के भीतर रखा गया था लेकिन पुलिस उनके माओवादी संबंधों का कोई साक्ष्य पेश नहीं कर पाई थी। इस कारण से उन्हें गोंदिया के सत्र न्यायालय ने मई 2014 में मुकदमे से बरी कर दिया था। उनके खिलाफ ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया जो माओवादियों से उनके संबंधों को दिखाता हो, बल्कि भायखला स्थित निवास से ज़ब्त किताबें सारी या तो ऑनलाइन या दुकानों पर उपलब्ध्ध थीं जिन्हें आधार बनाया गया था।
उस वक्त करीब 100 पन्ने के अपने फैसले में सत्र न्यायाधीश आरजी अस्मार ने साफ लिखा था कि जांच में भारी कमियां हैं और सबूत पर्याप्त नहीं हैं। इस घटना के चार साल बाद एक बार फिर से पुलिस ने ढावले को उन्हीं आरोपों में यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया है। ढावले एलगार परिषद और भीमा कोरेगांव जंग की 200वीं सालगिरह पर हुए कार्यक्रम के आयोजकों में एक थे, यह कोई छुपी हुई बात नहीं है।
Maharashtra: Pune Police has also arrested an advocate named Surendra Gadling, this morning, in connection with #BhimaKoregaon violence.
— ANI (@ANI) June 6, 2018
ढावले के अलावा सुरेंद्र गाडलिंग चर्चित अधिवक्ता हैं जो इंडियन असोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स के महासचिव भी हैं। गाडलिंग ने कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुकदमों को लड़ा है। वे फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साइबाबा का मुकदमा लड़ रहे थे।
ये सारी गिरफ्तारियां पुणे के विश्रामबाग थाने में भीड़ को उकसाने संबंधी एक मुकदमे से जुड़ी हैं। पुलिस के मुताबिक वह भीमा-कोरेगांव हिंसा में कथित माओवादी लिंक को तलाश रही है। दिलचस्प ये है कि इससे पहले मिलिंद एकबोटे नाम के जिस शख्स को हिंसा के लिए मुख्य आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया गया था, वह हिंदुत्ववादी नेता है जिसका पूरा करियर सांप्रदायिक ताकतों को उकसाने का रहा है। उसके खिलाफ अब तक कुल सात मुकदमे सा्रपदायिक हिंसा के संबंध में हैं। भीमा-कोरेगांव में उसके साथ संभाजी भिड़े नाम के एक स्वयंभू सामाजिक कार्यकर्ता के खिलाफ़ भी एफआइआर हुई है।
Attack on Ambedkarite movement : Maharashtra police has arrested Ambedkarite activist & editor Sudhir Dhawale in Mumbai, advocate Surendra Gadling in Nagpur and Rona Wilson in Delhi. All 3 booked under draconian UAPA while Bhima Koregaon culprit Manohar Bhide roams scot free.
— Jignesh Mevani (@jigneshmevani80) June 6, 2018
संभाजी भिड़े को लंबे समय से इस मामले में गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है लेकिन पिछले दिनों एक आरटीआइ में पता चला था कि महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार देने की सिफारिश केंद्र से की थी। भिड़े गुरुजी कहे जाने वाले संभाजी के प्रशंसकों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी एक हैं।
Is this a ploy to save radical Hindutva leader Sambhaji Bhide accused of Bhima-Koregaon violence? https://t.co/H2aHvCbwsT
— nikhil wagle (@waglenikhil) June 6, 2018
Delhi's Patiala House Court sends Rana Jacob, who was arrested in connection with #BhimaKoregaon violence, to 2-day transit remand. He will be produce before Local Court in Pune on 8 June.
— ANI (@ANI) June 6, 2018
गिरफ्तार लोगों में एक रोना विल्सन दिल्ली में कमेटी फॉर रिलीज़ ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स नामक संगठन का काम देखते हैं। यह संगठन राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए काम करता है। इन गिरफ्तारियों के समानांतर ही नागपुर में प्रो. शोमा सेना के घर की तलाशी ली गई है। उन्हें भी गिरफ्तार किए जाने की ख़बरें हैं।