DTC कर्मचारियों ने किया डीटीसी मुख्यालय पर संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ

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देश भर में मोदी सरकार द्वारा लाये जा रहे, जन-विरोधी, संविधान-विरोधी, ‘सी.ए.ए.- एन.आर.सी.-एन.पी.आर’ के खिलाफ चल रहे आंदोलनों का समर्थन करते हुए, दिल्ली परिवहन निगम(डीटीसी) के कर्मचारियों ने डीटीसी मुख्यालय पर संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया। कार्यक्रम का आयोजन ‘आल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस(ऐक्टू)’ से सम्बद्ध डीटीसी कर्मचारियों की यूनियन – ‘डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर’ द्वारा किया गया था।

दिल्ली व देश के विभिन्न भागों में, सी.ए.ए.- एन.आर.सी.-एन.पी.आर के खिलाफ आंदोलन काफी तेज होते जा रहे हैं। सरकारी दमन के बावजूद इन आंदोलनों में भारी संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतर रही हैं। ज्ञात हो कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर बुलाई गई 8 जनवरी 2020 की हड़ताल के दौरान ‘सी.ए.ए.- एन.आर.सी.-एन.पी.आर’ को वापस लेना भी मांगों में शामिल था।

कार्यक्रम की शुरुआत संविधान की प्रस्तावना के पाठ के साथ हुई। ऐक्टू दिल्ली के अध्यक्ष संतोष राय ने अपनी बात रखते हुए, सभी मौजूद कर्मचारियों से कहा कि कई लोग आज देश का मतलब मोदी समझ रहे हैं, और देशभक्ति का मतलब मोदी-भक्ति, पर देश में बाबासाहेब के संविधान और उसके मूल्यों से ऊपर कुछ भी नही। नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार बनाकर, मोदी और शाह संविधान पर हमला कर रहे हैं। ‘सी.ए.ए.- एन.आर.सी.-एन.पी.आर’ से सबसे ज़्यादा नुकसान इस देश की मेहनतकश जनता का होगा। लोकतंत्र में जनता सरकार चुनती है, पर भाजपा सरकार अब लोकतंत्र को उल्टा कर रही है, वो ‘सी.ए.ए.- एन.आर.सी.-एन.पी.आर’ लाकर जनता को चुनना चाहती है। ये सरासर लोकतंत्र विरोधी, जन-विरोधी, संविधान विरोधी है।

डीटीसी वर्कर्स यूनिटी सेंटर के महासचिव राजेश ने अपने संबोधन में कहा कि, भाजपा और संघ के लोग लगातार मज़दूरों में धर्म-सम्प्रदाय के नाम पर फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। डीटीसी कर्मचारियों के बीच भी व्हाट्सएप्प और सोशल मीडिया के ज़रिए साम्प्रदायिक द्वेष पैदा करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने आगे कहा कि, ऑक्सफैम की रिपोर्ट बता रही है कि देश के अंदर एक प्रतिशत अमीर लोगों के पास देश के सत्तर प्रतिशत लोगों से चार गुना ज़्यादा संपत्ति है। भाजपा और संघ इन एक प्रतिशत पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए, गरीबों-मज़दूरों के बीच फूट डालने का काम कर रहे हैं। रोज़ी-रोटी-रोज़गार और बराबरी जैसे सवालों पर से ध्यान हटाने के लिए ही ‘सी.ए.ए.- एन.आर.सी.-एन.पी.आर’ जैसी विभाजनकारी नीतियां लाई जा रही हैं। हमें अगर शहीद भगत सिंह और बाबासाहेब अम्बेडकर का भारत बनाना है तो इस सरकार के खिलाफ लड़ना ही होगा।

कार्यक्रम के उपरांत यूनियन पदाधिकारियों ने शाहीन बाग जाकर, आंदोलनरत लोगों से अपनी एकजुटता जताई और हर संभव मदद देने का भरोसा दिलाया।


विज्ञप्ति: श्वेता राज,सचिव, ऐक्टू दिल्ली द्वारा जारी 


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