‘युवा संसद’ में उठी रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग

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आज से शुरू हुए मानसून सत्र में देश भर के तमाम मुद्दों पर चर्चा होना है, ऐसे में देश भर के तमाम युवा संगठनों ने आज एक वर्चुअल ‘युवा संसद’ का आयोजन किया। जिसमें बेरोज़गारी के खिलाफ चल रहे विभिन्न आंदोलनों और युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी।

‘युवा हल्ला बोल’ के फेसबुक पेज पर आयोजित इस वर्चुअल ‘युवा संसद’ में रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाने के सवाल पर चर्चा हुई। साथ ही, वर्तमान में बेरोज़गारी के खिलाफ चल रहे अभियान के आगे की दिशा और भी संवाद हुआ।

इस मौके पर ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर गोविन्द मिश्रा ने बताया कि बढ़ती बेरोज़गारी के मुद्दे पर सरकार बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। ऐसे में सरकार को उन्हीं की भाषा में समझाने के लिए बेरोज़गार युवा अलग अलग तरीके अपना रहे हैं। पहले ताली-थाली बजाकर सरकार को जगाया, फिर दिया जला कर युवा एकजुटता दिखाई और अब 17 सितंबर को जुमला दिवस मना कर सरकार को अपना संदेश देंगे। इसी के तहत आज यानी 14 सितंबर को ‘युवा संसद’ आयोजित कर मूल समस्या के समाधान को सरकार तक पहुचाने की कोशिश की गई है।

इस आयोजन में हिस्सा लेने आये पूर्व जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा कि ‘यह सरकार एक तरफ महामारी में लोगों से नौकरियां छीन रही है और दूसरी तरफ भर्तियों पर रोक लगाए बैठी है। यंग इंडिया यह आवाज संसद से सड़क तक उठाने में अपना पूरा योगदान देगा और युवा एकता इस सरकार को रोजगार को अधिकार बनाने के लिए नीति बद्ध तरीके से मजबूर करेगा। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो फिर युवा आने वाले चुनावों में इस सरकार को कान पकड़कर गद्दी से उतार देगी।’

युवा मंच के राजेश सचान ने कहा कि ‘देश के बेरोजगार युवा अभी एक हो चुके हैं और जिस तरीके से उन्होंने पीछे के दिनों में अपनी आवाज को बुलंद किया है आगे भी सरकारों को जगाने के लिए पुरजोर कोशिश करेगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से यह अनुरोध किया कि यह आज के समय का एक महत्वपूर्ण सवाल है और सबको मिलजुल कर सरकार को लामबंद करना होगा कि वह युवाओं को रोजगार दे और अपने किए वादों को पूरा करें।’

वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर जी ने कहा कि रोज़गार पाना युवाओं का अधिकार है यह गांधी के सपने का भारत होगा जब रोज़गार एक संवैधानिक अधिकार बने और सभी युवाओं को न्याय पूर्वक रोज़गार मिले।

इनके अलावा यूपी में महिला हेल्पलाइन 181 के लिए काम करने वाले महिला समूह, महाराष्ट्र पीएससी के अभ्यर्थियों का समूह समेत 20 से अधिक समूहों का प्रतिनिधित्व इस आयोजन में हुआ।

इस आयोजन में समापन भाषण देते हुए ‘युवा हल्ला बोल’ के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने बताया कि किस तरीके से सरकार के 2 करोड़ सालाना नौकरी देने की बात जुमला बनकर रह गयी। किस तरीके से सरकारी और गैर सरकारी प्रतिष्ठित संस्थानों को यह सरकार बर्बाद कर रही है। युवा आंदोलन को भारत की राजनीति का भविष्य बताते हुए उन्होंने कहा के युवा अब हर तरीके से अपनी मुखालफत दर्ज कराएगा और हर संभव प्रयास करके रोजगार का अधिकार लेकर रहेगा।

अनुपम ने कहा कि रोज़गार के अवसरों में लगातार की जा रही कमी और सरकार रोक लगाए और खाली पड़े पदों को तुरंत भरे। साथ ही, जिस तरह चुनाव कराने के लिए एक मॉडल कोड है उसी तरह भर्ती परीक्षाओं के लिए भी एक मॉडल कोड की आवश्यकता है जो सरकारों को जवाबदेह बनाएगी और युवाओं का भविष्य सुनहरा होगा। यह मॉडल कोड ये भी सुनिश्चित करेगा कि कोई भी भर्ती प्रक्रिया अधिकतम 9 महीने में पूरी हो।

युवा संसद : रोज़गार बने मौलिक अधिकार

युवा संसद : रोज़गार बने मौलिक अधिकार

Posted by Yuva Halla Bol on Sunday, September 13, 2020

 

रोजगार के सवाल पर यूपी में प्रदर्शन

वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के जिलों में युवा मंच के बैनर तले प्रदर्शन आयोजित हुए। जिसमें रोजगार व विकास की गारंटी करने, खाली 24 लाख से ज्यादा पदों को भरने, उत्तर प्रदेश में नौकरी के पहले 5 साल संविदा का योगी सरकार के प्रस्ताव को खत्म करने, बेकारी भत्ता देने, लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बंद करने जैसे सवालों पर आवाज बुलंद की गई।

इलाहाबाद के बालसन चौराहे पर हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कई छात्रों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिसमें युवा मंच के अध्यक्ष अनिल सिंह, अमरेंद्र सिंह बाहुबली, शशि धर यादव, अरविंद सिंह, राहुल कुमार पटेल, बलराम सिंह, कुलदीप कुमार, शोभित सिंह शामिल हैं।


 


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